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सीरिया: विस्थापितों की दर्दनाक स्थिति पर मानवाधिकार प्रमुख ने जताया क्षोभ

सीरिया में विस्थापितों के लिए बनाए गए एक अस्थाई शिविर में रह रही एक बच्ची.
© UNICEF/Baker Kasem
सीरिया में विस्थापितों के लिए बनाए गए एक अस्थाई शिविर में रह रही एक बच्ची.

सीरिया: विस्थापितों की दर्दनाक स्थिति पर मानवाधिकार प्रमुख ने जताया क्षोभ

मानवाधिकार

सीरिया के पश्चिमोत्तर इलाक़ों में कंपकंपा देने वाली सर्दी में लाखों लोगों को भारी बमबारी के बीच रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि सरकारी सुरक्षा बल जैसे-जैसे अपने सैन्य अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं, लोगों को मजबूरन सुरक्षित इलाक़ों में शरण लेनी पड़ रही है और ऐसे इलाक़ों का दायरा लगातार सिमट रहा है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट के प्रवक्ता रूपर्ट कोलविल ने मंगलवार को कहा कि कोई भी शरणस्थल सुरक्षित नहीं बची है. यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने इदलिब प्रांत में 1 जनवरी 2020 से अब तक 298 आम लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है.

यह उन आख़िरी इलाक़ों में शामिल है जहां विरोधी गुटों का क़ब्ज़ा है जिसे हटाने के लिए सीरियाई सुरक्षा बलों ने एक बड़ा सैन्य अभियान छेड़ा हुआ है.

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मानवाधिकार कार्यालय प्रवक्ता ने बताया, “इनमें से 93 फ़ीसदी मौतों के लिए सीरियाई सरकार और उसके साथी ज़िम्मेदार हैं. बाक़ी 7 प्रतिशत मौतें हथियारबंद गुटों के कारण हुई हैं.”

“अनेक परिवार ऐसे हैं जिन्हें पिछले एक दशक में सीरिया के एक कोने से भागकर दूसरे कोने में शरण लेनी पड़ी है, और यह त्रासदीपूर्ण है कि उन्हें  ये महसूस होने लगा है कि जैसे बम उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा हैं. अंधाधुंध और अमानवीय हमलों को भला कैसे सही ठहराया जा सकता है.”

अधिकांश आम नागरिक हवाई कार्रवाई में मारे गए हैं. यूए मानवाधिकार प्रमुख ने संकट के स्तर को भयावह क़रार दिया है.

यह ‘विश्वास करने से परे बर्बरतापूर्ण’ है कि शरण में रह रही महिलाओं व बच्चों को निशाना बनाया गया. उन्होंने क्षोभ जताते हुए कहा कि लड़ाई के कारण लोगों को ऐसे इलाक़ों में शरण लेनी पड़ रही है जिनका दायरा हर घंटे सिकुड़ रहा है.

“उनके पास जाने के लिए कोई जगह ही नहीं बची है.”

युद्धापराध के आरोप

मानवाधिकार प्रवक्ता के मुताबिक नौ साल से चली आ रही हिंसा में स्कूलों, अस्पतालों, चिकित्सा केंद्रों पर हमले दर्शाते हैं कि ये सब संयोगवश नहीं हो सकता.  

उन्होंने कहा कि अगर ये संयोगवश भी था तो यह दिखाता है कि एहतियात नहीं बरती गई और इसे युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.

सीरिया के लिए गठित स्वतंत्र जांच आयोग जैसी संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त संस्थाएं इन हमलों की जांच करने और पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं. इस आयोग का गठन मानवाधिकार परिषद ने किया था.

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने सचेत किया है कि पश्चिमोत्तर इलाक़ों में 40 लाख से ज़्यादा लोगों में 20 लाख से अधिक बच्चे हैं और उनमें से लगभग 18 लाख को किसी ना किसी रूप में मानवीय सहायता की आवश्यकता है.

यूनीसेफ़ के मुताबिक तेज़ होती हिंसा से बचने के लिए नौ लाख से ज़्यादा लोग हिंसाग्रस्त इलाक़े छोड़ कर भाग गए हैं.

1 दिसंबर 2019 से अब तक पांच लाख से अधिक बच्चे जबरन विस्थापन का शिकार हुए हैं.

जनवरी 2020 में ही 77 बच्चे हताहत हुए हैं.

संयुक्त राष्ट्र की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर का मानना है कि पश्चिमोत्तर सीरिया में हालात इस तरह जारी नहीं रह सकते और इसलिए उन्होंने हिंसा रोकने की पुकार लगाई है.