टिड्डियों के झुंड से फ़सलों को भारी नुक़सान, खाद्य सुरक्षा को ख़तरा

पूर्वी अफ़्रीका के देशों में लाखों-करोड़ों टिड्डियों के झुंड ने फ़सलों को भारी नुक़सान पहुंचाया है जिससे क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा को ख़तरा पैदा हो गया है. संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को एक चेतावनी जारी करते हुए कहा कि टिड्डियों के क़हर से निपटने के लिए असरदार कार्रवाई करने का समय निकला जा रहा है और समय पर असरदार कार्रवाई नहीं की गई तो एक बड़ा मानवीय संकट पैदा हो सकता है.
पिछले 70 वर्षों में यह पहली बार है जब टिड्डियों ने केनया में इतनी तबाही मचाई है जबकि सोमालिया और इथियोपिया भी पिछले ढाई दशकों में हुई सबसे ज़्यादा हानि का अनुभव कर रहे हैं. इससे लाखों लोगों के लिए फ़सल उत्पादन, खाद्य सुरक्षा और जीवन के लिए जोखिम बढ़ गया है.
यूएन में मानवीय मामलों के वरिष्ठ अधिकारी मार्क लोकॉक ने बताया कि टिड्डियों के झुंड रात भर में सीमा पार कर यूगांडा में प्रवेश कर गए और अब तंज़ानिया व दक्षिण सूडान में सतर्कता बढ़ा दी गई है.
Ethiopia, Kenya and Somalia are being invaded by enormous swarms of desert locusts - the worst infestations in decades. Here is how humanitarians are mobilizing to help 👉🏾 https://t.co/WmlCoXHjCppic.twitter.com/Th38jRVapu
UNOCHA
मार्क लोकॉक ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में जानकारी देते हुए बताया कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां लोग पहले से ही पीड़ा और नाज़ुक परिस्थितियों में रह रहे हैं. उनके लिए एक और बड़े झटके को झेल पाना मुश्किल होगा इसलिए जल्द कार्रवाई की अहमियत पर बल दिया गया है.
“हमारे पास इस मुश्किल को बढ़ने से पहले ही ख़त्म कर देने का एक अवसर है लेकिन फ़िलहाल हम ऐसा नहीं कर रहे हैं. हमारे लिए समय निकला जा रहा है.”
टिड्डियों को दुनिया में सबसे पुराने और विनाशकारी प्रवासी जीव के रूप में देखा जाता है. टिड्डियों के एक दल में औसतन 4 करोड़ जन्तु होते हैं जो एक दिन में 150 किलोमीटर की दूरी तय करके प्रतिदिन तीन करोड़ से ज़्यादा लोगों के लिए पर्याप्त भोजन को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं.
संयुक्त राष्ट्र में केनया के दूत लज़ारुस अमायो ने बताया कि टिड्डियों के मौजूदा आक्रमण से केनया में खाद्य सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा हो रहा है.
“यह चारागाहों के लिए भी एक चुनौती है, विशेष रूप से उन समुदायों के लिए जो पशुपालन पर निर्भर हैं.”
उनके मुताबिक चरवाहों को अब चारे की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान जाना होगा जिससे सामुदायिक हिंसा भड़कने का ख़तरा अंतरनीहित है क्योंकि पशुओं के घास चरने की भूमि पर संघर्ष होना असामान्य बात नहीं है.
टिड्डी दल से फ़सलों को भारी नुक़सान एक ऐसे समय में हो रहा है जब क्षेत्र अभी गंभीर खाद्य असुरक्षा के ख़तरे से उबर ही रहा है और एक के बाद दूसरे झटका झेलना पड़ रहा है.
सोमालिया और सूडान में वर्ष 2017 में अकाल जैसे हालात के जोखिम का सामना किया गया लेकिन स्थानीय समुदायों को पिछले दो वर्षों में कम बारिश, सूखा और बाढ़ भी झेलने पड़े हैं.
यूएन अधिकारी ने बताया कि ऐसी मौसमी घटनाओं से टिड्डियों द्वारा फ़सलों पर हमलों का माहौल बनता है.
“हिन्द महासागर में असाधारण रूप से भारी बारिश और चक्रवाती तूफ़ान की आवृत्ति बढ़ने से टिड्डियों के पनपने की अनुकूल परिस्थितियां तैयार होती हैं.”
टिड्डी दल के नुक़सान से बचाव के लिए यूएन खाद्य एवं कृषि संगठन ने सात करोड़ 60 लाख डॉलर की रक़म जुटाने अपील जारी की है.
इसके तहत अभी तक दो करोड़ डॉलर की सहायता राशि ही प्राप्त हुई है जिसमें क़रीब आधी संयुक्त राष्ट्र के आपात फ़ंड से हासिल हुई है.
खाद्य एवं कृषि संगठन के महानिदेशक क्यू डोन्गयू ने एक वीडियो संदेश में कहा है कि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो दुनिया तेज़ी से विस्तार लेते एक मानवीय संकट को केवल ताक रही होगी.
यूएन में मानवीय राहत मामलों के प्रमुख ने मार्च में बारिश का मौसम शुरू होने से पहले तत्काल कार्रवाई की अहमियत को रेखांकित किया है.
उन्होंने कहा, “मैं सभी देशों, अंतरराष्ट्रीय समुदाय, दानदाताओं से मदद का दायरा बढ़ाने की अपील करता हूं. तबाही का जोखिम है लेकिन हम शायद उसकी रोकथाम कर सकते हैं और हमारा फ़र्ज़ प्रयास करने का है. अगर हम अभी प्रयास नहीं करते तो बाद में ऐसा करने का मौक़ा हाथ से निकल जाएगा.”