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कोविड-19: संकट काल में खाद्य सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी

उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षा मानकों के तहत खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना अहम है.
FAO/Alessandra Benedetti
उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षा मानकों के तहत खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना अहम है.

कोविड-19: संकट काल में खाद्य सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र की तीन प्रमुख एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि कोविड-19 से अपने नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा करते समय देशों को यह ध्यान में रखना होगा कि व्यापार-संबंधी ऐसे क़दम ना उठाए जाएं जिनसे खाद्य आपूर्ति श्रृंखला (फ़ूड सप्लाई चेन) या खाद्य सुरक्षा पर असर पड़े. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस, खाद्य एवं कृषि संगठन के प्रमुख क्यू डोन्गयू और विश्व व्यापार संगठन के प्रमुख रॉबर्टो एज़ेवाडो ने एक साझा बयान जारी किया है. 

बयान में आगाह किया गया है कि कई बार निराधार कारणों से खाद्य व्यापार पर पाबंदियां लगा दी जाती हैं. जिससे फ़ूड सप्लाई चेन में व्यवधान पैदा होता है और इससे ज़रूरतमंद और नाज़ुक हालात में रह रहे लोग ही ज़्यादा प्रभावित होते हैं. 

इस तरह के व्यवधानों से कृषि और खाद्य उद्योग में कर्मचारियों की आवाजाही में भी अवरोध खड़े होते हैं और भोजन के कंटेनर और ट्रकों को सीमा चौकियों पर इंतज़ार करना पड़ता है. इससे भोजन के बर्बाद होने की आशंका गहराती है.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण कई देशों में तालाबंदी लागू होने के बावजूद व्यापार को जारी रखने और खाने-पीने की वस्तुओं की किल्लत को दूर करने के हरसंभव प्रयास किए जाने होंगे.

साथ ही यह भी ज़रूरी है कि अन्न उगाने वालों और खेतों से बाज़ार तक खाद्य सामग्री को पहुंचाने में जुटे लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए ताकि फ़ूड सप्लाई चेन्स को बरक़रार रखा जा सके और बीमारी के फैलाव की रोकथाम हो सके. 

खाद्य सामग्री की उपलब्धता के प्रति अनिश्चितता गहराने से निर्यात पर पाबंदियां लगाई जाने की आशंका बढ़ती है जिसका असर वैश्विक बाज़ार में किल्लत के रूप में देखने को मिलता है. इस तरह की प्रतिक्रियात्मक क़दमों से खाने-पीने की वस्तुओं की मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बदल सकता है जिससे क़ीमतों में बढ़ोत्तरी हो सकती है.

वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक अतीत के अनुभव दर्शाते हैं कि इस तरह के उपायों से निम्न आय वाले, खाद्य वस्तुओं की कमी झेल रहे देश ज़्यादा प्रभावित होते हैं. साथ ही ज़रूरतमंद देशों में मानवीय राहत के काम में जुटे संगठनों को मदद मुहैया कराने में मुश्किलें पेश आती हैं. 

“हमें इस तरह के क़दमों को लिए जाने से होने वाले नुक़सान को रोकना होगा. इसी तरह के लम्हों में कम के बजाए ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय सहयोग अहम हो जाता है.”
संकट काल में यह बेहद ज़रूरी है कि उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षा मानकों के तहत खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जाए.

यूएन अधिकारियों का मानना है कि खाद्य संबंधी व्यापार से जुड़े क़दमों, खाद्य उत्पादन के स्तर, उपभोग और भंडारण व क़ीमतों पर जानकारी सुनिश्चित की जानी चाहिए. इससे अनिश्चितता को दूर करने, और निर्माताओं, उपभोक्ताओं व व्यापारियों पर दबाव कम करने और जानकारीपरक निर्णय लेने में मदद मिलती है.

साथ ही घबराहट में ज़रूरत से ज़्यादा ख़रीदारी और खाने-पीने व अन्य ज़रूरी वस्तुओं की जमाखोरी जैसी घटनाओं को रोका जा सकता है. 

उन्होंने ध्यान दिलाया कि यह एकजुटता दिखाने, ज़िम्मेदारी से पेश आने, खाद्य व पोषण सुरक्षा दर्शाने और दुनिया में लोगों के स्वास्थ्य-कल्याण को सुनिश्चित करने का समय है. इसलिए यह ज़रूरी है कि ऐसे क़दम ना उठाएं जाएं जिनसे ज़रूरी वस्तुओं की किल्लत हो और भुखमरी व कुपोषण की समस्या और गहरा जाए.