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विश्व को ‘युद्ध की विभीषिका’ से बचाने का दस्तावेज़ है - यूएन चार्टर

न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय में चार्टर की प्रतियों के साथ यूएन के वरिष्ठ अधिकारी.
UN Photo/Amanda Voisard
न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय में चार्टर की प्रतियों के साथ यूएन के वरिष्ठ अधिकारी.

विश्व को ‘युद्ध की विभीषिका’ से बचाने का दस्तावेज़ है - यूएन चार्टर

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने भू-राजनैतिक तनावों के बढ़ने और देशों के बीच दरकते भरोसे के इस दौर में सदस्य देशों को यूएन चार्टर के मूल्यों की ओर लौटने के लिए प्रोत्साहित किया है. उन्होंने यूएन चार्टर को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक निर्धारक दस्तावेज़ क़रार दिया जिसके मूल में अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा है.

संयुक्त राष्ट्र की संस्थापक संधि के पारित होने को 75 साल पूरे होने वाले हैं और इसी सिलसिले में यूएन प्रमुख ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद में आयोजित एक बैठक को संबोधित किया.

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“एक ऐसे समय जब दुनिया में पहले से मौजूद दरारों के फटने का जोखिम बढ़ रहा है - हमें बुनियादी सिद्धांतों पर लौटना होगा. हमें उस फ़्रेमवर्क पर लौटना होगा जिसने हमें एक साथ रखा है, हमें अपने घर - यूएन चार्टर पर वापिस लौटना होगा.”

यूएन चार्टर पर जून 1945 में हस्ताक्षर किए गए और इसके ज़रिए भावी पीढ़ियों को युद्ध की विभीषिका से बचाने का वादा किया गया.

अंतरराष्ट्रीय संबंधों की नींव

यूएन चार्टर में सभी लोगों के लिए समान अधिकारों, राष्ट्रीय स्वनिर्णय के अधिकार का सम्मान, विवादों के शांतिपूर्ण निपटाने की आवश्यकता की फिर से पुष्टि की गई है और बल प्रयोग के लिए स्पष्ट नियमावली का उल्लेख है.

महाचसिव ने कहा कि ये मूल्य और उद्देश्य आज भी क़ायम हैं, “ये सिद्धांत कोई रियायत या एहसान नहीं हैं. ये अंतरराष्ट्रीय संबंधों की नींव हैं. ये शांति और अंतरराष्ट्रीय क़ानून का मर्म हैं. इन्होंने बहुत से लोगों की ज़िंदगियां बचाई हैं, आर्थिक व सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ाया है और अहम बात ये है कि एक और विश्व युद्ध में धकेले जाने से रोका है.”

“लेकिन जब भी इन सिद्धांतों की अवज्ञा की गई है, उन्हें ताक पर रखा गया या सही भावना के साथ लागू नहीं किया गया तो उसका नतीजा विनाशकारी रहा है: हिंसक संघर्ष, अराजकता, मौतें, मोहभंग और अविश्वास. हमारी साझा चुनौती यूएन चार्टर के मूल्यों को बरक़रार रखना है और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसके वादे को पूर्ण करना है.”

बहुपक्षवाद को ख़तरे

चुनिंदा वैश्विक हस्तियों के स्वतंत्र समूह - द एल्डर्स, की प्रमुख और आयरलैंड की पूर्व राष्ट्रपति मैरी रॉबिन्सन ने कहा है कि दुनिया के अस्तित्व पर परमाणु प्रसार और जलवायु संकट जैसे ख़तरे मंडरा रहे हैं, लेकिन इन चुनौतियों के जवाब में सामूहिक कार्रवाई दरअसल राष्ट्रवाद और लोकलुभावनवाद के कारण कमज़ोर पड़ रही है.

‘द एल्डर्स’ ने दिसंबर 2019 में एक बयान जारी करके असरदार बहुपक्षवाद की अहमयित को रेखांकित करते हुए इसे सभी विश्व नेताओं के हित में बताया था. यह समूह वर्ष 2007 से शांति, न्याय और मानवाधिकारों के लिए काम कर रहा है.

26 जून 1945 को आयोजित एक समारोह में एक प्रतिनिधिमंडल यूएन चार्टर पर हस्ताक्षर कर रहा है.
UN/Yould
26 जून 1945 को आयोजित एक समारोह में एक प्रतिनिधिमंडल यूएन चार्टर पर हस्ताक्षर कर रहा है.

उन्होंने कहा कि यूएन चार्टर के मूल में यही सहयोगपूर्ण रवैया है और मध्यपूर्व में बढ़ते तनाव के बीच हालात को बेहतर बनाने का प्रभावी तरीक़ा भी.

“मेरी जानकारी के मुताबिक़ ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ का आज चैम्बर को संबोधित करने का कार्यक्रम था और उन्हें अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा में यूएन चार्टर की भूमिका पर बोलना था लेकिन ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ जाने के कारण उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया.”

“यह बेहद खेदजनक है. ऐसे ही समय में सभी सुधीजनों की बात सुनने की ज़रूरत होती है.”

महासचिव गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद के 15 दूतों के लिए अपना एक विशेष संदेश जारी किया है जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि हिंसक संघर्ष की रोकथाम करने और उस पर विराम लगाने में उनकी ख़ास भूमिका है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान और अतीत की असहमतियां मौजूदा ख़तरों का समाधान निकालने में आड़े नहीं आनी चाहिए.

“ऐसा नहीं है कि युद्ध को कभी टाला ना जा सके. यह हमारे चयन पर निर्भर करता है और अक्सर आसानी से ग़लत हिसाब लगा लिए जाने के कारण युद्ध होता है. और शांति भी कभी अपरिहार्य नहीं होती. यह कड़ी मेहनत का नतीजा होती है और हमें यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि यह हमेशा क़ायम रहेगी.”