कोविड-19: यूएन जलवायु शिखर वार्ता को स्थगित करने का फ़ैसला
विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण पैदा हुए संकट को देखते हुए स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में नवंबर 2020 में होने वाली संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक जलवायु शिखर वार्ता को स्थगित करने का फ़ैसला किया गया है. जलवायु मामलों पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था (UNFCCC) ने कहा है कि बैठक के स्थगित होने से प्रतिनिधियों व पर्यवेक्षकों की सुरक्षा के साथ-साथ सभी पक्षों को महत्वपूर्ण जलवायु मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और तैयारी करने का ज़्यादा समय मिल सकेगा.
कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज की 26वीं बैठक यानी कॉप-26 वार्ता के लिए सलाहकार समूह ने बुधवार रात जलवायु परिवर्तन को अक्टूबर 2021 तक स्थगित करने की घोषणा की. पहले तय कार्यक्रम के अनुसार ये सम्मेलन 9 से 19 नवंबर 2020 तक ग्लासगो में होनी थी.
कॉप-26 वार्ता के लिए नियुक्त अध्यक्ष और ब्रिटेन के व्यापार, ऊर्जा व औद्योगिक रणनीति मंत्री आलोक शर्मा ने कहा, “दुनिया इस समय एक अभूतपूर्व वैश्विक चुनौती का सामना कर रही है और देश अपना ध्यान ज़िंदगियां बचाने और कोविड-19 से लड़ाई के प्रयासों में लगा रहे हैं जो सही है.”
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन की कार्यकारी सचिव पैट्रिशिया एस्पिनोसा ने कहा कि इस समय कोविड-19 मानवता के लिए सबसे बड़ा तात्कालिक ख़तरा है लेकिन हम यह भी नहीं भूल सकते कि जलवायु परिवर्तन मानवता के समक्ष सबसे बड़ा दीर्घकालिक ख़तरा है.
उन्होंने कहा कि जब अर्थव्यवस्थाएं फिर से सुचारू रूप से काम करेंगी तो देशों के पास उसे बेहतर ढंग से पुर्नबहाल करने और उन योजनाओं में निर्बलों व वंचितों को शामिल करने का अवसर होगा.
यह अवसर 21वीं सदी की अर्थव्यवस्थाओं को स्वच्छ, हरित, स्वस्थ, न्यायोचित, सुरक्षित और ज़्यादा सहनशील बनाने का अवसर होगा.
पिछली कॉप वार्ता स्पेन में हुई थी और उसकी अध्यक्षता चिली की नेता केरोलीना श्मिट ने की थी. उन्होंने कहा कि कॉप-26 को स्थगित करने का यह फ़ैसला सभी प्रतिनिधियों व पर्यवेक्षकों की सुरक्षा के नज़रिए से ज़रूरी था.
“हमारा संकल्प यह सुनिश्चित करना है कि जलवायु महत्वाकांक्षा के लिए गति जारी रहे.”
सर्वोपरि प्राथमिकता
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की ओर से उनके प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने एक बयान जारी कर कहा, “वायरस पर क़ाबू पाना और लोगों की ज़िंदगियों की रक्षा करना हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है.”
महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई की महत्वाकांक्षा को बढ़ाने के लिए प्रयास जारी रखने होंगे, उस दौरान भी जब देश मौजूदा संकट से उबरने के उपायों में जुटे हों.
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक नज़रिए में कोई बदलाव नहीं आया है – उत्सर्जन अब भी रिकॉर्ड स्तर छू रहे हैं और वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी के कारण पहले से मौजूद सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां और ज़्यादा जटिल हो रही हैं.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि कोविड-19 का संकट फिर से विज्ञान और तथ्यों पर आधारित सरकारी नीतियों व निर्णय-निर्धारण की अहमियत को रेखांकित करता है.
विज्ञान स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी की ख़ुद को नियंत्रित करने की क्षमता प्रभावित हो रही है, और इसका लोगों के जीवन व आजीविकाओं पर बहुत ज़्यादा असर पड़ेगा.
“यह नाटकीय मानवीय संकट एक उदाहरण है कि अस्तित्ववादी ख़तरों के समक्ष देश, समाज और अर्थव्यवस्थाएं किस तरह कमज़ोर पड़ जाती हैं.”
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि मौजूदा समय में एकजुटता व ज़्यादा महत्वाकांक्षा की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है ताकि एक टिकाऊ व कार्बन पर कम निर्भर अर्थव्यवस्था की दिशा में बढ़ा जा सके जिससे तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जा सके.