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कोविड-19 महामारी के बारे में पाँच अहम बातें

न्यूयॉर्क में सबवे ट्रेन में लोग एहतियातन फ़ेस मास्क लगा कर यात्रा कर रहे हैं.
UN Photo/Loey Felipe
न्यूयॉर्क में सबवे ट्रेन में लोग एहतियातन फ़ेस मास्क लगा कर यात्रा कर रहे हैं.

कोविड-19 महामारी के बारे में पाँच अहम बातें

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोनावायरस (कोविड-19) को ‘विश्वव्यापी महामारी’ (Pandemic) परिभाषित किया है. कोरोनावायरस को ‘विश्वव्यापी महामारी’ की श्रेणी में रखे जाने के क्या मायने हैं और इस घोषणा से वायरस से निपटने के प्रयासों पर क्या असर पड़ेगा? कोविड-19 से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब यहाँ देख सकते हैं.

साथ ही ताज़ा जानकारी संयुक्त राष्ट्र की इस वेबसाइट पर भी उपलब्ध है.

 1) महामारी (Epidemic) और विश्वव्यापी महामारी (Pandemic) में क्या अंतर है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन की बुधवार को हुई घोषणा से पहले कोरोनावायरस को ‘महामारी’ कहा जा रहा था, यानी एक ही समय में यह बीमारी अनेक समुदायों और अनेक लोगों में फैल रही थी.

लेकिन इसे ‘विश्वव्यापी महामारी’ के रूप में परिभाषित कर दिए जाने का अर्थ है कि अब आधिकारिक तौर पर मान लिया गया है कि यह बीमारी पूरी दुनिया में फैल रही है. यह ख़बर बीमारी के ख़तरनाक ढंग से फैलने के बावजूद कुछ देशों द्वारा ठोस कार्रवाई के अभाव में विश्व स्वास्थ्य संगठन की चिंता भी दर्शाती है.

साथ ही यह भी नज़र आता है कि आने वाले दिनों में प्रभावित देशों, संक्रमित मरीज़ों और मौतों की संख्या और ज़्यादा होने की आशंका है. 

2) क्या मुझे अब कोविड-19 से और ज़्यादा चिंतित होने की ज़रूरत है?

कोविड-19 को विश्वव्यापी महामारी परिभाषित किए जाने का अर्थ यह नहीं है कि बीमारी अब पहले से ज़्यादा घातक हो गई है. इस बीमारी का संक्रमण विश्व व्यापी परिभाषित करने का अर्थ इसके विश्वव्यापी फैलाव को स्वीकार करना है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख टैड्रोस एडेनॉम घेबरेयेसस ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि इस घोषणा से वायरस के ख़तरे के प्रति यूएन एजेंसी की समझ में कोई बदलाव नहीं आया है. ना ही इससे एजेंसी द्वारा किए जा रहे प्रयासों या देशों की कार्रवाई में बदलाव आएगा. 

स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने अनुरोध किया है कि विश्वव्यापी महामारी या ‘Pandemic’ शब्द के बजाय निम्न पांच शब्दों पर ध्यान केंद्रित करना कहीं ज़्यादा ज़रूरी है: 

- रोकथाम (Prevention)
- तैयारी (Preparedness)
- सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public health)
- राजनैतिक नेतृत्व (Political leadership)
- लोग (People)

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह पहली बार है जब कोरोनावायरस के कारण विश्वव्यापी महामारी की घोषणा की गई है.

कोरोनावायरस उन विभिन्न प्रकार के वायरसों का समूह है जो आम तौर पर सर्दी लग जाने के मामूली लक्षणों से लेकर कई अन्य गंभीर बीमारियों का कारण हैं. 

यूएन एजेंसी ने दोहराते हुए कहा है कि सभी देश समन्वित कार्रवाई के ज़रिए इस बीमारी पर क़ाबू पा सकते हैं. उसके मुताबिक यह पहली ऐसी विश्वव्यापी महामारी है जिस पर नियंत्रण किया जा सकता है.  

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक कर्मचारी हाथ साफ़ करने के लिए सेनेटाइज़र का इस्तेमाल करते हुए
UN Photo/Loey Felipe
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक कर्मचारी हाथ साफ़ करने के लिए सेनेटाइज़र का इस्तेमाल करते हुए

3) अब देशों को क्या क़दम उठाने होंगे?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी देशों से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द संदिग्ध मामलों का पता लगाना चाहिए, परीक्षण से पुष्टि के बाद संक्रमित मरीज़ों की देखभाल होनी चाहिए, और उनके संपर्क में आए लोगों को अलग रखकर निगरानी की जानी चाहिए. 

सरकारें जल्द से जल्द क़दम उठाकर इस बीमारी के व्यापक फैलाव पर क़ाबू पा सकती हैं. अब तक 118 देशों और क्षेत्रों में एक लाख 25 हज़ार मामलों की पुष्टि हो चुकी है जिनमें 90 फ़ीसदी से ज़्यादा मामले इन चार देशों से हैं: चीन, इटली, कोरिया गणराज्य और ईरान. 

