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बच्चों के लिए बेहद घातक साबित हुआ - सदी का दूसरा दशक

अफ़ग़ानिस्तान के एक गांव में बमबारी में क्षतिग्रस्त अपने स्कूल के बाहर खड़ी एक लड़की.
© UNICEF/Marko Kokic
अफ़ग़ानिस्तान के एक गांव में बमबारी में क्षतिग्रस्त अपने स्कूल के बाहर खड़ी एक लड़की.

बच्चों के लिए बेहद घातक साबित हुआ - सदी का दूसरा दशक

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने कहा है कि विश्व भर में हिंसक संघर्ष पहले से कहीं ज़्यादा अवधि तक खिंच रहे हैं और ज़्यादा संख्या में युवाओं की मौत का कारण बन रहे हैं. यूनीसेफ़ ने सोमवार को बताया कि वर्ष 2010 की शुरुआत से अब तक बच्चों के अधिकार हनन के गंभीर मामलों की संख्या एक लाख 70 हज़ार आंकी गई है यानी पिछले 10 वर्षों में औसतन हर दिन हनन के 45 मामले.

यूनीसेफ़ की प्रमुख हेनरीएटा फ़ोर ने कहा, “बच्चों पर लगातार हमले हो रहे हैं क्योंकि संघर्षरत पक्ष युद्ध के सबसे बुनियादी नियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं: बच्चों का संरक्षण.”

उन्होंने स्थिति की गंभीरता से अवगत कराते हुए कहा कि वर्ष 1989 में बाल अधिकार संधि के पारित होने के बाद हिंसक संघर्ष से पीड़ित देशों की संख्या मौजूदा दौर में सबसे अधिक है.

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सशस्त्र संघर्षों में अब भी बच्चों की मौत हो रही है, वे अपंगता का शिकार हो रहे हैं और उन्हें घर छोड़कर सुरक्षित इलाक़ों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

यूनीसेफ़ प्रमुख ने कहा कि बच्चों के साथ हिंसा के मामले सामने आने पर अक्सर क्षोभ व्यक्त किया जाता है लेकिन बहुत से मामलों को अब भी  प्रमुखता नहीं मिल पाती.

वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र ने बाल अधिकार के गंभीर हनन के 24 हज़ार से अधिक मामलों का सत्यापन किया. इनमें हत्या, अपंगता, यौन हिंसा, अपहरण, मानवीय राहत का अभाव, बाल सैनिकों की भर्ती और स्कूलों व अस्पतालों पर हमले शामिल हैं.

ऐसे मामलों की निगरानी और उन्हें प्रकाश में लाने की व्यवस्था को मज़बूत बनाया गया है फिर भी अनेक मामले पूरी तरह सामने नहीं आ पाते.

इसके बावजूद वर्ष 2010 की तुलना में इन मामलों की संख्या बढ़ गई है.

बच्चों के हिंसा और हमलों का शिकार बनने में वर्ष 2019 में कोई कमी नहीं देखी गई. इस साल के प्रथम छह महीनों में संयुक्त राष्ट्र ने हनन के 10 हज़ार से ज़्यादा मामलों का सत्यापन किया है.

ये मामले कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य, यूक्रेन और सीरिया में दर्ज किए गए हैं.

यूनीसेफ़ ने हिंसा में बच्चों को निशाना बनने से बचाने के लिए सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करने का आग्रह किया है.

साथ ही सदस्य देशों से ये आग्रह भी किया गया है कि वे हिंसा में शामिल पक्षों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करें.