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यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की सुरक्षा की अहमियत दोहराई

ईरान के फ़ार्स क्षेत्र में ससानिद पुरातत्व स्थल जिसे यूनेस्को विश्व विरासत स्थल का दर्जा प्राप्त है.
ICHHTO / B. Sedighi
ईरान के फ़ार्स क्षेत्र में ससानिद पुरातत्व स्थल जिसे यूनेस्को विश्व विरासत स्थल का दर्जा प्राप्त है.

यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की सुरक्षा की अहमियत दोहराई

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की प्रमुख ऑड्रे अज़ोले और ईरान के एक वरिष्ठ राजनयिक के बीच सोमवार को बैठक हुई जिसमें मध्य पूर्व व खाड़ी क्षेत्र में मौजूदा तनाव और हालात से सांस्कृतिक धरोहरों पर पड़ने वाले संभावित असर पर चर्चा की गई.

अमेरिका ने कुछ ही दिन पहले ईरान के एक शीर्ष सैन्य जनरल क़ासिम सुलेमानी को इराक़ की राजधानी बग़दाद में एयरपोर्ट के बाहर एक ड्रोन हमले में मार दिया था. ईरान ने इस कार्रवाई का बदला लेने की बात कही है जिससे दोनों देशों के बीच तनाव व्याप्त है.

यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले और संयुक्त राष्ट्र एजेंसी में ईरानी दूत अहमद जलाली ने इसी तनाव की पृष्ठभूमि में पेरिस में ये आपसी मुलाक़ात की.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने बीते सप्ताहांत अपने एक ट्वीट में ईरान को चेतावनी जारी कर कहा कि बदले की कार्रवाई के तहत अगर किसी अमेरिकी नागरिक या अमेरिकी संपत्ति को नुक़सान पहुंचाया गया तो ईरान में कई सांस्कृतिक महत्व वाले स्थानों सहित अन्य स्थलों को निशाना बनाया जाएगा.

सांस्कृतिक स्थलों की सुरक्षा

महानिदेशक अज़ोले ने बताया कि बैठक में लोगों के बीच शांति और बातचीत को बढ़ावा देने में  सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत की सार्वभौमिकता पर ज़ोर दिया गया.

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का यह कर्तव्य है कि भावी पीढ़ियों के लिए इन स्थलों की रक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करे.

हिंसक संघर्ष के दौरान सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र की दो संधियां मौजूद हैं जिन पर दोनों देशों ने मोहर लगाई है.

सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में सांस्कृतिक संपत्ति के संरक्षण के लिए 1954 में पहली अंतरराष्ट्रीय संधि Convention for the Protection of Cultural Property in the Event of Armed Conflict पारित की गई थी.

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सांस्कृतिक धरोहरों को भारी नुक़सान हुआ जिसके बाद यह संधि मंज़ूर की गई थी.

सांस्कृतिक धरोहरों के उदाहरणों में स्मारक और पुरातात्विक स्थलों के अलावा वास्तुकला, कलाकृतियां, किताबें, वैज्ञानिक संग्रह और कलात्मक, ऐतिहासिक या पुरातात्विक रुचि की अन्य वस्तुएं शामिल हैं.

संधि पर सहमति जताने वाले देश हिंसक संघर्ष के दौरान इन विरासतों को निशाना ना बनाने का संकल्प लेते हैं.

दूसरी संधि 1972 में विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण को लेकर Convention Concerning the Protection of the World Cultural and Natural Heritage मौजूद है.

इस संधि की सबसे अहम विशेषता यह है कि यह "प्रकृति संरक्षण की अवधारणाओं और सांस्कृतिक संपत्ति के संरक्षण" को जोड़ती है और दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर बल देती है.