वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

'महिलाओं के बिना कोई टिकाऊ विकास व शांति नहीं'

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जो मोहम्मद (मध्य दाएँ) पपुआ न्यू गिनी के पोर्ट मोरेस्बी में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौक़े पर निकाले गए एक जुलूस में हिस्सा लेते हुए.
United Nations/Nahla Valji
संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जो मोहम्मद (मध्य दाएँ) पपुआ न्यू गिनी के पोर्ट मोरेस्बी में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौक़े पर निकाले गए एक जुलूस में हिस्सा लेते हुए.

'महिलाओं के बिना कोई टिकाऊ विकास व शांति नहीं'

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कहा है कि अगर दुनिया भर में आधी आबादी (महिलाओं) को अगर पीछे छोड़ दिया जाता है तो विश्व टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने के योग्य नहीं बन पाएगा. उप महासचिव ने रविवार, 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौक़े पर पपुआ न्यू गिनी में ये बात कही.

उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने पपुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी में स्पॉटलाइट इनीशिएटिव का आरंभ होने के मौक़े पर ये बात कही. ये पहल यूरोपीय यूनियन और संयुक्त राष्ट्र ने मिलकर शुरू की है जिसका उदेश्य महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा का ख़ात्मा करना और इसके लिए समय सीमा टिकाऊ विकास एजेंडा 2030 के साथ ही रखी गई है.

Tweet URL

संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि दुनिया भर में हर तीन में से एक महिला अपने जीवन-काल में किसी ना किसी समय हिंसा से प्रभावित होती है. प्रशांत द्वीप के देशों में ये संख्या दो गुना तक हो सकती है.

उप महासचिव ने इस दर को अत्यधिक क़रार देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र सरकारों, साझीदारों, सिविल सोसायटी और आस्था पर आधारित संगठनों के साथ मिल कर काम कर रही है ताकि महिलाओं पर हिंसा को न्यायसंगत ठहराने और उन्हें नुक़सान पहुँचाने को स्वीकार्य बताने वाली अवधारणाओं में तब्दीली लाई जा सके. 

उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कहा, "अगर हम अपनी आधी आबादी को साथ लेकर नहीं चलेंगे तो हम टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल नहीं कर सकते. ध्यान रहे कि ये वैश्विक एजेंडा लोगों, पृथ्वी और ख़ुशहाली के लिए बनाया गया है."

 "अगर हमारी आधी आबादी भय, असुरक्षा और गरिमा के बिना रहती है तो हम ये नहीं कह सकते कि हमने शांति स्थापित कर ली है."

उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद पपुआ न्यू गिनी के लिए संयुक्त राष्ट्र के लिए तीन महिलाओं वाले एक प्रतिनिधिमंडल की सदस्य थीं. इस देश की भौगोलिक स्थिति के कारण इस प्रतिनिधिमंडल ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौक़े पर वहाँ मौजूद रहने के लिए चुना.

दो अन्य महिला प्रतिनिधि थीं - यूएनएड्स की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानीईमा और संयुक्त राष्ट्र की युवा मामलों कि दूत जयथमा विक्रमानायके. इन सभी ने लैंगिक समानता के लिए निकाले गए एक जुलूस में प्रातः छह बजे शिरकत की जिसमें राजधानी पोर्ट मोरेस्बी के गवर्नर पॉवेस पार्कोप और अनेक आम नागरिकों के साथ-साथ अन्य हस्तियों ने भी हिस्सा लिया.

आशा और अवसर   

उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने शाम को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौक़े पर आयोजित एक सरकारी समारोह को संबोधित किया. इसमें उन्होंने पपुआ न्यू गिनी की विविधता के लिए सराहना की: वहाँ के लोगों और वहाँ के प्राकृतिक वातावरण, दोनों में.

उन्होंने विभिन्न स्तरों पर अनेक लोगों के साथ हुई उनकी मुलाक़ातों का ज़िक्र किया जिनमें सरकारी अधिकारी, सिविल सोसायटी, महिला नेत्री, बाज़ारों में महिला कारोबारी और युवा शामिल रहे.

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद पपुआ न्यू गिनी के पोर्ट मोरेस्बी में स्पॉटलाइट इनीशिएटिव का आरंभ होने के अवसर पर. (मार्च 2020)
United Nations
संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद पपुआ न्यू गिनी के पोर्ट मोरेस्बी में स्पॉटलाइट इनीशिएटिव का आरंभ होने के अवसर पर. (मार्च 2020)

उप महासचिव ने कहा कि देश के सभी क्षेत्रों की महिलाओं के साथ बातचीत में उन्होंने जाना कि किस तरह से हिंसा, असुरक्षा और विवादों व संघर्षों ने उनके समुदायों को प्रभावित किया है. इतना ही नहीं, इन महिलाओं से ये भी जाना की किस तरह वो शांति स्थापना के लिए काम कर रही हैं.

उप महासचिव ने कहा, "इन सभी वार्तालापों में एक एक अहम मुद्दा नज़र आया और वो था - महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाकर उन्हें नेतृत्व वाले पदों पर बिठाने, उन्हें ग़रीबी से निकालने और उन्हें किसी भी तरह के नुक़सान से बचाने के लिए तात्कालिकता की दरकार."

आमिना जे मोहम्मद ने आशा संकेतों का भी ज़िक्र किया जो उन्होंने वहाँ देखे. उन्होंने लैंगिक हिंसा से निपटने के लिए सरकारी प्रतिबद्धता का ज़िक्र किया, जिसमें इस मुद्दे को संसद में उठाने के साथ-साथ महिलाओं व लड़कियों की हिफ़ाज़त के लिए बहुत सी व्यवस्थाएँ करना शामिल है.

इसके अलावा पपुआ न्यू गिनी में युवा लोग भी बदलाव देखना चाहते हैं.

यूएन उप प्रमुख सुश्री मोहम्मद ने कहा: "उनके ज़रिए हम एक पीढ़ी में बदलाव देख सकते हैं, और ऐसी अवधारणाओं से दूरी बना सकते हैं जिनमें हिंसा और नुक़सान पहुँचाए जाने को ख़याल रखने व सम्मान जताने बड़ी सामाजिक समरसता के लिए एक नैतिक तरीक़ा समझा जाता है."