वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

बेक़ाबू हो रहे बैक्टीरिया का तत्काल उपचार ढूँढे जाने की ज़रूरत

मायकोबैक्टीरियम टीबी बैक्टीरिया का एक कल्पना चित्र. इस बैक्टीरिया पर एंटीबॉयोटिक दवाओं का असर नहीं होता.
CDC/Alissa Eckert, James Archer
मायकोबैक्टीरियम टीबी बैक्टीरिया का एक कल्पना चित्र. इस बैक्टीरिया पर एंटीबॉयोटिक दवाओं का असर नहीं होता.

बेक़ाबू हो रहे बैक्टीरिया का तत्काल उपचार ढूँढे जाने की ज़रूरत

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया भर में ऐसे संक्रमण तेज़ी से उभर रहे हैं जिन पर मौजूदा एंटीबॉयोटिक दवाओं का असर नहीं होता जबकि नई एंटीबॉयोटिक दवाएँ विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र का धन निवेश कम हो रहा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की शुक्रवार को जारी दो नई रिपोर्टों में बताया गया है कि इस समय लगभग 50 नई एंटीबॉयोटिक दवाएँ और 10 बॉयोलोजिक्स विकसित हो रहे हैं.

इनमें से केवल 32 ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्राथमिकता वाले पैथोजेंस को लक्षित करती हैं, उनमें से भी अगर मौजूदा एंटीबॉयोटिक दवाओं के साथ तुलना की जाए तो ज़्यादातर के बहुत सीमित ही फ़ायदे हैं.

प्रतिरोधी संक्रमण पर नई एंटीबायोटिक दवाईयों की जांच.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रोस एडरेनम घेबरेयेसस का कहना है, “एंटीबॉयोटिक दवाओं के बेअसर होने का ख़तरा अब से पहले कभी इतना नहीं देखा गया और समाधानों की तुरंत ज़रूरत है.”

इन रिपोर्टों में ये भी पाया गया है कि एंटीबॉयोटिक दवाओं के क्षेत्र में शोध और उनका विकास मुख्य रूप से लघु और मध्य दर्जे की औद्योगिक इकाइयाँ कर रही हैं क्योंकि बहुत सी बड़ी फ़ार्मास्यूटिकल कंपनियाँ इस मैदान से हट रही हैं.

“एंटीबॉयोटिक दवाओं के बेअसर होने की स्थिति को कम करने के अनेक प्रयास चल रहे हैं लेकिन ऐसे देशों और बड़ी फ़ार्मास्यूटिकल कंपनियों के आगे आने की सख़्त ज़रूरत है जो टिकाऊ तरीक़े से धन का निवेश करके नई दवाएँ बनाने में मदद करें.”

क्लीनिकल शोध की समीक्षा

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिकित्सा शोध समुदाय को ‘बैक्टीरिया रेज़िस्टेंस’ यानी बैक्टीरिया पर दवाओं का असर नहीं होने का कोई इलाज तलाश करने के लिए 2017 में बैक्टीरिया की 12 क़िस्मों और टीबी की एक सूची प्रकाशित की थी जो अधिकतर मौजूदा एंटीबॉयोटिक्स दवाओं के असर से बाहर हो गए थे.

इसलिए उन सभी बैक्टीरिया के कारण मानव स्वास्थ्य ख़तरे में पड़ रहा है.

जिन एंटीबॉयोटिक दवाओं पर फिलहाल शोध चल रहा है, उनमें सिर्फ़ कुछ ही एंटीबॉयोटिक दवाएं ही ग्रैम- नैगेटिव बैक्टीरिया को लक्षित करती हैं जो अनेक दवाओं के लिए प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर चुका है और जो बहुत तेज़ी से फैल भी रहा है.

ग्रैम-नैगेटिव बैक्टीरिया नें एक ई-कोली भी है जो गंभीर, और अक्सर जानलेवा संक्रमण फैलाता है.

ये बैक्टीरिया उन लोगों को निशाना बनाता है जिनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता या तो पूरी तरह विकसित नहीं हुई है या फिर ये किसी कारण कमज़ोर है.

इनमें नवजात शिशु, वृद्ध लोग और कैंसर का इलाज कराने वाले मरीज़ शामिल हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन में एंटीमाइक्रोबॉयल प्रतिरोध विभाग की सहायक महानिदेशक डॉक्टर हानन बाल्ख़ी का कहना था, “ये बहुत महत्वपूर्ण है कि उच्च प्रतिरोधी क्षमता वाले बैक्टीरिया का इलाज विकसित करने के प्रयासों में धन निवेश किया जाए क्योंकि हमारे पास विकल्प समाप्त होते जा रहे हैं.”

“और हमें ये भी सुनिश्चित करना होगा कि जब ये इलाज तैयार कर लिए जाएँ तो वो विश्व भर में उन सभी के लिए उपलब्ध भी हों जिनकी उन्हें ज़रूरत हो.”

पाइपलाइन

क्लीनीकल स्तर से पहले के मामलों पर नज़र डालें तो काफ़ी नवीकरण और विविधता नज़र आती है. विश्व स्वास्थ्य की प्राथमिकता वाले पैथोजेंस का इलाज करने वाले 252 एजेंट विकसित किए जा रहे हैं.

अलबत्ता ये उत्पाद बहुत शुरुआती स्तर पर हैं और अभी उनके सुरक्षित व असरदार होने का परीक्षण होना है.

रिपोर्ट कहती है कि अनुमानों से मालूम होता है कि शरुआती दो से पाँच उत्पाद तो अगले दस वर्षों तक उपलब्ध नहीं हो सकते.

दूसरी तरफ़ एक सकारात्मक ख़बर ये हो सकती है कि टीबी और डायरिया के बैक्टीरिया क्लोस्ट्रीडियम डिफ़िसिल के इलाज के लिए जो एंटीबॉयोटिक एजेंट पाइपलाइन में हैं, उनकी प्रगति काफ़ी संतोषजनक है.

बताया गया है कि इनमें से आधे से ज़्यादा इलाज विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित नवीकरण प्रक्रिया की कसौटी पर खरे उतरते हैं.

इसके बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये स्पष्ट किया है कि ये नए इलाज भर ही बैक्टीरिया के प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर लेने की चुनौती का सामना करने के लिए काफ़ी नहीं होंगे.

संक्रमण को फैलने से रोकने और फैलने के बाद उस पर नियंत्रण करने की प्रक्रिया बेहतर बनाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिक देशों और साझीदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

2025 तक 5 नए उपचार

विश्व स्वास्थ्य संगठन और ड्रग्स फ़ॉर नैगलैक्टेड डिज़ीज़ इनीशिएटिव ने 2025 तक पाँच नए उपचार पूरी तरह से विकसित करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए एक अलाभकारी शोध और विकास संगठन स्थापित किया है जिसका नाम है – वैश्विक एंटीबॉयोटिक शोध और विकास पार्टनरशिप.

ये संगठन प्रतिरोधी संक्रमणों का इलाज कर सकने वाली नई और संवर्धित एंटीबॉयोटिक दवाएं तैयार करेगा. 

ये संगठन उपचार विकसित करने के साथ-साथ सभी को उन उपचारों की टिकाऊ उपलब्धता सुनिश्चित के लक्ष्य अभी 20 देशों में 50 सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के साझीदारों के साथ काम कर रहा है.