एड्स को हराने के लिए महिलाओं के ख़िलाफ़ भेदभाव का ख़ात्मा ज़रूरी

एड्स पर काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएड्स (UNAIDS) ने ‘शून्य भेदभाव दिवस’ पर कहा है कि एड्स को हराने की लड़ाई को महिलाओं के अधिकारों और उनके साथ होने वाले भेदभाव के सभी रूपों के विरुद्ध संघर्षों से अलग नहीं किया जा सकता. यूएनएड्स की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानयिमा ने इस अवसर पर अपने संदेश में लिंग-आधारित हिंसा, असमानता और असुरक्षा का अंत करने की पुरज़ोर अपील की है.
विश्व भर में 15 से 49 वर्ष के आयु वर्ग में महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण एड्स है.
शून्य भेदभाव दिवस हर वर्ष 1 मार्च को मनाया जाता है और इस साल यूएनएड्स संस्था उन सभी भेदभावों को चुनौती दे रही है जिनका सामना महिलाओं व लड़कियों को करना पडता है.
Today, on Zero Discrimination Day, we are calling for #zerodiscrimination against women and girls."To end AIDS, we must end violence against women and girls, and ensure that women and girls have equal access to education, health & employment," says @Winnie_Byanyima. pic.twitter.com/IPZRQFlwuU
UNAIDS
साथ ही उनके लिए लैंगिक समानता को बढ़ावा देने व सशक्तिकरण की दिशा में प्रयासों के तहत जागरूकता के प्रसार और संसाधन जुटाने पर ज़ोर दिया जाएगा.
कार्यकारी निदेशक ने कहा, “एड्स को हराया जा सकता है लेकिन इसे तभी हराया जाएगा जब हम उन सामाजिक व आर्थिक अन्यायों का भी मुक़ाबला करें जो उसे आगे बढाते हैं, और वैज्ञानिक नवाचारों को प्रोत्साहन दें जिनसे महिलाओं व लड़कियों और एड्स के साथ रह रहे या एचआईवी ग्रस्त होने की आशंका झेल रहे लोगों की की वास्तविक ज़रूरतें पूरी की जा सकें.”
वर्ष 2030 तक एड्स की रोकथाम के लिए लिंग-आधारित हिंसा, असमानता, असुरक्षा का अंत करना अति आवश्यक है.
इसके समानांतर यह भी सुनिश्चित करना होगा कि महिलाओं व लड़कियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के क्षेत्र में बराबरी के अवसर हासिल हों.
“हमें अपने समाजों को बदलना होगा ताकि कोई भी दूसरे दर्जे का का ना रहे, और सभी के मानवाधिकारों का सम्मान हो.”
उन्होंने कहा कि एड्स को तब तक नहीं हराया जा सकता जब तक हाशिए पर पड़े समुदाय, एलजीबीटीआई समुदाय, नशीली दवाएं लेने वाले लोग, यौनकर्मी डर या सामाजिक रूप से स्वीकृत शोषण व हिंसा के माहौल में रहें.
यूएनएड्स संस्था की कार्यकारी निदेशक ने उन सभी सामाजिक न्याय आंदोलनों को अभिवादन किया है जो विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि नारीवाद, मानवाधिकार और शून्य भेदभाव ऐसे मूल्य हैं जो विश्व भर में गहराई से उतरे हुए हैं: वे हमारी मानवता को बयान करते हैं और एड्स को हराने के संघर्ष में उनकी केंद्रीय भूमिका है.