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कोविड-19: दक्षिण-पूर्व एशिया में तेज़ कार्रवाई का आग्रह

दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में स्थित कुल 11 में से आठ देशों में कोविड-19 के मामलों की पुष्टि हो चुकी है.
Unsplash/Aalok Atreya
दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में स्थित कुल 11 में से आठ देशों में कोविड-19 के मामलों की पुष्टि हो चुकी है.

कोविड-19: दक्षिण-पूर्व एशिया में तेज़ कार्रवाई का आग्रह

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों को कोविड-19 से होने वाले संक्रमणों पर क़ाबू पाने के लिए जल्द से जल्द और बहुत तेज़ रफ़्तार से प्रयास करने और उनका दायरा बढ़ाए जाने की ज़रूरत है. इस क्षेत्र के देशों में अब तक संक्रमितों की संख्या 480 से ज़्यादा हो गई है और आठ लोगों की मौत हो चुकी है. सभी संदिग्ध मामलों की जांच किए जाने को बेहद अहम बताया गया है.

दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह का कहना है, “स्थिति तेज़ी से बदल रही है. हमें तत्काल अपने प्रयासों का दायरा बढ़ाने की ज़रूरत है ताकि इस वायरस से और ज़्यादा लोगों को संक्रमित होने से रोका जा सके.”

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“कोविड-19 के फैलाव को रोकने के उद्देश्य से हमें बदलते हालात में ख़ुद को तैयार करने की ज़रूरत है ताकि जल्द इस वायरस के असर को कम किया जा सके. इस वायरस ने बेहद कम समय में 150 से ज़्यादा देशों को अपनी गिरफ़्त में ले लिया है और लोगों, समाजों व अर्थव्यवस्थाओं को भारी नुक़सान हुआ है. तत्काल व आक्रामक उपाय समय की आवश्यकता है.”

विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में स्थित कुल 11 में से आठ देशों में कोविड-19 के संक्रमण के मामलों की पुष्टि हो चुकी है.

थाईलैंड में 177 मामलों की पुष्टि हुई है, इंडोनेशिया में 134, भारत में 125, श्रीलंका में 19, मालदीव में 13, बॉंग्लादेश में 5, और नेपाल व भूटान में 1-1 मामला सामने आया है.

लेकिन इन मामलों की संख्या तेज़ी से बढ़ने की आशंका जताई गई है. 

“ऐसे स्थानों की संख्या बढ़ रही है जहॉं वायरस संचारण के ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो रही है. वैसे तो यह सावधानी बरते जाने और प्रभावी निगरानी का संकेत है, लेकिन कोविड-19 के और ज़्यादा फैलाव को रोकने के लिए ज़्यादा आक्रामक और पूर्ण समाज की ओर से कार्रवाई की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है. हमें तात्कालिक ढंग से ज़्यादा कार्रवाई करने की आवश्यकता है.”

क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि ऑंकड़े दर्शाते हैं कि कुछ देश स्पष्ट रूप से कोविड-19 के सामुदायिक स्तर पर फैलाव को रोकने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, और इसकी रोकथाम करना ही श्रेष्ठ उपाय है. 

परीक्षणों को प्राथमिकता

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोमवार को फिर से ध्यान दिलाया था कि कोविड-19 के संकट से निपटने के सभी देशों के लिए ज़रूरी है कि हर संदिग्ध मामले का टेस्ट किया जाए क्योंकि यही तरीक़ा इस बीमारी पर क़ाबू पाने का आधार है. 

“हमारा सभी देशों के लिए सरल संदेश है: जाँच, जाँच, जाँच.

कोविड-19 के हर संदिग्ध संक्रमण मामले की जांच कीजिए. अगर किसी व्यक्ति का टेस्ट पॉज़िटिव आता है तो उन्हें अलग रखिए और लक्षण दिखाई देने से पहले उनके संपर्क में आए लोगों का भी पता लगाकर उनकी जांच कीजिए.”

सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े सरल लेकिन असरदार उपाय अपनाना महत्वपूर्ण है. हाथों को अच्छी तरह से साबुन से धोना, अपनी खॉंसी या छींक को बॉंह मोड़कर ढक लेना और सामाजिक जीवन में दूरी बरतने की अहमियत को समझना बेहद आवश्यक है.

डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने बताया, “केवन इन्हीं उपायों के ज़रिए संचारण के मामलों में ठोस कमी लाई जा सकती है.” 

लेकिन अगर सामुदायिक स्तर पर इस वायरस का फैलना जारी रहता है तो फिर संक्रमणों के मामलों की रफ़्तार में कमी लाने और बीमारी पर पूरी तरह क़ाबू पाने के लिए व्यापक प्रयासों की आवश्यकता होगी. 

इनमें आपात हालात से निपटने के लिए इंतज़ाम और ज़्यादा पुख़्ता बनाने होंगे जिसके तहत स्वास्थ्य केंद्रों व अस्पतालों का नेटवर्क तैयार करना, गंभीर हालात वाले मरीज़ो के उपचार को प्राथमिकता देना और अस्पतालों में ज़रूरत से ज़्यादा भीड़ की रोकथाम करना शामिल है.  

स्वास्थ्य प्रणाली पर भार को कम करने के लिए यह ज़रूरी है कि संक्रमित लेकिन मामूली लक्षणों वाले लोग स्वयं एकांतवास में रहें और किसी से संपर्क ना रखें. सामुदायिक संचारण की कड़ी को तोड़ने में इसकी प्रमुख भूमिका होगी.

सभी संदिग्ध मामलों की जांच किए जाने को बेहद अहम बताया गया है.

साथ ही संक्रमित व संदिग्ध मरीज़ों के संपर्क में आए लोगों का भी पता लगाकर परीक्षण किया जाना ज़रूरी होगा.