कोविड-19 के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने की पुकार, रखें एक दूसरे का ख़याल

संयक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने विश्व को भरोसा दिलाते हुए कहा है कि कोरोनावायरस यानी कोविड-19 अपने चरम पर पहुँचेगा और विश्व अर्थव्यवस्था मंदी से उबर जाएगी, मगर तब तक, “हम सभी को इस वायरस के संक्रमण की रफ़्तार को धीमा करने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा, और एक दूसरे का ख़याल रखना होगा.” उन्होंने कोविड-19 के संक्रमण के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने का भी आहवान किया.
शुक्रवार को रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो संदेश में यूएन प्रमुख ने कोविड-19 को एक ऐसा स्वास्थ्य संकट बताया जैसा हमने अपने जीवन काल में कोई अन्य स्वास्थ्य संकट नहीं देखा.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य ख़तरे को देखते हुए लोगों का चिंतित, परेशान और भ्रमित होना स्वाभाविक है. समाज के सबसे कमज़ोर लोग व समुदाय ही इस वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं और इस वायरस का दो सामाजिक व आर्थिक असर होगा, उससे आने वाले महीनों में हममें से ज़्यादातर लोग प्रभावित होंगे.
यूएन प्रमुख ने कहा कि अलबत्ता, ये समय घबराने या हड़बड़ी का नहीं, बल्कि समझदारी और सावधानी से काम करने का है, “विज्ञान का है, दकियानूसी का नही, तथ्यों का है, भय का नहीं.”
यूएन महासचिव ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि इस विश्व व्यापी महामारी पर अब भी नियंत्रण किया जा सकता है, संक्रमणों को रोका जा सकता है और जिन्दगियाँ बचाई जा सकती हैं, मगर इसके लिए “असाधारण व्यक्तिगत, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की दरकार है”.
इन उपायों के तहत संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए ठोस रणनीतियाँ लागू करने, आपात स्थिति वाली स्वास्थ्य सेवाएँ सक्रिय करना और टेस्ट क्षमताओं को बढ़ाने के साथ-साथ मरीज़ों की देखभाल की क्षमता भी बढानी होगी. अस्पतालों को तैयार रखना होगा और जीवन दायी चिकित्सा सेवाओं के साथ-साथ असरदार दवाएँ भी उपलब्ध करानी होंगी.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण के संकट ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की महत्ता को उजागर कर दिया है.
इसमें अनेक देशों की सरकारें अर्थव्यवस्थाओं में फिर से जान फूंकने, सार्वजनिक धन निवेश बढ़ाने और सबसे ज़्यादा कमज़ोर व प्रभावित लोगों व समूहों को मदद सुनिश्चित करने के लिए आपसी तालमेल के साथ काम कर रही हैं.
उन्होंने कहा, “कोरोनावायरस कोविड-19 से उत्पन्न उथल-पुथल हमारे चारों ओर नज़र आ रही है. और मैं जानता हूँ कि अनेक लोग परेशान, चिंतित और भ्रमित हैं, ऐसा होना बिल्कुल स्वभाविक है.”
“हम एक ऐसे स्वास्थ्य ख़तरे से दो-चार हैं जैसा हमारे जीवन काल में पहले कभी नहीं देखा गया. इस बीच, वायरस फैल रहा है... ख़तरा और ज़्यादा बढ़ रहा है... और हमारी स्वास्थ्य प्रणालियाँ, अर्थव्यवस्थाएँ और दैनिक जीवन गंभीर इम्तेहान के दौर से गुज़र रही हैं.”
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा, “सबसे कमज़ोर हालात वाले लोग ही सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं -- विशेषरूप से हमारे बुज़ुर्ग और जो पहले से ही मरीज़ हैं... जिन्हें भरोसेमंद स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं... जो ग़रीबी हैं या बहुत ही कम संसाधनों में जीवन जी रहे हैं.”
“वैसे तो इस वायरस के संक्रमण को विश्वव्यापी महामारी परिभाषित किया गया है, लेकिन ये ऐसी स्थिति है जिस पर हम क़ाबू पा सकते हैं. हम संक्रमण की रफ़्तार को धीमा कर सकते हैं, संक्रमण होने से रोक सकते हैं और ज़िन्दगियाँ बचा सकते हैं.”
महासचिव ने कहा कि इस वायरस के ख़िलाफ़ जंग छेड़नी होगी. इसका अर्थ है कि देशों की ये ज़िम्मेदारी है कि उन्हें चौतरफ़ा कार्रवाई की गति व दायरा बढ़ाने होंगे.
उन्होंने कहा, हम सब की भी एक ज़िम्मेदारी है. हम चिकित्सा सलाह का पालन करें और स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा सुझाए गए साधारण मगर कारगर उपाय करें.”
“ये वायरस एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा होने के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी अपनी चपेट में ले रहा है. अनिश्चितता के कारण वित्तीय बाज़ारों पर बहुत गहरा असर पड़ा है. वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रंखला बाधित हुई है. निवेश और उपभोक्ता माँग बहुत गिरी है – जिससे वैश्विक मंदी का वास्तविक ख़तरा पैदा हो गया है.”
“संयुक्त राष्ट्र के अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इस वायरस के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को इस साल लगभग एक ट्रिलियन डॉलर या उससे भी कहीं ज़्यादा तक का नुक़सान हो सकता है.”
उन्होंने कहा कि कोई अकेला देश इसका मुक़ाबला नहीं कर सकता. और सबसे ज़्यादा, सभी सरकारों को अर्थव्यवस्थाओं में फिर से जान फूंकने के लिए आपस में सहयोग करना होगा... सार्वजनिक निवेश बढ़ाना होगा... व्यापार को बढ़ावा देना होगा...