यूएन एजेंसी का कहना है कि इनमें से दो देशों (चीन और दक्षिण कोरिया) में नए संक्रमित लोगों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है.

81 देशों में अभी तक कोविड-19 का एक भी मामला सामने नहीं आया है और 57 देश ऐसे हैं जहां 10 या उससे कम मामलों की पुष्टि हुई है. 

लेकिन यह चिंता बरक़रार है कि कुछ देश अब भी हालात की गंभीरता के मुताबिक तेज़ी से क़दम नहीं उठा रहे हैं.

स्वास्थ्य संगठन ने विश्वव्यापी महामारी की घोषणा से पहले सरकार के सभी विभागों में समन्वय के साथ पुख़्ता कार्रवाई की पुकार लगाई थी – यानि महज़ स्वास्थ्य क्षेत्र के बजाय अर्थव्यवस्था के हर सैक्टर को इस बीमारी के असर से निपटने के लिए तैयार होना आवश्यक है.

4) मुझे क्या करना चाहिए?

इस महामारी के फैलने से चिंता होना स्वाभाविक है. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अगर आप ऐसे क्षेत्र में हैं जहां कोविड-19 फ़िलहाल नहीं फैल रहा है, या कोरोनावायरस से प्रभावित किसी देश की आपने यात्रा नहीं की है, या किसी संक्रमित मरीज़ के संपर्क में नहीं रहे हैं तो आपको संक्रमण का ख़तरा कम है. 

इसके बावजूद सभी की ज़िम्मेदारी बनती है कि हम अपना और दूसरों का ख़याल रखें. 

•    अपने हाथ बार-बार साबुन का इस्तेमाल करके अच्छी तरह से धोने चाहिए 
•    खाँसते, छींकते और श्वसन संबंधी संक्रमण के लक्षणों वाले लोगों से सीधे तौर पर संपर्क ना रखें 
•    खाँसते व छींकते समय टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें या मुंह और नाक को कोहनी से ढंक लें. इस्तेमाल के बाद टिश्यू पेपर को तत्काल फेंक दें और हाथ धो लें 
•    अपनी आंखों, नाक या मुंह को गंदे हाथों से ना छुएँ 
•    तबीयत ठीक महसूस ना होने पर घर पर ही रहें और अपने डॉक्टर से संपर्क करें

इस वायरस से सभी उम्र के लोग संक्रमित हुए हैं लेकिन ऑंकड़े दर्शाते हैं कि 60 वर्ष या उससे ज़्यादा उम्र के लोगों और पहले से ही बीमारियों (हृदय रोग, डायबिटिज़, श्वसन तंत्र से संबंधित बीमारी, और कैंसर) से जूझ रहे लोगों को विशेष रूप से इस बीमारी से जोखिम ज़्यादा है और उन्हें सावधान रहने की ज़रूरत है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र की अन्य एजेंसियों ने एकजुटता की अहमियत को रेखांकित किया है और महामारी से प्रभावित देशों या लोगों पर दोष मढ़ने या कलंकित करने से बचने को कहा है. 

5) विश्वसनीय जानकारी कहां प्राप्त हो सकती है?

भरोसेमंद जानकारी के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पढ़ें जहां व्यापक जानकारी, सलाह, जोखिम कम करने के उपाय और कोविड-19 से संक्रमित होने की स्थिति में ध्यान रखने योग्य बातों के बारे में विस्तृत सामग्री उपलब्ध है.  

इस वेबसाइट को हर दिन अपडेट किया जा रहा है इसलिए इसे रोज़ाना देखते रहें. साथ ही स्थानीय या क्षेत्रीय स्वास्थ्य एजेंसी, निकाय की आधिकारिक वेबसाइटों पर भी नज़र रखें जहां आपके इलाक़े, समुदायों से संबंधित ख़ास सूचना व जानकारी मुहैया कराई जा सकती है.  

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ऑनलाइन माध्यमों पर इस बीमारी से जुड़े मिथक और धोखाधड़ी की घटनाओं का भी पता चल रहा है.

आपराधिक तत्व इस बीमारी से उपजी स्थिति का इस्तेमाल संवेदनशील जानकारी चुराने में कर रहे हैं, ऐसे में कोई भी संदेश, ईमेल प्राप्त होने पर उसकी प्रामाणिकता की जॉंच करना बेहद अहम है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर एक सैक्शन (myth-buster) इसी पर आधारित है जिसमें बे-सिर-पैर के दावों को ख़ारिज किया गया है. 

जैसे यह ग़लत धारणा है कि ठंडे मौसम में वायरस ख़त्म हो जाता है, गर्म पानी में स्नान करने या लहसुन खाने से संक्रमण की रोकथाम हो सकती है या मच्छर भी यह वायरस फैला सकते हैं. इन दावों का कोई आधार नहीं है.