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यूएन कर्मचारियों द्वारा यौन दुर्व्यवहार के पीड़ितों को ज़्यादा मदद की दरकार

संयुक्त राष्ट्र के ट्रस्ट कोष ने यौन उत्पीड़न के पीड़ितों की कई तरह से मदद की है जिसमें आजीविका के साधन बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद भी शामिल है. ये काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक पीड़ित की तस्वीर है. (अक्तूबर 2018)
MONUSCO/Michael Ali
संयुक्त राष्ट्र के ट्रस्ट कोष ने यौन उत्पीड़न के पीड़ितों की कई तरह से मदद की है जिसमें आजीविका के साधन बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद भी शामिल है. ये काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक पीड़ित की तस्वीर है. (अक्तूबर 2018)

यूएन कर्मचारियों द्वारा यौन दुर्व्यवहार के पीड़ितों को ज़्यादा मदद की दरकार

क़ानून और अपराध रोकथाम

संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों द्वारा यौन शोषण व दुर्व्यवहार का शिकार होने वाले पीड़ितों को मदद देने के लिए उठाए जाने वाले क़दम असरदार साबित हुए हैं लेकिन अभी और ज़्यादा प्रयास करने की ज़रूरत है. संयुक्त राष्ट्र में पीड़ितों के अधिकारों की पैरोकार जेन कॉनर्स ने शुक्रवार को न्यूयॉर्क में ऐसे मामलों की पड़ताल करने वाली एक ताज़ा रिपोर्ट के ख़ास बिन्दु पेश किए.

 

यूएन शांतिरक्षा और राजनैतिक मिशनों में वर्ष 2019 में 80 यौन शोषण व दुर्व्यवहार के मामलों का पता चला जबकि अन्य यूएन संस्थाओं में 95 आरोप सामने आए.

यूएन पैरोकार जेन कॉनर्स ने कहा, “हमें यह समझने की ज़रूरत है कि इन ग़लतियों का पीड़ितों और उनके समुदायों पर क्या असर होता है; इन ग़लतियों से संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए जा रहे कार्यों के उद्देश्य पर क्या असर पड़ता है, क्योंकि इन ग़लत कामों से भरोसा दरक जाता है.”

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने वर्ष 2017 में पीड़ितों की मदद के प्रयासों के तहत जेन कॉनर्स को  पीड़ितों के अधिकारों की पहली पैरोकार नियुक्त किया था.

संयुक्त राष्ट्र ने यूएन के झंडे तले काम कर रहे वर्दीधारी और असैनिक कर्मचारियों द्वारा यौन शोषण व दुर्व्यवहार के मामलों के लिए ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति अपनाई है.

‘पीड़ित प्रथम’ की नीति पर ध्यान केंद्रित करते हुए लोगों को आरोप सामने लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, उनके दावों की करुणा भाव के साथ जांच होती है और दोषियों की जवाबदेही तय होती है.

जेन कॉनर्स को पीड़ितों के अधिकारों के लिए ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे चार पैरोकारों से उन देशों में समर्थन प्राप्त हैं जहां सबसे ज़्यादा आरोपों का पता चला है: मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी), दक्षिण सूडान और हेती.  

ये पैरोकार सुनिश्चित करते हैं कि पीड़ितों को स्वास्थ्य या क़ानूनी मदद जैसी व्यावहारिक सहायता मिल पाए. साथ ही जीवन को फिर से शुरू करने के लिए हुनर विकसित करने की भी ट्रेनिंग मुहैया कराने का प्रयास होता है.

इस क्षेत्र में एक प्रमुख कार्य यौन हिंसा व उत्पीड़न के कारण जन्मे उन बच्चों पर ध्यान देना होता है जिन्हें अक्सर उनके पिता छोड़ देते हैं.

“पितृत्व के दावे जटिल होते हैं. उनमें अक्सर कई न्याय-क्षेत्र शामिल होते हैं जिनमें सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता होती है. इसलिए हम ऐसे तरीक़े ढूंढ रहे हैं जिनसे इन दावों पर कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं को क़ानूनी मदद मिल पाएगी.”

संयुक्त राष्ट्र के पैरोकारों ने महिलाओं को समाज में फिर से एकीकृत होने में मदद की है.

जेन कॉनर्स ने हेती में उन महिलाओं से अपनी मुलाक़ात को याद किया जिनके बच्चों के पिता वहां तैनात यूएन शांतिरक्षक थे.

संयुक्त राष्ट्र ने इन महिलाओं को सहारा दिया है ताकि वे अपने परिवारों का ख़याल रख सकें. कुछ महिलाओं ने तो छोटे स्तर पर व्यवसाय भी शुरू किया है.

डीआरसी में महिलाओं को आजीविका सहारा कार्यक्रमों के ज़रिए मशरूम की खेती और टोकरी बनाने जैसे कामों के लिए मदद मिली है.

उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे बढ़ाए जाने की ज़रूरत है. इस मामले में सकारात्मक परिणाम हासिल हुए हैं लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाक़ी है.