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कम उम्र में शराब व तंबाकू का सेवन है बढ़ती नशाखोरी की वजह

यूक्रेन के ओडेसा में सड़क पर काम करने व रहने को मजबूर बच्चों के लिए बनाए शिविर में रह रहा 19 वर्षीय युवक नशीली दवाओं का सेवन करता है और एचआईवी पॉज़िटिव है.
© UNICEF/Giacomo Pirozzi
यूक्रेन के ओडेसा में सड़क पर काम करने व रहने को मजबूर बच्चों के लिए बनाए शिविर में रह रहा 19 वर्षीय युवक नशीली दवाओं का सेवन करता है और एचआईवी पॉज़िटिव है.

कम उम्र में शराब व तंबाकू का सेवन है बढ़ती नशाखोरी की वजह

क़ानून और अपराध रोकथाम

संयुक्त राष्ट्र समर्थित ‘इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड’ (आईएनसीबी) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में युवाओं में नशीले पदार्थों के बढ़ते इस्तेमाल पर गहरी चिंता जताई है. रिपोर्ट के मुताबिक 16-19 आयु वर्ग में एल्कोहॉल,  तंबाकू और केनेबिस (भांग) का सेवन बालिग होने पर ग़ैरक़ानूनी नशीली दवाओं के इस्तेमाल की आशंका को बढ़ा देता है.

गुरुवार को जारी हुई नई रिपोर्ट दर्शाती है कि नशीले पदार्थों का ग़लत इस्तेमाल और उसके स्वास्थ्य दुष्प्रभाव सबसे ज़्यादा युवाओं में देखने को मिलते हैं.

युवाओं में मादक पदार्थों के बढ़ते इस्तेमाल की चुनौती से निपटने के लिए तथ्यों पर आधारित रोकथाम व उपचार रणनीतियों को अपनाए जाने का आग्रह किया है.

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केनेबिस (भांग) सबसे ज़्यादा इस्तेमाल में लाए जाने वाला पदार्थ है. 15-16 आयु वर्ग में योरोप में इसे सबसे ज़्यादा इस्तेमाल (13.9 फ़ीसदी) में लाया जाता है जिसके बाद अमेरिका (11.6 फ़ीसदी), अफ़्रीका (6.6 प्रतिशत) और एशिया (2.7 प्रतिशत) का स्थान आता है.

आईएनसीबी ने कुछ देशों में भांग के इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी से हटा लिए जाने के फ़ैसले की आलोचना की है.

आईएनसीबी प्रमुख कोर्नेलिस डे योनखीरे का कहना है कि किशोरों व बालिगों के जीवन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रित पदार्थ व नशीली दवाओं की भूमिका जारी है.

“इस मामले पर हमने विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया है और उन देशों में हालात पर हमारी चिंता को रेखांकित किया है जहां भांग जैसे नियंत्रित पदार्थों के ग़ैर-चिकित्सकीय इस्तेमाल की अनुमति दी गई है जो नशीली दवाओं पर संधियों के तहत तय प्रावधानों व निर्धारित दायित्वों के विपरीत हैं.”

रोकथाम, उपचार, शिक्षा

रिपोर्ट में इस समस्या को दूर करने के लिए कई सिफ़ारिशों को भी साझा किया गया है जो मादक पदार्थों व अपराध पर यूएन कार्यालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्थापित अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित हैं.

रोकथाम कार्यक्रमों में परिवारों व अभिभावको पर ध्यान केंद्रित किए जाने की बात कही गई है ताकि वे युवाओं की अच्छे से देखभाल कर सकें.

साथ ही उनके लिए नियम व सीमाएं निर्धारित करने, निजी व सामाजिक मामलों में निपुण बनाने, स्कूलों में स्क्रीनिंग और परामर्श सेवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने और नशीली दवाईयों, तंबाकू, एल्कोहॉल और अन्य पदार्थों तक पहुंच के लिए सख़्त नियम लागू करने पर ज़ोर दिया गया है.

रिपोर्ट बताती है कि रोकथाम कार्यक्रमों को ज़्यादा असरदार बनाने के लिए सरकार का राष्ट्रीय विशेषज्ञता को विकसित करने में निवेश करना होगा. साथ ही उन बदलते रूझानों पर भी नज़र रखनी होगी जो दर्शाते हैं कि मानसिक अवस्था में बदलाव लाने वाली नशीली दवाओं का इस्तेमाल युवा वर्ग किस तरह से कर रहा है.

अफ़ग़ानिस्तान में नशीली दवाओं के कारोबार पर क़ाबू पाना एक बड़ी चुनौती के रूप मे क़ायम है. उदाहरणस्वरूप, देश में अफ़ीम पर आधारित अर्थव्यवस्था का आकार वहां सामान व सेवाओं (गुड्स एंड सर्विसेज़ के कुल निर्यात के मूल्य से भी ज़्यादा है.

वर्ष 2018 में ज़बरदस्त सूखे के कारण ग़ैरक़ानूनी अफ़ीम की खेती के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भूमि घटी थी इसके बावजूद यह बदस्तूर जारी है.

आईएनसीबी ने अफ़ग़ानिस्तान में फलते-फूलते नशीली दवाओं की ग़ैरक़ानूनी अर्थव्यवस्था पर लगाम कसने की अहमियत को दोहराया है. बोर्ड के मुताबिक देश में शांति, सुरक्षा व टिकाऊ विकास सुनिश्चित करने के प्रयासों की यह एक अहम कड़ी है.