दुनिया भर में 90 प्रतिशत लोग महिलाओं के लिए पूर्वाग्रह व भेदभाव से ग्रस्त

लिंग समानता में अंतर को दूर करने के क्षेत्र में पिछले दशकों में हुई प्रगति के बावजूद अब भी लगभग 90 प्रतिशत पुरुष व महिलाएँ ऐसे हैं जो महिलाओं के ख़िलाफ़ किसी ना किसी तरह का पूर्वाग्रह रखते हैं. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की एक ताज़ा रिपोर्ट में ये आँकड़े सामने आए हैं जो गुरूवार को प्रकाशित हुई.
यूएनडीपी की अपनी तरह की इस पहली रिपोर्ट का नाम है - Gender Social Norms Index और इसमें 75 देशों में आँकड़ों का अध्ययन किया गया है. इन देशों में विश्व की लगभग 80 फ़ीसदी आबादी बसती है.
According to @HDRUNDP’s new Gender Social Norms Index, nearly 90% of men & women hold some sort of bias against women. #CheckYourBias and join #GenerationEquality to make your voice heard: https://t.co/ktXOI8PYsa#GenerationEquality #IWD2020 #InternationalWomensDay pic.twitter.com/ySmTEImpAg
UNDP
इन आँकड़ों के विश्लेषण में पाया गया है कि महिलाओं को समानता हासिल करने के मामले में बहुत सी अदृश्य बाधाओं का सामना करना पड़ता है.
ये आँकड़े व जानकारी सामने आने के बाद अब लिंग समानता के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने की ज़्यादा संभावना नज़र आने की बात कही गई है.
रिपोर्ट में प्रस्तुत किए गए आँकड़ों के अनुसार जिन लोगों की राय शामिल की गई उनमें से लगभग आधे लोगों का ख़याल था कि पुरुष श्रेष्ठ राजनैतिक नेता होते हैं, जबकि 40 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों का विचार था कि पुरुष बेहतर कारोबारी एक्ज़ैक्यूटिव होते हैं इसलिए जब अर्थव्यवस्था धीमी हो तो उस तरह की नौकरियाँ या कामकाज पुरुषों को मिलने चाहिए.
28 से ज़्यादा प्रतिशत लोगों ने पति द्वारा अपनी पत्नी की पिटाई करने को न्यायसंगत ठहराया.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय के अध्यक्ष पैड्रो कॉन्सीकाओ का कहना है, “महिलाओं को भी पुरुषों की ही तरह बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने वाली सुविधाओं तक पहुँच बनाने के लिए हम सभी ने हाल के दशकों में काफ़ी प्रगति की है.”
साथ ही उन्होंने यह भी बताया, “प्राइमरी स्कूलों में दाख़िलों के मामलों में लड़कियों और लड़कों की संख्या में लगभग बराबरी हासिल कर ली गई है और 1990 के बाद से मातृत्व संबंधी बीमारियों से महिलाओं की मौतों में 45 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है.”
मगर उन्होंने ये भी कहा कि लिंग असमानता अब भी अनेक क्षेत्रों में जगज़ाहिर है, ख़ासतौर से ऐसे क्षेत्रों में जहाँ ताक़त से जुड़े संबंधों को चुनौती मिलती हो, वास्तविक लिंग समानता हासिल करने के प्रयासों में ऐसे क्षेत्रों का निर्णायक प्रभाव है.
इस विश्लेषण में ये भी ध्यान दिलाया गया है कि लगभग 30 देशों में महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह में कुछ बदलाव देखा गया है.
कुछ देशों में ये पूर्वाग्रह दूर करने में बेहतरी हुई है, जबकि अन्य देशों में हाल के वर्षों में महिलाओं के प्रति रुख़ और ख़राब हुआ है. इससे संकेत मिलता है कि लिंग समानता के क्षेत्र में हुई प्रगति को टिकाऊ नहीं माना जा सकता.
पैड्रो कॉन्सीकाओ ने कहा, “लिंग समानता के बारे में जद्दोजहद पूर्वाग्रह और भेदभाव की कहानी है.”
ये नई रिपोर्ट ध्यान दिलाती है कि शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे कुछ विकास क्षेत्रों में लिंग असमानता को कम करने के क्षेत्र में हुई कुछ प्रगति के बावजूद आर्थिक, राजनैतिक क्षेत्रों के साथ-साथ कॉर्पोरेशन्स में भी पुरुषों और महिलाओं के बीच विशाल सत्ता खाई मौजूद है.
साथ ही महिलाओं की राजनैतिक और आर्थिक क्षेत्रों में भागीदारी के रास्ते में दरपेश कुछ क़ानूनी बाधाएँ भी दूर हुई हैं.
यूएनडीपी ने एक उदाहरण पेश किया है कि पुरुष और महिलाएँ एक ही तरह से मतदान करते हैं मगर विश्व भर में केवल 24 प्रतिशत संसदीय सीटों पर महिलाओं चुनी गई हैं.
साथ ही दुनिया भर में 193 देशों में से केवल 10 देशों में सरकारों की अध्यक्ष महिलाएँ हैं.
इसके अलावा एक जैसा ही कामकाज करने के लिए महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है और महिलाओं को वरिष्ठ पदों पर पहुँचने के कम अवसर मिलते हैं.
रिपोर्ट में प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में पंजीकृत 500 बड़ी शेयर बाज़ार कंपनियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के कुल पदों में से केवल 6 प्रतिशत पर ही महिलाएँ काम करती हैं.
महिलाएँ पुरुषों की तुलना में ज़्यादा घंटों तक कामकाज करती हैं, फिर भी महिलाओं का बहुत सा कामकाज ऐसा होता है जो वो किसी की देखभाल करने के लिए करती हैं और उन्हें उसका कोई मेहनताना भी नहीं मिलता.
यूएनडीपी ने ध्यान दिलाया है कि वर्ष 2020 बीजिंग घोषणा-पत्र की 25वीं वर्षगाँठ का साल भी है और प्लैटफ़ॉर्म फ़ॉर ऐक्शन (बीजिंग+25) का मौक़ा भी है.
ये घोषणा-पत्र महिला सशक्तिकरण पर अभी तक का सबसे महत्वकांक्षी भविष्यदृष्टा दस्तावेज़ है.
संगठन ने विश्व नेताओं का आहवान किया है कि उन्हें लिंग समानता पर वैश्विक लक्ष्य हासिल करने के लिए अपने प्रयास और कार्रवाई ज़्यादा तेज़ करनी होगी.
यूएनडीपी ने तमाम सरकारों और संस्थानों से आग्रह किया है कि वे महिलाओं के लिए भेदभावपूर्ण मान्यताओं और परंपराओं को बदलने के लिए नई नीतियों का लाभ उठाएँ और इसके लिए शिक्षा, जागरूकता का स्तर बढ़ाने का सहारा लिया जाए.
मसलन, बच्चों की देखभाल वाली ज़िम्मेदारियाँ संभालने के लिए टैक्स को एक बोनस के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, या महिलाओं और लड़कियों को ऐसे क्षेत्रों में कामकाज के अवसर तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है जहाँ अभी तक पुरुषों का प्रभुत्व रहा है, जैसेकि सशस्त्र बल और सूचना प्रोद्योगिकी.