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लैंगिक समानता पर दुनिया भर में सुस्त रफ़्तार

बांग्लादेश में कुछ महिलाएँ लिंग समानता के लिए अपनी आवाज़ बुलन्द करते हुए.
© UNICEF/Jannatul Mawa
बांग्लादेश में कुछ महिलाएँ लिंग समानता के लिए अपनी आवाज़ बुलन्द करते हुए.

लैंगिक समानता पर दुनिया भर में सुस्त रफ़्तार

महिलाएँ

महिलाओं की स्थिति व अधिकारों के बारे में 1995 में हुए बीजिंग सम्मेलन के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक समीक्षा रिपोर्ट तैयार की गई है जिसमें लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करने वाली महत्वाकांक्षी योजना ‘बीजिंग प्लैटफ़ॉर्म फ़ॉर एक्शन’ को विभिन्न देशों में किस तरह लागू किया जा रहा है. साथ ही रिपोर्ट में पुरुषों और महिलाओं के बीच ज़्यादा समानता और न्याय सुनिश्चित करने का भी आहवान किया गया है.

रिपोर्ट में लैंगिक समानता के क्षेत्र में धीमी रफ़्तार वाली प्रगति देखी गई है और रिपोर्ट ध्यान दिलाती है कि लिंग समानता के क्षेत्र में जो प्रगति अभी तक हासिल की गई है, वो व्यापक रूप में मौजूद असमानता, जलवायु संकट, संघर्षों और बहिष्करण वाली राजनीति के कारण पलटती नज़र आ रही है.

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रिपोर्ट में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने वाले क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए ठोस कार्रवाई के अभाव की तरफ़ भी ध्यान खींचा गया है.

साथ ही रिपोर्ट आगाह भी करती है कि दुनिया भर में सभी महिलाओं और लड़कियों के वजूद को दर्ज करके उन्हें प्राथमिकता पर रखने वाले उपाय नहीं किए जाते हैं तो बीजिंग प्लैटफ़ॉर्म फ़ॉर एक्शन को ठोस रूप में कभी भी लागू नहीं किया जा सकेगा.

लैंगिक समानता में सभी देश पीछे

संयुक्त राष्ट्र की महिला संस्था – यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक फ़ुमज़िली म्लाम्बो न्गक्यूका का कहना है, “महिलाधिकारों की समीक्षा दिखाती है कि कुछ प्रगति हासिल करने के बावजूद, कोई भी देश ऐसा नहीं है जहाँ लिंग समानता हासिल कर ली गई हो.”

उन्होंने कहा कि समानता का मतलब केवल ये नहीं है कि सत्ता से संबंधित केवल एक चौथाई सीटें महिलाओं के लिए छोड़ दी जाएँ, जबकि दुनिया भर में महिला प्रतिनिधित्व के मामले में ऐसी ही स्थिति है.

संसदों में 75 प्रतिशत सीटों पर पुरुष विराजमान हैं और प्रबंधन संबंधी पदों पर 73 प्रतिशत पुरुषों का नियंत्रण है.

साथ ही जलवायु परिवर्तन वार्ताकारों के पदों में से 70 प्रतिशत पर पुरुष शांतिरक्षा की अधिकतर भूमिकाओं में पुरुष ही विराजमान हैं.

यूएन वीमैन प्रमुख ने कहा कि बराबरी के लिए आधा हिस्सा होना ज़रूरी है और बराबरी से कम कुछ नहीं होना चाहिए.

बदलाव संभव है

रिपोर्ट ये भी दिखाती है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सकारात्मक बदलाव संभव हैं. इसके लिए दुनिया भर में चल रहे महिला समर्थक आंदोलनों का भी हवाला दिया गया है.

इनमें महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों के लिए जवाबदेही तय करने में सफलता; महिलाओं के अधिकारों को संभव बनाने वाली सार्वजनिक सेवाएँ बढ़ाने के अलावा, गर्भ निरोध व बच्चों की देखभाल के साधनों की उपलब्धता बढ़ाना, घरेलू हिंसा में कमी लाना और राजनीति व शांति रक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना जैसे आंदोलन शामिल हैं.

Women's Rights in Review नामक ये रिपोर्ट बीजिंग प्लैटफ़ॉर्म पारित होने के बाद से हुई प्रगति की ओर भी ध्यान दिलाती है.

इनमें ज़्यादा संख्या में लड़कियों का स्कूली शिक्षा हासिल करना, प्रसव के दौरान कम महिलाओं की मौत, संसदों में ज़्यादा महिलाओं का प्रतिनिधित्व और महिलाओं की समानता की हिमायत करने वाले क़ानूनों की ज़्यादा संख्या जैसे मुद्दे शामिल हैं.

म्लाम्बो न्गक्यूका का कहना है, “वर्ष 2020 महिलाओं और लड़कियों की मौजूदा और भविष्य की पीढ़ियों के वास्ते परिस्थितियों को बदलने के लिए एक असाधारण अवसर मुहैया कराता है.”

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए ये भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र के कार्रवाई दशक के दौरान इस क्षेत्र में प्रगति हासिल करने के लिए यूएन वीमैन द्वारा चलाई जा रही Generation Equality नामक अभियान की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया.

इस अभियान से महिलाओं और लड़कियों के लिए ज़्यादा बराबरी संभव बनाने की दिशा में व्यापक प्रभाव वाले परिणाम हासिल करने का इरादा है.

2020: लैंगिक समानता के लिए मील का पत्थर

वर्ष 2020 में बीजिंग सम्मेलन की 25वीं वर्षगाँठ मनाए जाने के अलावा ये गतिविधियाँ भी आयोजित होंगी:

  • महिलाओं की स्थिति पर आयोग का 64वाँ सत्र
  • मैक्सिको में मई में और फ्रांस में जुलाई में Generation Equality फ़ोरम
  • सितंबर में महासभा के 75वें सत्र में लैंगिक समानता मुद्दे पर उच्च स्तरीय बैठक
  • महिलाओं, शांति व सुरक्षा पर सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1325 की 20वीं वर्षगाँठ – अक्टूबर में
  • टिकाऊ विकास लक्ष्यों का पाँच वर्षीय पड़ाव
  • यूएन वीमैन संस्था के वजूद में आने की 10वीं वर्षगाँठ