कितना बड़ा ख़तरा है कोरोनावायरस?

कोरोनावायरस श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाली एक ऐसी बीमारी का सबब है जो चीन के अलावा 18 अन्य देशों में फैल चुकी है. अभी इस वायरस के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे अंतरराष्ट्रीय चिंता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य एमरजेंसी घोषित कर दिया है.
कोरोनावायरस से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब...
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय चिंता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य एमरजेंसी की घोषणाएं महज़ पांच बार ही की गई हैं.
इस वायरस से संक्रमण का पहला मामला चीन के वूहान शहर में दिसंबर 2019 में सामने आया और अब तक 9,692 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें 1,527 मामलों को गंभीर माना गया है. इस वायरस से 213 लोगों की मौत हो चुकी है,
12 हज़ार मामले संदेह के दायरे में हैं, और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में ऐसे मामलों की संख्या बढ़ने की आशंका है.
कोरोनावायरस से न्यूमोनिया होने का जोखिम रहता है जिससे दुनिया भर में स्वास्थ्य तंत्र में चिंता व्याप्त है.
अब तक कोरोनावायरस के संक्रमण के 18 देशों में 98 मामलों की पुष्टि हुई है जिनमें अधिकांश मामलों में मरीज़ वूहान की यात्रा से लौटे थे.
गंभीर, अनपेक्षित, असाधारण और अचानक फैलने वाली बीमारियों के मामलों के मद्देनज़र अंतरराष्ट्रीय एमरेंजी घोषित की जाती है.
इस घोषणा का असर बीमारी से मुख्य रूप से प्रभावित देश के अलावा अन्य देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है और इसके लिए तत्काल अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता होती है.
अंतरराष्ट्रीय चिंता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य एमरजेंसी की घोषणा के तहत यूएन स्वास्थ्य एजेंसी कुछ अस्थाई सिफ़ारिशें जारी करती है.
ये अनुशंसाएं बाध्यकारी नहीं होती हैं लेकिन व्यावहारिक व राजनैतिक रूप से ऐसे उपायों के रूप में होती हैं जिनसे यात्रा, व्यापार, मरीज़ को अलग रखे जाने, स्क्रीनिंग व उपचार पर असर पड़ता है.
साथ ही यूएन एजेंसी इस संबंध में वैश्विक मानक स्थापित कर सकती है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रोस एडेहेनॉम घेबरेयेसस का कहना है कि मौजूदा हालात में एमरजेंसी घोषित करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि इस संक्रमण के चीन से बाहर फैलने का ख़तरा था, विशेषकर, कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणालियों वाले देशों में, जो इस चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं.
लेकिन स्वास्थ्य संगठन ने अभी ऐसे उपायों की सिफ़ारिश नहीं की है जिनसे यात्राओं और वाणिज्य में अनावश्यक दख़ल हो.
कोरोनावायरस उस वायरस समूह का हिस्सा है जिसमें सामान्य सर्दी-खाँसी से लेकर घातक बीमारियां जैसे ‘Middle East Respiratory Syndrome (MERS-CoV) और Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS-CoV) हो सकती हैं.
नॉवल कोरोनावायरस इस समूह की एक ऐसी क़िस्म है जिसकी अब से पहले इंसानों में शिनाख़्त नहीं हो पाई. MERS वायरस से 850 मौतें हुई थी जबकि SARS के संक्रमण 800 से ज़्यादा लोगों की जान लील गए थे.
इसके लक्षणों में बुख़ार, सूखी खॉंसी से लेकर न्यूमोनिया शामिल हैं जिनसे जान का जोखिम हो सकता है. एक अनुमान के मुताबिक कोरोनावायरस से संक्रमित 20 फ़ीसदी मरीज़ों में गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं.
जिन लोगों को पहले से ही स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलें (जैसे दमा, डायबिटीज़ और हृदयरोग) हैं उनका विशेष रूप से ध्यान रखा जाना ज़रूरी है.
इस वायरस से अब तक 213 लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन पक्के तौर पर कुछ कह पाना अभी जल्दबाज़ी होगी.
हज़ारों लोगों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है और डेढ़ हज़ार से ज़्यादा मामल गंभीर बताए गए हैं.
अब तक वायरस से प्रभावित क़रीब 2 फ़ीसदी मरीज़ों की मौत हुई है जबकि MERS के मामलों में लगभग 35 प्रतिशत मरीज़ों की मौत हो गई थी.
रिपोर्टों के अनुसार वूहान के समुद्री भोजन (Seafood) बाज़ार से यह वायरस फैलना शुरू हुआ, जहां कई प्रकार की मछलियों, रेंगने वाले जंतुओं और अन्य जीवों का व्यापार होता है.
MERS के मामलों में यह स्पष्ट था कि संक्रमित ऊंटों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में आने से यह इंसानों में फैलना शुरू हुआ.
लेकिन कोरोनावायरस के फैलने के कारणों पर अभी पूरी स्पष्टता नहीं है.
यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में मुख्य रूप से वूहान शहर में ही फैला है, जो इस वायरस का केंद्र माना गया है.
लेकिन चीन के अन्य हिस्सों व देश से बाहर भी इसके मामलों का पता चला है.
यह वायरस संक्रमित मरीज़ के नज़दीकी संपर्क में आने से साँस लेने के रास्ते फैल सकता है.
वायरस से संक्रमित किसी जगह को छू लेने से भी यह संक्रमण हो सकता है.
