सीरिया में बड़ी मानवीय त्रासदी टालने के लिए 'हिंसा को रोकना होगा'

संयुक्त राष्ट्र के आपात राहत समन्वयक मार्क लोकॉक ने सुरक्षा परिषद को सीरिया में स्थिति से अवगत कराते हुए कहा है कि देश के पूर्वोत्तर इलाक़े में महिलाएं व बच्चे बदहाल परिस्थितियों में रह रहे हैं और दिनोंदिन उनके लिए हालात बदतर होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सीरिया में लोगों को ऐसा महसूस होने लगा है कि दुनिया ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है.
यूएन आपात राहत प्रमुख ने बुधवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को जानकारी देते हुए कहा, “हाल के दिनों में इदलिब इलाक़े में आपसी संघर्ष तेज़ हुआ है, विशेषकर मारात अल-नुमान, सराक़े और पश्चिमी अलेप्पो में.
उनके मुताबिक़ इन इलाक़ों में हिंसा पहले की तुलना में तेज़ है और पिछले वर्ष की तुलना में कहीं ज़्यादा भी है.
इदलिब में लोगों को महसूस हो रहा है कि वे फंस गए हैं. कई जगहों से बमबारी होती रहती है जिसका उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा है और उन्हें महसूस हो रहा है कि दुनिया ने उन्हें उनके हाल पर बेसहारा छोड़ दिया है.
People in Idleb feel increasingly under siege: bombardment follows them from place to place. They are traumatized and feel totally abandoned by the world. Unless the current hostilities stop, we will see an even greater humanitarian catastrophe. https://t.co/58KfjCchRW
UNReliefChief
यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगर मौजूदा हालात बेहतर नहीं हुए तो फिर इससे भी बड़ी मानवीय त्रासदी होने की आशंका बढ़ जाएगी.
हिंसाग्रस्त इलाक़ों में आम नागरिकों को भारी बमबारी व गोलाबारी से जूझना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने जांच में पाया है कि 15 से 23 जनवरी के बीच हवाई बमबारी और ज़मीनी कार्रवाई में 81 से ज़्यादा महिलाओं व बच्चों की मौत हुई है.
“यह संख्या उन 1,500 मृतकों के अतिरिक्त है जिनकी मौत अप्रैल 2019 में लड़ाई शुरू होने के बाद से हो चुकी है.”
सबसे ज़्यादा ख़राब हालात दक्षिणी इदलिब में होने की ख़बरें मिली हैं जहां सरकारी सुरक्षा बलों ने सैकड़ों हवाई हमले किए हैं. वहीं हथियारबंद गुट भी अलेप्पो पर बम गिरा रहे हैं जिससे नागरिक हताहत हो रहे हैं.
“कई परिवारों को बार-बार घर छोड़ना पड़ रहा है. वे एक सुरक्षित प्रतीत होने वाले स्थान पर बहुँचते हैं, लेकिन वहाँ भी बमबारी शुरू हो जाती है इसलिए उन्हें फिर किसी अन्य स्थान पर जाना पड़ता है.”
तेज़ लड़ाई के बीच मानवीय संगठन 14 लाख आम नागरिकों को भोजन व दो लाख से ज़्यादा लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं.
मार्क लोकॉक ने माना कि सीमापार से मानवीय राहत अभियान जारी रहने की बदौलत आपदा को टालने में मदद मिली है लेकिन आम नागरिक अब भी पीड़ा में हैं.
उन्होंने कठोर शब्दों में कहा कि हिंसा में फंसे लोगों को महसूस हो रहा है कि दुनिया को उनकी फ़िक्र नहीं है.
“वे नहीं समझते कि आख़िर क्यों सुरक्षा परिषद युद्धक्षेत्र में फंसे आम नागरिकों को बचाने के लिए संहार को रोकने में अक्षम साबित हो रही है.”
“उनका आप के लिए संदेश वही है जो मैंने 30 जुलाई को आपको दिया था. ‘हम डरे हुए हैं. कृपया हमारी मदद करिए. इसे रोकिए.’”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस समय तत्काल आवश्यकता आम नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना और मानवीय राहत कार्रवाई का दायरा बढ़ाना है. साथ ही उन्होंने सभी पक्षों से सुरक्षित व निर्बाध ढंग से राहत व ज़रूरी सामग्री पहुंचाने के लिए रास्त खुले रखे जाने की अपील की है.
पूर्वोत्तर सीरिया में हालात को बयान करते हुए उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2018 में सैन्य कार्रवाई शुरू होने के बाद 70 हज़ार लोग अब भी घरेलू रूप से विस्थापित बने हुए हैं.
“इसके अलावा 90 हज़ार लोगों को घरेलू विस्थापितों के लिए बनाए गए कैंपों में रहना पड़ रहा है.” ग़ौरतलब है कि पूर्वोत्तर सीरिया में कुल 18 लाख लोगों को सहायता की आवश्यकता है.
वर्ष 2019 में औसतन साढ़े आठ लाख लोगों को सीरिया में मासिक सहायता दी गई थी.
लेकिन इराक़ के साथ अल यारूबिवाह सीमा चौकी हटाए जाने से यूएन स्वास्थ्य संगठन चिंतित है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता जताई है कि इस वजह से चिकित्सा सेवाओं व आपूर्ति में व्यवधान पैदा हो सकता है.