विश्व तपेदिक दिवस: टीबी पर कार्रवाई का समय 'यही है'
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार, 24 मार्च, को 'विश्व तपेदिक दिवस' पर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं जिनका लक्ष्य टीबी संक्रमितों को बीमार होने से बचाने के लिए रोकथाम व इलाज जल्द से जल्द सुनिश्चित करना है. टीबी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारी है और हर दिन इसके कारण चार हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत होती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक विश्व आबादी का एक चौथाई हिस्सा टीबी से संक्रमित है.
लक्षण ना दिखाई देने के बावजूद टीबी से संक्रमित लोगों में बीमारी के गंभीर रूप धारण करने का जोखिम रहता है, विशेषकर उन लोगों में जिनका रोग प्रतिरोधी तंत्र पहले से कमज़ोर है.
The chance of developing TB disease is higher if you:🔴 are in close contact with a TB patient🔴 are living with HIV🔴 have lower immunity🔴 live in a crowded setting.#EndTBhttps://t.co/hvq6AhF0yk pic.twitter.com/9Kx6uRSA6v
WHO
यूएन एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने इस दिवस पर अपने संदेश में कहा, “कोविड-19 दिखा रहा है कि फेफड़ों की बीमारी और कमज़ोर रोग प्रतिरोधक तंत्र वाले लोगों के लिए कितना ज़्यादा जोखिम है.
दुनिया वर्ष 2030 तक टीबी का अंत करने के लिए संकल्पित है और इसे संभव बनाने में रोकथाम के उपायों को बेहतर बनाना अहम है.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के नए दिशा-निर्देशों का प्रमुख उद्देश्य टीबी से संक्रमित लोगों के लिए रोकथाम के उपायों को तेज़ी से लागू करने में देशों की मदद करना है.
रोकथाम उपायों के ज़रिए टीबी संक्रमितों को बीमार होने बचाया जा सकता है और इससे टीबी के फैलाव का जोखिम भी कम होता है.
कोविड-19 महामारी के संकट काल में महानिदेशक घेबरेयेसस ने टीबी सहित लंबे समय से चुनौती बनी हुई अन्य बीमारियों से मुक़ाबले की अहमियत को दोहराया है.
रोकथाम के उपाय
वर्ष 2018 में टीबी पर संयुक्त राष्ट्र की उच्चस्तरीय बैठक में कुछ प्रगति की जानकारी दी गई थी लेकिन टीबी की रोकथाम के लिए उपचार फ़िलहाल अपर्याप्त ही साबित हुए हैं.
“बीमार पड़ने, पीड़ा से बचने और ज़िंदगियां बचाने के लिए लाखों-करोड़ों लोगों के पास टीबी की रोकथाम के लिए उपचार का रास्ता होना चाहिए.”
विश्व नेताओं ने दो करोड़ से ज़्यादा टीबी संक्रमितों और 60 लाख से ज़्यादा एचआईवी संक्रमितों के लिए रोकथाम उपचार सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है.
इसके बावजूद बेहद कम संख्या में मरीज़ों तक ये सेवाएं पहुंचाने में सफलता मिल पाई है.
टीबी की रोकथाम के लिए उपचार एक किफ़ायती उपाय है जिसके ज़रिए परिवारों को ग़रीबी में जाने और समुदायों के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था की रक्षा करने में मदद मिल सकती है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का मानना है कि जैसे-जैसे नई और सुरक्षित दवाईयां बाज़ार में आएंगी और उनकी क़ीमतों में गिरावट आएगी, उससे लाखों लोगों के जीवन को बचाने में सफलता मिलना संभव होगा.
नए दिशानिर्देश
यूएन एजेंसी की नई गाइडलाइन्स में देशों को सलाह दी गई है जिसमें बीमारी का ज़्यादा जोखिम झेल रहे एचआईवी संक्रमित मरीज़ों और कमज़ोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले लोगों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने की बात कही गई है.
टीबी से संक्रमित लोगों को बीमार होने से बचाने में रोकथाम के इलाज के रास्ते सुझाए गए हैं.
एचआईवी संक्रमित लोगों में मौत का एक बड़ा कारण टीबी से पीड़ित होना है.
रोकथाम के लिए किए जाने वाले इलाज में एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी का इस्तेमाल टीबी को रोकने के लिए होता है.
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने अपनी सिफ़ारिश में कहा है कि टीबी के लिए परीक्षण के ज़रिए यह पता लगाना भी ज़रूरी है कि रोकथाम के विकल्प से सबसे ज़्यादा लाभ किसे होगा.
विश्व टीबी दिवस हर साल 24 मार्च को सार्वजनिक जागरूकता के प्रसार के उद्देश्य से मनाया जाता है जिसके ज़रिए टीबी से लोगों, स्वास्थ्य, समाज और अर्थव्यवस्था पर होने वाले असर को रेखांकित किया जाता है.
वर्ष 1882 में डॉक्टर रॉबर्ट कोख ने इस दिन उस बैक्टीरिया को खोज निकालने की घोषणा की थी जिससे टीबी की बीमारी होती है. इससे तपेदिक के निदान और इलाज का रास्ता संभव हुआ.
वर्ष 2020 में विश्व टीबी दिवस की थीम ‘It’s Time’ है जिसके ज़रिए ज़िंदगियां बचाने और पीड़ा का अंत करने के प्रयासों को तेज़ करने की पैरवी की जा रही है.