कोविड-19: मुक़ाबले के लिए दो अरब डॉलर की मानवीय राहत योजना
संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से उपजी अभूतपूर्व चुनौती से निपटने के लिए बुधवार को एक व्यापक मानवीय राहत अपील जारी की है. इस मुहिम के ज़रिए कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणालियों वाले देशों की सहायता सुनिश्चित करने और लाखों लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने का लक्ष्य रखा गया है. अब तक कोविड-19 के संक्रमण के चार लाख से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं और क़रीब 20 हज़ार लोगों की मौत हुई है. कोरोनावायरस दुनिया के उन इलाक़ों में भी दस्तक दे रहा है जो हिंसक संघर्ष, प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, यूएन मानवीय राहत समन्वयक मार्क लोकॉक, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर और विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने एक ऑनलाइन प्रेस वार्ता में दो अरब डॉलर की ये वैश्विक योजना पेश की.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि वैश्विक स्तर पर साथ आकर ही इस चुनौती से लड़ा जा सकता है. “कोविड-19 संपूर्ण मानवता के लिए ख़तरा बन रहा है – इसलिए पूरी मानवता को ही इससे लड़ाई लड़नी होगी.”
उन्होंने आगाह किया कि किसी एक देश की ओर से होने वाले प्रयास पर्याप्त साबित नहीं होंगे.
No country in the world will ever be free from the grip of the terrible #coronavirus if we don’t work together to fight it now in the poorest & most vulnerable places on our planet.We call on governments to please support the #COVID19 humanitarian plan➡️https://t.co/gEVtNzNW4u pic.twitter.com/Oyzscuj8GB
UNOCHA
महासचिव ने ध्यान दिलाया कि दुनिया के कई देशों में एक बड़ा वंचित तबका है जिसे इस बीमारी से संक्रमित होने का जोखिम ज़्यादा है.
इस तबके की रक्षा किया जाना ना सिर्फ़ बुनियादी मानवीय एकजुटता की बात ही नहीं बल्कि वायरस से लड़ाई के लिए भी अहम है और यह लम्हा ऐसे लोगों की मदद करने का है.
बचाव सामग्री का इंतज़ाम
इस अंतर-एजेंसी योजना की तैयारी मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय की ओर से की गई है जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएन के अन्य साझीदार संगठनों की मौजूदा अपीलों को शामिल करने के अलावा नई ज़रूरतों की भी शिनाख़्त की गई है.
अगर इस योजना के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध होती है तो उससे कई ज़िंदगियों को बचाने में सफलता मिलेगी.
साथ ही टेस्ट किटों की व्यवस्था करने, बीमारों की देखभाल करने और स्वास्थ्यकर्मियों की रक्षा करने के लिए निजी बचाव सामग्री को जुटाना भी संभव होगा.
उन्होंने आशंका जताई कि अगर मानवीय संकटों से जूझ रहे क्षेत्रों में कोविड-19 के लिए लक्षित धनराशि को कहीं और ख़र्च किया गया तो इसके विनाशकारी नतीजे होंगे.
यूएन के मानवीय राहत प्रमुख मार्क लोकॉक ने सचेत किया है कि अगर कमज़ोर देशों को कोविड़-19 से लड़ाई में मदद देने में विफलता हाथ लगती है तो लाखों-करोड़ों जानें जोखिम में होंगी.
उन्होंने स्पष्ट शब्दों मे कहा कि इस बीमारी से दुनिया के धनी देशों में जीवन उलट-पुलट हो गया है और अब यह वायरस युद्धक्षेत्रों में पहुंच रहा है जहां लोगों के पास ना साबुन है, ना साफ़ पानी और ना ही अस्पताल की व्यवस्था.
“हमारी प्राथमिकता इन देशों को तैयार करने में मदद करना और उन लाखों लोगों के लिए मदद जारी रखना है जो अपने जीवन-यापन के लिए यूएन की मदद पर निर्भर हैं.”
मानवीय राहत समन्वयक ने कहा, “अगर सही तरह से धनराशि उपलब्ध हुई तो मानवीय राहत संगठनों को वैश्विक प्रयासों के ज़रिए वायरस से लड़ाई के औज़ार मिल सकेंगे जिससे विश्व स्तर पर कोविड-19 का फैलाव रोकने में मदद मिलेगी.”
इस योजना को ठोस बनाने के लिए मार्क लोकॉक ने यूएन के ‘सेंट्रल एमरजेंसी रिस्पॉन्स फ़ंड’ की ओर से 6 करोड़ डॉलर की धनराशि जारी की है. इससे कोविड-19 से मुक़ाबले के लिए इस रिस्पॉन्स फ़ंड से मिलने वाली धनराशि बढ़कर साढ़े सात करोड़ डॉलर हो गई है.
संकटग्रस्त क्षेत्रों पर मंडराता जोखिम
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने वायरस फैलने की तेज़ होती रफ़्तार के बीच चिंता ज़ाहिर की है कि इस बीमारी से उन लोगों के लिए भी ख़तरा बढ़ रहा है जो पहले ही अन्य संकटों से जूझ रहे हैं.
“यह वायरस अब कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणालियों वाले देशों में फैल रहा है, इनमें वो देश भी शामिल हैं जो पहले से ही मानवीय संकटों का सामना कर रहे हैं.”
“वे देश व समुदाय जो पहले ही हिंसक संघर्षों, विस्थापन, जलवायु संकट और बीमारियों के फैलने से घर छोड़ने के लिए मजबूर हैं, उन्हें हमें जल्द से जल्द प्राथमिकता देनी होगी.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने सभी देशों के लिए अपने संदेश में कहा कि इस चेतावनी पर ध्यान देते हुए इस योजना को राजनैतिक व वित्तीय समर्थन मिलना चाहिए. इससे लोगों की ज़िंदगियाँ बचाना व महामारी के फैलाव को नियंत्रण में लाना संभव हो सकेगा.
“यह फ़ैसला इतिहास करेगा कि इस बेहद स्याह समय में हमने निर्धन समुदायों की ज़रूरतों का ध्यान किस तरह रखा था...आइए हम एक साथ अभी कार्रवाई करें.”
यूनीसेफ़ की प्रमुख हेनरीएटा फ़ोर ने कहा कि बच्चे इस विश्वव्यापी महामारी के छिपे हुए पीड़ित हैं. तालाबंदी और स्कूल बंद होने के कारण उनकी शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता प्रभावित हो रही है. साथ ही उनके साथ दुर्व्यवहार और शोषण की आशंका भी गहरा रही है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि जो बच्चे हिंसक हालात में रहने को मजबूर हैं और बेघर हैं उन पर इस महामारी के ऐसे नतीजे होंगे जिन्हें पहले कभी नहीं देखा गया. इसलिए उनका ख़याल रखा जाना ज़रूरी है.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक ने भरोसा जताया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग से तैयारियों को पुख़्ता बनाने के साथ-साथ कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणालियों वाले देशों में ठोस कार्रवाई के लिए संसाधन जुटाए जा सकते हैं.
इससे बच्चों के स्वास्थ्य, कल्याण, विकास और भविष्य की संभावनाएँ सुनिश्चित की जा सकेंगी.