पोलियो संक्रमण का फैलना जारी, वैश्विक स्तर पर चिंता

स्विट्ज़रलैंड के जिनीवा शहर में स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक बैठक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पोलियो संक्रमण का फैलना जारी रहने पर गहरी चिंता जताई गई है. पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान सहित कई देशों में पोलियो वायरस के मामले सामने आने पर सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी चिंता बरक़रार है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस मुद्दे पर हाल ही में आपात समिति की एक बैठक बुलाई थी जिसके बाद मंगलवार को एक बयान जारी किया गया. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की ज़िम्मेदारी सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी आपात परिस्थितियों पर तकनीकी परामर्श उपलब्ध कराना है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के बयान में कहा गया है, “समिति ने सहमति जताई है कि पोलियो वायरस के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलने का जोखिम अब भी - अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति (PHEIC) है, और अस्थाई अनुशंसाएँ तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई हैं.”
आपात स्थिति की बैठक दिसंबर 2019 में हुई थी. समिति ने ‘वाइल्ड पोलियो वायरस 1’ (WPV1) के मामलों में तेज़ बढ़ोत्तरी पर चिंता व्यक्त की है.
पोलियो के तीन प्रकारों में इस का अभी उन्मूलन नहीं हो पाया है.
11 दिसंबर 2019 तक वैश्विक स्तर पर ‘वाइल्ड पोलियो वायरस 1’ के 113 मामले दर्ज किए गए जबकि 2018 में इसी अवधि में 28 केस सामने आए थे.
सदस्यों ने बताया कि हाल के समय में हुई प्रगति अब उलट गई है क्योंकि 2014 में Public Health Emergency of International Concern का दर्जा दिए जाने के बाद से WPV1 का फैलना अपने उच्चतम बिंदु पर है.
विशेष रूप से पाकिस्तान में संक्रमण व्यापक नज़र आ रहा है और ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत इससे सबसे अधिक प्रभावित है.
पाकिस्तान में कुछ समुदाय वैक्सीन लेने में अनिच्छुक हैं, साथ ही देश में राष्ट्रीय पोलियो कार्यक्रम का राजनैतिकरण एक समस्या के रूप में उभरा है.
पड़ोसी देश अफ़ग़ानिस्तान में भी हालात चुनौतीपूर्ण हैं और दक्षिणी प्रांतों में ज़रूरतमंदों तक वैक्सीन नहीं पहुंच रही है.
ऐसे में मामलों के बढ़ने की आशंका भी देखी जा रही है जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके फैलाव का ख़तरा भी बढ़ जाएगा.
पोलियो उन्मूलन में प्रगति के लिए सभी समुदायों तक वैक्सीन की पहुंच सुनिश्चित करने को अहम बताया गया है.
समिति ने माना है कि संक्रमण की दृष्टि से संवेदनशील घूमन्तू समुदायों तक टीकाकरण कार्यक्रम पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे है और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास व सीमा चौकियों पर सभी उम्र के लोगों को वैक्सीन दी जा रही हैं.
नाईजीरिया में पिछले तीन वर्षों में ‘वाइल्ड पोलियो वायरस 1’ (WPV1) का कोई मामला सामने नहीं आया है और माना जा रहा है कि अफ़्रीकी क्षेत्र को वर्ष 2020 में वाइल्ड पोलियो वायरस से मुक्त घोषित किया जा सकता है.
वैक्सीन दिए जाने के कारण होने वाले पोलियो के मामले चार क्षेत्रों में सामने आए हैं – अफ़्रीका, पूर्वी भूमध्यसागर, दक्षिण पूर्वी एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र.
समिति की पिछली बैठक से अब तक सात नए देशों – चाड, आईवरी कोस्ट, मलेशिया, पाकिस्तान, फ़िलीपींस, टोगो और ज़ाम्बिया - में ये मामले दर्ज किए गए हैं.
समिति के मुताबिक़ इन संक्रमणों का फैलना अभूतपूर्व और चिंताजनक है.
समिति ने कहा है कि ‘वाइल्ड पोलियो वायरस 1’ या वैक्सीन से होने वाले पोलियो से प्रभावित देशों को आधिकारिक रूप से यह घोषणा करनी चाहिए कि इस संक्रमण का फैलाव रोकना उनके लिए राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी एमरजेंसी है.
देश में निवास कर रहे लोगों और यात्रियों को प्रभावित इलाक़ों में इस बीमारी से सुरक्षित बनाने पर ज़ोर देने के अलावा वैक्सीन कवरेज बढ़ाने और सीमा पार आवाजाही के दौरान टीकाकरण की निगरानी करना अहम बताया गया है.