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कोविड-19 का विश्व अर्थव्यवस्था पर भारी असर, अनिश्चितता बरक़रार

न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में कर्मचारियों को फ़ेस मास्क के बारे में ज़रूरी सूचना दी जा रही है.
UN Photo/Loey Felipe
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में कर्मचारियों को फ़ेस मास्क के बारे में ज़रूरी सूचना दी जा रही है.

कोविड-19 का विश्व अर्थव्यवस्था पर भारी असर, अनिश्चितता बरक़रार

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि कोरोनावायरस के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ रहा है और फ़रवरी महीने में ही विनिर्माण क्षेत्र में निर्यात में 50 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है. जिनीवा में व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा आर्थिक ऑंकड़ों के शुरुआती विश्लेषण के मुताबिक चीन में कोविड-19 पर क़ाबू पाने के लिए उठाए गए क़दमों के कारण दिसंबर महीने से उत्पादन में काफ़ी कमी आई है.

दुनिया भर में कोविड-19 के संक्रमण के 92 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं और अब तीन हज़ार से ज़्यादा लोग मौत के मुँह में जा चुके हैं.

पिछले 24 घंटों में चीन में संक्रमण के 120 मामलों का पता चला है जिनमें अधिकतर हुबे प्रांत से हैं जबकि चीन के बाहर 35 अन्य देशों में दो हज़ार से ज़्यादा नए मामलों की पुष्टि हुई है.

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यूएन संस्था में इंटरनेशनल ट्रेड एंड कमोडिटीज़  की प्रमुख पामेला कोक-हेमिल्टन ने बताया कि कोविड-19 से अर्थव्यवस्था को लग रहे झटकों से सबसे ज़्यादा असर योरोपीय संघ (15 अरब 50 करोड़ डॉलर), अमेरिका (पांच अरब 80 करोड़ डॉलर) और जापान (पांच करोड़ 20 करोड़ डॉलर) पर पड़ने की आशंका है.

उन्होंने आगाह किया कि ऐसे सभी विकासशील देश जो अन्य देशों को कच्चा माल बेचने पर निर्भर है, उन्हें गंभीर झटके सहन करने पड़ सकते हैं.

उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर यह माना जाए कि थोड़े समय में स्थिति में सुधार नहीं हो पाएगा तो बहुत संभव है कि इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़े.

चीन पूरी तरह से तैयार उत्पादों और अन्य उत्पादों के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली सामग्रियों (रसायन, औषधि, डिटिजल कैमरा के पुर्ज़ों सहित अन्य सामग्री) का मुख्य आपूर्तिकर्ता देश है.

कोविड-19 से आर्थिक व्यवधान के कारण सप्लाई चेन में बड़ा असर हो सकता है और विश्व की कई कंपनियां आने वाले दिनों में सप्लाई के प्रति चिंतित नज़र आ रही हैं.

यूएन विशेषज्ञों ने कहा कि अगर वायरस बेक़ाबू हो जाए तो फिर चीन के अलावा भारत, अमेरिका और अन्य स्थानों पर भी भारी असर होगा और वो एक बड़ी समस्या होगी.

उनके मुताबिक चीन ने वायरस पर नियंत्रण के लिए ठोस प्रयास किए हैं लेकिन इस प्रक्रिया में अर्थव्यवस्था का भी बलिदान दिया है.

शंघाई से रवाना होने वाले कंटेनर जहाज़ों में भी कमी आई और फ़रवरी 2020 के पहले 15 दिनों में उनकी संख्या प्रति सप्ताह 300 से घटकर 180 रह गई थी. हालांकि इसके बाद दूसरे हिस्से में स्थिति सामान्य होने लगी थी.

पामेला कोक-हेमिल्टन ने अमेरिका पर इसके प्रभाव का ज़िक्र करते हुए कहा कि कोरोनावायरस के आर्थिक प्रभावों पर अनिश्चितता छाई हुई है और देश में लोगों के प्रवेश करने पर पाबंदियां होने और विभिन्न बैठकें स्थगित करने से मांग पर भी असर पड़ रहा है.

“इस क्षण हमें स्पष्टता नहीं है कि यह किस दिशा में जाएगा – बहुत कुछ कोविड-19 पर ही निर्भर करता है; अगर वे एक वैक्सीन बनाने में कामयाब होते हैं तो बहुत अच्छा, आशा है कि यह संकट बेहद जल्द समाप्त हो जाएगा लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसका असर गंभीर हो सकता है.”

मदद का भरोसा

इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक (World Bank) ने एक साझा वक्तव्य जारी कर कोविड-19 महामारी से प्रभावित देशों के प्रति एकजुटता का प्रदर्शन किया है.

वक्तव्य में कहा गया है, “आईएमएफ़ और विश्व बैंक अपने सदस्य देशों को कोविड-19 वायरस के कारण पैदा हुई मानवीय त्रासदी और आर्थिक चुनौती से निपटने में मदद करने के लिए तैयार हैं.”

“हम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और देशीय प्रशासनों के साथ संपर्क में हैं और ख़ासतौर पर उन निर्धन देशों पर ध्यान दे रहे हैं जहां स्वास्थ्य प्रणाली कमज़ोर और लोग सर्वाधिक संवेदनशील हालात में हैं.”

वक्तव्य में कहा गया है कि वायरस पर क़ाबू पाने और भविष्य में इसे फिर से फैलने से रोकने के लिए देशों की स्वास्थ्य निगरानी और देखरेख प्रणाली को मज़बूत बनाना अहम होगा.

लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपात स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संसाधन, नीतिगत परामर्श, और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने की ज़रूरत होगी.