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कोविड-19: ऑटिज़्म वाले लोगों के 'अधिकारों का ना हो हनन'

ऑटिज़्म के साथ रह रहे लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए लंबे समय से प्रयास जारी हैं.
© UNICEF/Rehab El-Dalil
ऑटिज़्म के साथ रह रहे लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए लंबे समय से प्रयास जारी हैं.

कोविड-19: ऑटिज़्म वाले लोगों के 'अधिकारों का ना हो हनन'

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से निपटने की कार्रवाई में ऑटिज़्म के साथ रह रहे लोगों का भी ख़याल रखा जाना ज़रूरी है. गुरुवार, 2 अप्रैल, को ‘विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस’ पर यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया है कि संकट की इस घड़ी में विकलांगों के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ऑटिज़्म से तात्पर्य बचपन में शुरू होने वाली उन विभिन्न प्रकार की स्थितियों से है जिनसे संप्रेषण, भाषा और सामाजिक व्यवहार की सामान्य क्षमता पर असर पड़ता है. यह स्थिति अक्सर जीवन के आरंभिक पॉंच सालों में शुरू होती है. 

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यूएन प्रमुख ने कहा कि ऑटिज़्म के साथ रह रहे लोगों को स्वनिर्णय, स्वतंत्रता और स्वायत्तता के साथ-साथ अन्य लोगों की तरह शिक्षा व रोज़गार पाने का भी अधिकार है.

लेकिन कोविड-19 के कारण उन्हें संबल उपलब्ध कराने वाली महत्वपूर्ण प्रणालियाँ और नेटवर्क दरक गए हैं. इस वजह से ऑटिज़्म के साथ रह रहे लोगों को अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने में जिन अवरोधों का सामना करना पड़ता है वे और ज़्यादा गहरे हुए हैं. 

“हमें सुनिश्चित करना होगा कि आपात हालात से लंबे समय तक खिंचने वाले व्यवधान से वो अधिकार प्रभावित ना हों जिन्हें हासिल करने के लिएऑटिज़्म के साथ रहने वाले लोगों और उनके प्रतिनिधि संगठनों ने बड़ी मेहनत की है.”

ऑटिज़्म के साथ रह रहे कुछ लोग सामान्य जीवन स्वतंत्र रूप से जी सकते हैं लेकिन कुछ मामलों में ऐसे लोगों को गंभीर विकलांगता का सामना करना पड़ता है और उन्हें जीवन-पर्यन्त देखभाल व सहारे की ज़रूरत होती है.

अनेक बार वे कथित रूप से सामाजिक कलंक व भेदभाव का शिकार होते हैं और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा अधिकारों से वंचित रहते हैं. 

विविधता को प्रोत्साहन

संयुक्त राष्ट्र लंबे समय से विकलांगों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है. इनमें वे लोग भी हैं जिनके सामान्य रूप से सीखने व विकसित होने की क्षमता प्रभावित होती है. 

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा है कि कोविड-19 महामारी से उपजे मौजूदा हालात में भी विकलांगों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए.  

“सरकारों की ज़िम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि उनकी कार्रवाई में ऑटिज़्म के साथ रह रहे लोगों का भी ख़याल रखा जाए...ऑटिज़्म के साथ रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य देखरेख के समय में कभी भेदभाव का सामना करने की ज़रूरत नहीं पड़नी चाहिए.”

महासचिव ने कहा कि संकट के समय में अपने घरों व समुदायों में रहने के लिए उन्हें जिन समर्थन प्रणालियों की ज़रूरत है उनकी सुलभता जारी रहनी चाहिए.

उन्होंने स्पष्ट किया कि महामारी के फैलाव के इस दौर में इन ज़रूरतों को पूरा करने में हर एक व्यक्ति की भूमिका है, और इस कार्य में महत्वपूर्ण सूचना सुलभ तरीक़ों से मुहैया कराना भी अहम है. 

“हमें मानना होगा कि जब स्कूल ऑनलाइन शिक्षण का इस्तेमाल करते हैं, तो मानक व्यवस्था से इतर तरीक़ों द्वारा पढ़ाई करने वाले छात्रों के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती है. यही बात कार्यस्थलों और घरों से कार्यालयों का काम करने के मामले में लागू होती है.”

यूएन प्रमुख ने कहा कि इस अनिश्चित दौर में भी हमें विकलांगों और उनके प्रतिनिधि संगठनों के साथ संपर्क जारी रखने के लिए संकल्प लेना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि काम करने, सीखने और एक दूसरे से बातचीत करने के ग़ैर-पारंपरिक तरीक़े और कोरोनावायरस से निपटने की वैश्विक कार्रवाई सभी लोगों के लिए समावेशी और सुलभ हो, ऑटिज़्म के साथ रह रहे लोगों के लिए भी.