रोहिंज्या मामले पर आईसीजे का म्याँमार को 'अस्थाई आदेश'

संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने म्याँमार से देश में अल्पसंख्यक रोहिंज्या समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव क़दम उठाने को कहा है. कोर्ट ने गुरूवार को एक 'अस्थाई आदेश' जारी करके जनसंहार के अपराधों से संबंधित तथ्यों को नष्ट होने से बचाने की व्यवस्था करने का भी आग्रह किया. उन उपायों के बारे में पहली रिपोर्ट चार महीने के भीतर और फिर इस मामले में कोर्ट का अंतिम फ़ैसला आने तक हर छह महीने में रिपोर्ट जारी करके इन उपायों का ब्यौरा कोर्ट को देने का भी आदेश दिया गया है...
एक, सर्वसम्मत - म्याँमार गणराज्य – जनसंहारक अपराधों की रोकथाम व उनके लिए दंडित करने वाले कन्वेंशन के तहत अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए, अपने क्षेत्र में रोहिंज्या समुदाय के सदस्यों के संबंध में – कन्वेंशन के अनुच्छेद 2 के दायरे में वर्णित तमाम गतिविधियों को होने से रोकने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र में संभव सभी कार्रवाई करेगा. इनमें विशेष रूप से ये गतिविधियाँ शामिल हैं:
समुदाय के सदस्यों की हत्या, समुदाय के सदस्यों को गंभीर शारीरिक या मानसिक नुक़सान, समुदाय के सदस्यों के लिए जानबूझ कर ऐसे हालात बनाना जिनके कारण उनके वजूद को सम्पूर्ण या आंशिक रूप में ख़तरा उत्पन्न हो, और, समुदाय में बच्चों के जन्म को रोकने के इरादे से किए जाने वाले उपाय.
दो, सर्वसम्मत - म्याँमार गणराज्य – अपने क्षेत्र में रोहिंज्या समुदाय के सदस्यों के मामले में – सुनिश्चित करेगा कि उसकी सेना और अनियमित सशस्त्र यूनिटें, जिन्हें सरकार का समर्थन व मार्गदर्शन हासिल हो, और कोई भी संगठन या व्यक्ति जो सरकार के नियंत्रण, निर्देशन और प्रभाव में हों – प्रथम पैरा में वर्णित कोई कार्य ना करें या जनसंहार की साज़िश ना करें व जनसंहार करने , जनसंहार करने की कोशिश और जनसंहार में किसी तरह से शामिल होने के लिए आम लोगों को ना भड़काएँ.
तीन, सर्वसम्मत – म्याँमार गणराज्य - कन्वेंशन के अनुच्छेद-2 में के दायरे में वर्णित गतिविधियों के आरोपों से संबंधित तमाम सबूतों को नष्ट किए जाने से रोकने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करेगा.
चार – सर्वसम्मत – म्याँमार गणराज्य – इस आदेश का पालन करने के लिए किए गए उपायों का ब्यौरा देने के लिए न्यायालय के सामने इस आदेश के चार महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करेगा. और उसके बाद, इस मामले में न्यायालय का अंतिम निर्णय आने तक, हर छह महीने में ऐसी रिपोर्ट पेश की जाएगी.