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सीरिया में ‘मार-काट और मानवाधिकारों का हनन’ रोकने की पुकार

हिंसा से बुरी तरह क्षतिग्रस्त अलेप्पो शहर में अपने बच्चों के साथ एक महिला.
© UNICEF/UNI310539/Romenzi
हिंसा से बुरी तरह क्षतिग्रस्त अलेप्पो शहर में अपने बच्चों के साथ एक महिला.

सीरिया में ‘मार-काट और मानवाधिकारों का हनन’ रोकने की पुकार

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने सीरिया में हिंसा से प्रभावित आम लोगों को मदद जारी रखने के अपने संकल्प को फिर दोहराया है. मार्च महीने में सीरिया में हिंसक संघर्ष दसवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने बयान में कहा है कि दसवें साल में पहले जैसी हिंसा व मार-काट और अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार व मानवीय राहत क़ानूनों का मख़ौल उड़ाए जाने की इजाज़त नहीं दी जा सकती. 

गुरुवार को यूएन प्रमुख ने सीरिया में संकट के शांतिपूर्ण समाधान की ज़रूरत पर केंद्रित एक ट्विटर संदेश साझा किया. 

“सीरिया में हिंसक संघर्ष अपने दसवें साल में प्रवेश कर रहा है. एक दशक की लड़ाई से बर्बादी और पीड़ा के अलावा कुछ नहीं मिला है. और आम लोग इसकी सबसे बड़ी क़ीमत चुका रहे हैं. इसका कोई सैन्य समाधान नहीं है. अब समय है कि कूटनीति को कुछ कर दिखाने का मौक़ा दिया जाए.”

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सीरिया में एक करोड़ दस लाख से ज़्यादा लोगों को मानवीय राहत की ज़रूरत है जिनमें आधे से अधिक बच्चे हैं. 

हिंसा के कारण सीरिया में घरेलू विस्थापितों की संख्या बढ़कर 60 लाख हो गई है – इनमें से कुछ लोगों को बार-बार विस्थापन का शिकार होना पड़ा है. जबकि 50 लाख सीरियाई नागरिक शरणार्थियों के तौर पर अन्य पड़ोसी देशों में रह रहे हैं. 

यूएन महासचिव ने अपने बयान में कहा, “सीरिया में लड़ाई अपने दसवें साल में प्रवेश कर रही है, इसके बावजूद शांति अब भी क़रीब नहीं दिखाई दे रही. क्रूरतापूर्ण लड़ाई की नितांत अनुचित मानवीय क़ीमत रही है और विकराल मानवीय संकट पैदा हुआ है.” 

“लाखों की संख्या में आम नागरिक सुरक्षा जोखिमों का लगातार सामना कर रहे हैं...हम नौ साल से भयावह अत्याचारों को देखते आए हैं, जिनमें युद्धापराध भी हैं. नौ साल से मानवाधिकारों का व्यवस्थित ढंग से व्यापक पैमाने पर हनन हुआ है, जो क्रूरता व पीड़ा की नई गहराईयों तक अंतरराष्ट्रीय मानकों का क्षरण है.”

यूएन मानवीय राहत समन्वयक मार्क लोकॉक ने माना कि सिर्फ़ ऑंकड़ों को देखकर इस संकट की जटिलताओं का अनुमान लगाना कठिन है.

“पश्चिमोत्तर में महिलाओं व बच्चों को बमबारी से बचकर खुले में सोना पड़ रहा है. पूर्वोत्तर में बच्चों ने अपना पूरा जीवन शिविरों में व्यतीत किया है. देश के अन्य हिस्सों में आर्थिक संकट के कारण भविष्य के प्रति लोगों की आशाएं व आकांक्षाएं धीरे-धीरे धूमिल हो रही हैं.”

स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट 

पश्चिमोत्तर सीरिया के इदलिब गवर्नरेट में हालात मानवीय राहतकर्मियों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं. 

सरकारी सुरक्षा बलों ने आतंकी गुटों के ख़िलाफ़ दिसंबर 2019 में अभियान शुरू किया था जिससे दस लाख से ज़्यादा लोग घरों से विस्थापित हुए हैं. तुर्की की सीमा से सटे क्षेत्र में हिंसा के कारण सुरक्षित इलाक़े सिमटते जा रहे हैं. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि क्षेत्र में 550 स्वास्थ्य केंद्रों में से अब आधे ही सेवाएं मुहैया करा पा रहे हैं. वर्ष 2016 से 2019 तक स्वास्थ्य केंद्रों पर हमलों में 470 लोगों की मौत हुई है. 

हिंसा प्रभावित इदलिब में सीमा-पार तुर्की से अभियान के ज़रिए राहत सामग्री को पहुंचाया जा रहा है जिसका दायरा ज़रूरतें बढ़ने के साथ बढ़ा है. ट्रकों के ज़रिए 14 लाख लोगों की भोजन संबंधी ज़रूरतों को पूरा किया जा रहा है साथ ही पांच लाख से ज़्यादा लोगों के लिए स्वास्थ्य सामग्री को भी भेजा गया है. 

संयुक्त राष्ट्र और अन्य साझेदार संगठनों ने सीरिया में इस साल मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए 3.3 अरब डॉलर की धनराशि की अपील की है. 
इसके अतिरिक्त सीरियाई शरणार्थियों व उनके मेज़बान समुदायों को सहारा देने के लिए 5.2 अरब डॉलर का अनुरोध किया गया है.

पिछले साल मानवीय राहत संगठनों ने सीरिया में हर महीने  60 लाख से ज़्यादा लोगों को मदद पहुंचाई थी. उनका कहना है कि अगर ज़रूरी धनराशि जुटाने में सफलता मिली तो इतने ही लोगों को इस साल मदद पहुंचाना संभव होगा.