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कोविड-19 से लड़ाई के दौरान ‘जीवनरक्षक टीकों का भी रखें ध्यान’

26 वर्षीय मामा ब्वान्गा अपने बच्चे को कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य के एक स्वास्थ्य केंद्र में लाई हैं.
UNICEF/Brown
26 वर्षीय मामा ब्वान्गा अपने बच्चे को कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य के एक स्वास्थ्य केंद्र में लाई हैं.

कोविड-19 से लड़ाई के दौरान ‘जीवनरक्षक टीकों का भी रखें ध्यान’

स्वास्थ्य

विश्व भर में कोविड-19 संक्रमितों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी होने से स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ रहा है, मेडिकल सामग्री की आपूर्ति प्रभावित हो रही है और परिवहन तंत्र में व्यवधान आने से सप्लाई चेन पर अभूतपूर्व असर देखने को मिल रहा है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि इन हालात में अन्य जीवनरक्षक टीकों की अहमियत को नहीं भूला जाना चाहिए. 

उन्होंने कहा कि कोविड-19 से निपटने के लिए बड़ी संख्या में स्वास्थकर्मी इस कार्य में जुटे हैं. शारीरिक दूरी बनाए रखने की सलाह को ध्यान में रखते हुए अभिभावकों को बच्चों के लिए प्रतिरक्षण उपायों और टीकाकरण के बारे भी सोचना पड़ रहा है.

विमानों की उड़ाने रद्द होने और व्यापार पाबंदियों के कारण वैक्सीन सहित अन्य ज़रूरी दवाओं की उपलब्धता पर भी असर पड़ा है. 

“जैसे-जैसे विश्वव्यापी महामारी आगे बढ़ रही है, प्रतिरक्षण टीकों सहित बेहद अहम जीवनरक्षक सेवाओं में व्यवधान पैदा हुए हैं, ख़ासतौर पर अफ़्रीका, एशिया और मध्य पूर्व में जहां उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है.”

उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आपदा और हिंसा प्रभावित इलाक़ों में निर्धन परिवारों के बच्चों को सबसे ज़्यादा ख़तरा है. 

यूनीसेफ़ ने उन देशों के प्रति चिंता जताई है जो पहले से ही खसरा, हैज़ा और पोलियो जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं और अब वहां कोविड-19 फैल रहा है.

इनमें अफ़ग़ानिस्तान, कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य, सोमालिया, फ़िलीपींस, सीरिया और दक्षिण सूडान शामिल हैं. 

कोविड-19 जैसी महामारी के फैलने से ना सिर्फ़ बोझ से दबे स्वास्थ्य तंत्रों पर और ज़्यादा भार पड़ेगा बल्कि बड़ी संख्या में लोगों की जानें भी जा सकती हैं.

“संदेश स्पष्ट है: हमें जीवनरक्षक स्वास्थ्य उपायों को कोविड-19 पर क़ाबू पाने के प्रयासों की भेंट नहीं चढ़ने देना चाहिए.”

प्रतिरक्षण ज़रूरी 

बुरी तरह प्रभावित देशों में यूनीसेफ़ ने बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं और प्रतिरक्षण ज़रूरतों को उन उपायों के साथ पूरा करने का संकल्प जताया है जिनसे कोविड-19 फैलने का ख़तरा कम होता है.

इसके तहत ज़रूरतमंद देशों में पर्याप्त संख्या में वैक्सीन की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जाएगा. 

इस दिशा में प्रगति के लिए यूएन एजेंसी वैश्विक वैक्सीन आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलकर काम कर रही है और सरकारों को भी ज़रूरी सहयोग उपलब्ध कराने में जुटी है. 

कोविड-19 के कारण सरकारों को अस्थाई रूप से थोड़े समय के लिए सामूहिक टीकाकरण मुहिमों को स्थगित करना पड़ सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इनके ज़रिए कोरोनावायरस का फैलाव ना हो.

लेकिन यूनीसेफ़ ने सरकारों को अपनी सिफ़ारिश में कहा है कि भविष्य के लिए योजना का ख़ाका तैयार ज़रूर होना चाहिए ताकि कोविड-19 पर क़ाबू पाने के बाद टीकाकरण अभियानों को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा सके. 

“इन टीकाकरण गतिविधियों को उन बच्चों पर केंद्रित रखना होगा जिन्हें व्यवधान के कारण वैक्सीन नहीं दी जा सकी, और निर्धनों व सबसे नाज़ुक हालात में रह रहे बच्चों को प्राथमिकता देनी होगी.” 

छात्रों के लिए मदद

ऐहतियाती क़दमों के मद्देनज़र विश्व के कई देशों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं जिससे दुनिया के 80 फ़ीसदी से ज़्यादा बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है. 

यूनीसेफ़ ने कहा है कि सुरक्षित ढंग से पढ़ाई-लिखाई जारी रखने के लिए 145 देशों को मदद प्रदान किए जाने की तैयारी की जा रही है.

हाल के वर्षों में ईबोला महामारी से लिए गए सबक को ध्यान में रखकर यूनीसेफ़ ने कहा है कि बच्चों को अगर स्कूलों से दूर रखा जाए तो अक्सर उनके लौटने की संभावनाएं क्षीण हो जाती हैं. 

बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के वैकल्पिक तरीक़े मुहैया कराने से वे अपनी दिनचर्या का पालन करते हैं और कोरोनावायरस से निपटने में यह महत्वपूर्ण है. 

यूनीसेफ़ ने सरकारों और शिक्षा क्षेत्र में साझीदार संगठनों के लिए एक करोड़ 30 लाख डॉलर की धनराशि आबंटित की है ताकि एक त्वरित, प्रणाली-व्यापक कार्रवाई की योजना तैयार की जा सके जिसमें पढ़ाई-लिखाई के वैकल्पिक कार्यक्रमों और मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद शामिल होगी.