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लैंगिक समानता की दिशा में तेज़ी से क़दम बढ़ाने की पुकार

अफ़ग़ानिस्तान की संसद के निचले सदन में महिला सांसद.
UN Photo/Eric Kanalstein
अफ़ग़ानिस्तान की संसद के निचले सदन में महिला सांसद.

लैंगिक समानता की दिशा में तेज़ी से क़दम बढ़ाने की पुकार

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW) के 64वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा है कि बीजिंग में 25 वर्ष पहले लैंगिक समानता व महिला सशक्तिकरण के जिस संकल्प को लिया गया था उसे असरदार और तेज़ गति से लागू किए जाने की ज़रूरत है. आयोग के 64वें सत्र की उदघाटन बैठक सोमवार को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हुई लेकिन शेष सत्र को कोरोनावायरस के कारण फ़िलहाल स्थगित कर दिया है.

इस अवसर पर सदस्य देशों ने एक राजनैतिक घोषणा को पारित किया है जिसमें 'बीजिंग घोषणापत्र और प्लेटफ़ॉर्म फ़ॉर एक्शन' को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए मज़बूती से क़दम आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया है.  

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अपने संबोधन में यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया को यह स्पष्ट संदेश देने की आवश्यकता है कि महिलाधिकार मानवाधिकार हैं और लैंगिक समानता सभी टिकाऊ विकास लक्ष्यों के मूल में है.

“यह आयोग लैंगिक समानता और महिलाधिकारों की उस मुहिम को और स्फूर्ति प्रदान करने एक अवसर है जो विश्व भर में तेज़ी से आकार ले रही है.”

यूएन प्रमुख ने महिलाओ व लड़कियों के प्रति भेदभाव और लैंगिक असमानता को एक वैश्विक अन्याय क़रार दिया.

उनके मुताबिक कुछ क्षेत्रों में लैंगिक समानता पर प्रगति या तो ठहर गई है या फिर उसकी दिशा उलट गई है.

“लैंगिक समानता मूल रूप से सत्ता से जुड़ा सवाल है. हम पुरुषों के दबदबे वाले एक समाज में रहते हैं और सदियों से ऐसा ही रहा है. सदियों का भेदभाव, गहराई तक घर कर चुकी पितृसत्ता और स्त्री-द्वेष ने हमारी अर्थव्यवस्थाओं, राजनैतिक प्रणालियों और कॉरपोरेशन सत्ता लैंगिक खाई बना दी है. इसे बदला जाना होगा.”

परिवर्तनकारी एजेंडा

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि इसी वर्ष ‘बीजिंग घोषणापत्र और प्लेटफ़ॉर्म फ़ॉर एक्शन’ के 25 साल पूरे हो रहे हैं. ये दोनों पहल लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के लिए दुनिया का सबसे व्यापक और रूपांतरकारी एजेंडा हैं.

“दुनिया भर में हमारे दौर की जटिल चुनौतियों के समाधान की तलाश करने में जुटे देशों के पास टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक रास्ता बीजिंग प्लेटफ़ॉर्म फ़ॉर एक्शन को तेज़ी से लागू करना है.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि पिछले 25 सालों में महिला आंदोलन और ज़्यादा मज़बूत, विविध और व्यापक हुए हैं और वे व्यवस्थागत बदलाव की मांग कर रहे हैं और एक अलग दुनिया के लिए नए विकल्पों को पेश कर रहे हैं.  

इस दिशा में प्रयासों की बागडोर संभालने वाले युवा कार्यकर्ताओं की सराहना करते हुए महासचिव ने कहा कि विश्व को उनकी सख़्त ज़रूरत है क्योंकि बीजिंग में देखा गया सपना अभी अधूरा है.

“रास्ते में रूकावटें व बाधाएं खड़ी करने वालों को पीछे धकेला जाना होगा.”

यूएन प्रमुख ने खेद जताया कि कोरोनावायरस फैलने से उपजे ‘अभूतपूर्व हालात’ के कारण महिलाओं की स्थिति पर आयोग के पूर्ण सत्र को स्थगित करना पड़ रहा है.

“मैं जानता हूं कि दुनिया भर में कार्यकर्ता और महिला संगठन इस निराशा को मेरे साथ महसूस कर रहे हैं. लेकिन मुझे संतोष भी है क्योंकि मैं जानता हूं कि हम लैंगिक समानता के लिए हमारी कटिबद्धता बरक़रार है.”

संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रमुख तिजानी मोहम्मद-बांडे ने कहा कि किसी भी देश ने अब तक सही मायनों में लैंगिक समानता को हासिल नहीं किया है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि 50 फ़ीसदी आबादी को पीछे ना छूटने दिया जाए और हर क्षेत्र में लैंगिक समानता को सुनिश्चित किया जाए.