लेकिन अभी यह जानने की कोशिशें हो रही है कि इन परिस्थितियों में वायरस कितने लंबे समय तक जीवित रह सकता है.
इस वायरस के संचारण के संबंध में अभी पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है.
चीन के विशेषज्ञों का कहना है कि जो लोग इस वायरस से संक्रमित होते हैं उनमें लक्षण पूरे तौर पर दिखाई देने से पहले ही यह वायरस अन्य व्यक्तियों में फैल सकता है.
संक्रमण होने से लेकर लक्षण उभरने के बीच की अवधि में एक से 14 दिन का समय लग सकता है.
प्रतिदिन इसके मामल बढ़ना हैरानी भरा नहीं है क्योंकि अब इसके मामलों का पता लगाने और वायरस पर क़ाबू पाने के लिए तेज़ी से प्रयास हो रहे हैं.
आने वाले हफ़्तों में कोरोनावायरस के मामलों की कुल संख्या में और ज़्यादा इज़ाफ़ा हो सकता है.
फ़िलहाल चीन में ही इसके 12 हज़ार से ज़्यादा संदिग्ध मामले बताए गए हैं.
कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए सावधानी बरतना और साफ़-सफ़ाई का ख़याल रखना ज़रूरी है क्योंकि अभी तक रोकथाम का ज़रिया उपलब्ध नहीं है.
ध्यान रखें कि:
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने चीन की यात्रा को सीमित करने संबंधी कोई सिफ़ारिश जारी नहीं की है लेकिन बीमारी के दायरे को नियंत्रित करने के लिए क़दम उठाए जा रहे हैं.
कई देश चीन से अपने नागरिकों को वापस बुलाने के प्रयासों में जुटे हैं और घर वापसी करने वाले लोगों को कुछ समय तक अलग रखे जाने की व्यवस्था की गई है.
रूस ने चीन के साथ लगने वाली 4,300 किलोमीटर लंबी सीमा को बंद करने का निर्णय लिया है.
स्वास्थ्य संगठन ने चीन से कहा है कि हवाई अड्डों पर प्रस्थान द्वारों पर निगरानी व संभावित मरीज़ों के लक्षणों की जाँच की व्यवस्था की जाए.
इसी प्रकार का इंतज़ाम रेलवे और बस स्टेशनों पर करने की सलाह दी गई है.
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले यात्रियों को तत्काल निगरानी में रखना अहम माना गया है.
फ़िलहाल कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है क्योंकि यह एक नया वायरस है.
इसके लिए कोई ख़ास दवाई भी नहीं है लेकिन इससे संक्रमित लोगों में दिखाई देने वाले लक्षणों के आधार पर उपचार किया जा सकता है.
साथ ही इसके उपचार की तलाश के लिए ‘क्लिनीकल ट्रायल’ यानी परीक्षण किए जा रहे हैं.
एंटीबायोटिक्स इसके इलाज में कारगर नहीं हैं क्योंकि वे सामान्यतः बैक्टीरिया पर असर डालती हैं जबकि यह एक वायरस है.
लेकिन अस्पताल में भर्ती कुछ मरीज़ों को एंटीबायोटिक्स दी जा सकती है, बशर्ते इस वायरस संक्रमण के साथ बैक्टीरिया भी एक वजह हो.
यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने बताया है कि वैक्सीन को विकसित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और उसमें प्रगति भी हुई है.
हाल ही में चीन की यात्रा कर लौटे डॉक्टर टैड्रोस घेबरेयेसस ने नॉवल कोरोनावायरस पर क़ाबू पाने के लिए चीन द्वारा उठाए गए क़दमों की सराहना की है.
चीन सरकार ने वूहान में आवाजाही पर सख़्त रोक लगा दी है, शहर का मुख्य एयरपोर्ट बंद कर दिया गया है और अन्य शहरों के लिए परिवहन सीमित कर दिया गया है.
कई देशों ने एयरपोर्ट पर निगरानी की व्यवस्था शुरू की है जिसमें बुखार व खाँसी-ज़ुकाम से पीड़ितों की जाँच की जा रही है.
कई विमान कंपनियों ने मांग में गिरावट को देखते हुए चीन जाने वाली उड़ानों में कटौती की है.
यूएन एजेंसी ने सभी देशों से पुख़्ता तैयारी करने, सक्रिय निगरानी करने, समय रहते मामलों का पता लगाने, मरीज़ों को अलग रखने और वायरस को फैलने से रोकने के लिए ऐहतियाती क़दम उठाने के लिए कहा है.
साथ ही संबंधित डेटा तत्काल उपलब्ध कराने की सलाह दी गई है ताकि इस बीमारी पर क़ाबू पाने के लिए दुनिया को हर तरीक़े से तैयार किया जा सके.
सबसे बड़ा जोखिम एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाला संक्रमण है जो अब तक चीन से बाहर चार देशों – जर्मनी, वियतनाम, जापान और अमेरिका – में सामने आ चुका है.
संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी और चीन के बाहर के देशों में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में इसका फैलना चिंता का सबब है.
वैसे तो चीन से बाहर मामलों की संख्या अपेक्षाकृत कम है लेकिन इसका दायरा व्यापक होने की आशंका है, विशेषकर कमज़ोर स्वास्थ्य तंत्रों वाले देशों में इसका फैलना एक बड़े संकट का कारण बन सकता है.