रोज़गार, शिक्षा और ट्रेनिंग से वंचित युवाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि रोज़गार, शिक्षा और प्रशिक्षण के दायरे से बाहर युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं के इस समस्या से प्रभावित होने की आशंका दोगुना है.
विश्व भर में एक अरब 30 करोड़ से ज़्यादा युवा हैं जिनमें 26 करोड़ 70 लाख से ज़्यादा इस श्रेणी में आते हैं. इनमें दो-तिहाई संख्या (18 करोड़) युवा महिलाओं की है.
The number of young people not in employment, education or training (NEET) is on the rise, according to our latest report. Young women are more than twice as likely as young men to be affected.📊 Read the report here: https://t.co/b4RGYnLZm1 pic.twitter.com/3alholsCeB
ilo
श्रम संगठन की ताज़ा रिपोर्ट “Global Employment Trends for Youth 2020: Technology and the future of jobs” बताती है कि व्यावसायिक ट्रेनिंग के ज़रिए विशिष्ट पेशों के लिए विकसित हुनर जल्द पुराने पड़ रहे हैं इसलिए व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बदलाव लाने पर ज़ोर दिया गया है ताकि डिजिटल अर्थव्यवस्था की बदलती चुनौतियों का सामना किया जा सके.
वर्ष 2016 में 25 करोड़ 90 लाख युवा रोज़गार, शिक्षा और ट्रेनिंग का लाभ नहीं उठा पा रहे थे लेकिन वर्ष 2019 में उनकी संख्या बढ़कर 26 करोड़ 70 लाख हो गई. 2021 में यह 27 करोड़ से ज़्यादा होने का अनुमान व्यक्त किया गया है.
यूएन एजेंसी में रोज़गार और श्रम बाज़ार नीति शाखा की प्रमुख सुक्ति दासगुप्ता ने बताया कि, “इन युवाओं के लिए पर्याप्त संख्या में रोज़गार के अवसर सृजित नहीं हो रहे हैं...अगर हमें टैक्नॉलजी, जलवायु परिवर्तन, असमानता और जनसांख्यिकी से उपजी चुनौतियों का सामना करना है तो हम उनकी प्रतिभा या सीखने में निवेश के व्यर्थ जाने का जोखिम मोल नहीं ले सकते हैं.”
यूएन एजेंसी का कहना है कि बड़ी संख्या में युवा शिक्षा और श्रम बाज़ार से अलग-थलग हो रहे हैं जिससे लंबे समय में उनकी संभावनाओं पर नकारात्मक स्तर पड़ सकता है. साथ ही उनके देशों में सामाजिक व आर्थिक विकास भी प्रभावित होने की आशंका गहराएगी.
रिपोर्ट के मुताबिक जो प्राथमिक और माध्यमिक के बाद तृतीयक (टर्शियरी) शिक्षा को पूरी करते हैं उन्हें ऑटोमेशन के कारण रोज़गार जाने की आंशका से कम जूझना पड़ता है लेकिन श्रम बाज़ार में डिग्रीधारक युवाओं की बहुतायत के कारण उन्हें अन्य प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
जैसे बड़ी संख्या में डिग्रीधारक युवाओं की उपलब्धता के कारण ग्रेजुएट स्तर पर वेतन की कमी देखी गई है.
रिपोर्ट के अनुसार इस स्थिति पर पार पाने के लिए एकीकृत नीति फ़्रेमवर्क, ज़रूरतों के अनुरूप बदलाव लाने में सक्षम प्रशिक्षण प्रणाली की आवश्यकता है जिन्हें सरकार, नियोक्ताओं व श्रमिकों में संवाद के ज़रिए स्थापित किया जा सकता है.