कोविड-19: 'एकजुटता, उम्मीद व समन्वित कार्रवाई की दरकार'

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से लोगों में डर और अनिश्चितता गहरा रही है इसलिए इस संकट पर पार पाने के लिए आपसी एकजुटता, आशा और राजनैतिक इच्छाशक्ति की पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरत है. महासचिव गुटेरेश ने गुरुवार को एक ऑनलाइन प्रेस वार्ता में ये बातें कहीं.
यूएन महासचिव ने कहा कि विश्वव्यापी महामारी कोरोनावायरस से जिस तरह मानवीय पीड़ा फैली है, वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है और लोगों के जीवन में उथल-पुथल हुई है, इस तरह का वैश्विक स्वास्थ्य संकट संयुक्त राष्ट्र के 75 वर्ष के इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया.
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महासचिव गुटेरेश ने वैश्विक एकजुटता का आहवान करते हुए कहा, “हमारा मानव परिवार तनावग्रस्त है और सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो रहा है. लोग पीड़ा में हैं, दुखी हैं और डरे हुए हैं.”
उन्होंने ध्यान दिलाया कि इस संकट की जटिलताओं के कारण हालात पर क़ाबू पाना किसी एक देश के बूते की बात नहीं है. इसके मद्देज़र विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं को समन्वित, निर्णायक और अभिनव नीतियों के ज़रिए कार्रवाई को आगे बढ़ाना होगा.
यूएन प्रमुख ने कहा कि वह अगले सप्ताह जी-20 नेताओं की आपात बैठक में शिरकत कर लोगों की चिंताओं के बारे में बात करेंगे जहां इस महाचुनौती से निपटने की कार्रवाई पर विचार-विमर्श होना है.
“मेरा मुख्य संदेश स्पष्ट है. हम एक अभूतपूर्व स्थिति में हैं और ऐसे में आम नियम अब और ज़्यादा लागू नहीं किए जा सकते.”
उन्होंने स्पष्ट किया कि दुनिया इस वायरस के ख़िलाफ़ युद्ध की स्थिति में हैं और इन हालात पर पार पाने के लिए यह ज़रूरी है कि कार्रवाई का दायरा और स्तर भी इस अनूठे संकट की बराबरी के स्तर का हो.
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि कोविड-19 से लोगों की मौतें हो रही हैं और अर्थव्यवस्थाओं को नुक़सान हो रहा है, लेकिन इस संकट में बेहतर प्रबंधन के सहारे हम एक ज़्यादा टिकाऊ और समावेशी समाजों की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं.
“मैं विश्व नेताओं से इस वैश्विक संकट से निपटने के लिए एकजुट होने और तत्काल व समन्वित कार्रवाई को सामने लाने का आहवान करता हूँ.”
महासचिव गुटेरेश के मुताबिक स्वास्थ्य एमरजेंसी से निपटना उनकी सर्वोपरि प्राथमिकता है और इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल के लिए ज़्यादा धनराशि का इंतज़ाम करने की पैरवी की है.
उन्होंने कहा कि किसी समुदाय पर दोषारोपण किए बिना ही संक्रमणों की जानकारी परीक्षणों के ज़रिए हासिल करनी चाहिए, स्वास्थ्यकर्मियों को सहारा देना चाहिए और पर्याप्त सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए.
“यह साबित किया जा चुका है कि इस वायरस पर क़ाबू पाया जा सकता है. इसे रोका ही जाना होगा.” उन्होंने कहा कि एक-एक देश के बजाय वैश्विक स्तर पर समन्वित कार्रवाई की दरकार है और जो देश इस संकट से निपटने के लिए तैयार नहीं है उनकी सहायता की जानी चाहिए.
“वैश्विक एकजुटता नैतिक रूप से अनिवार्य ही नहीं है बल्कि सभी के हित में भी है.”
उन्होंने सरकारों से विश्व स्वास्थ्य संगठन की अपीलों को पूरा करने का आग्रह किया है जिसमें कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणालियों वाले देशों की मदद का आहवान किया गया है.
इस वैश्विक संकट में दूसरी प्राथमिकता सामाजिक और आर्थिक जीवन पर पड़ने वाला असर का सामना करना है.
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की नई रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें इस साल के अंत तक विश्व भर में लोगों के आय नुक़सान को 3.4 ट्रिलियन डॉलर आंका गया है.
लेकिन उन्होंने ध्यान दिलाया कि आपूर्ति व मांग में यह कोई साधारण झटका नहीं है बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक झटका है.
“बुनियादी रूप से हमें लोगों पर ध्यान केंद्रित करना है – सबसे निर्बल, कम वेतन पाने वाले कर्मचारी, छोटे व लघु उपक्रम. इसका अर्थ वेतन में मदद, बीमा, सामाजिक संरक्षण, दिवालिया होने की रोकथाम और रोज़गार सुरक्षा.”
उन्होंने वैश्विक वित्तीय संकल्प की एक अपील जारी करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं की इसमें अहम भूमिका होगी.
साथ ही उन्होंने व्यापार अवरोधों को दूर करने और आपूर्ति श्रंखलाओं को बहाल करने पर ज़ोर दिया है.
उन्होंने कहा कि रोज़गार प्रभावित होने और घर-परिवार पर संकट का असर होने से महिलाएं ख़ास तौर पर प्रभावित हुई हैं.
साथ ही स्कूल बंद होने से 80 करोड़ से ज़्यादा स्कूली बच्चे घर बैठने को मजबूर हैं. इनमें से अनेक बच्चों को स्कूल में ही भोजन मिलता था लेकिन अब वह सिलसिला रुक गया है.
उन्होंने आगाह किया है कि आम जीवन में तेज़ी से आए इस व्यवधान के बीच यह सुनिश्चित करना होगा कि यह वैश्विक संकट मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा संकट ना बन जाए और इसके लिए प्रासंगिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों की ज़रूरत है.
इस पृष्ठभूमि में यह ज़रूरी है कि दुनिया को बेहतर ढंग से फिर से पटरी पर लाना हमारी ज़िम्मेदारी है.
उन्होंने कहा कि इस संकट से सीखे गए सबक हमें याद रखने होंगे और आपात स्वास्थ्य हालात से निपटने की तैयारियों का ढांचा बनाना होगा ताकि 21वीं सदी की ज़रूरतों के अनुरूप सार्वजनिक सेवाओं की पूर्ति की जा सके.
टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा और पेरिस समझौते का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों व पृथ्वी से किए गए वादे को पूरा करने की ज़रूरत है.