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ख़शोग्जी हत्या मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय.
UN Photo/Cia Pak
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय.

ख़शोग्जी हत्या मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग

मानवाधिकार

सऊदी अरब मूल के पत्रकार जमाल ख़शोग्जी की हत्या के मामले में रियाद की एक अदालत ने पांच अभियुक्तों को मौत की सज़ा और तीन को जेल भेजे जाने का फ़ैसला सुनाया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कोर्ट के निर्णय के बाद मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराए जाने की आवश्यकता दोहराई है.  

सोमवार को एक प्रैस वार्ता में यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने पत्रकारों को बताया कि मामले की पूरी तहकीकात और मानवाधिकार उल्लंघन के लिए जवाबदेही तय करने के लिए जॉंच ज़रूरी है.

‘वॉशिंगटन पोस्ट’ अख़बार में लेखक जमाल ख़शोग्जी अक्टूबर 2018 में तुर्की में सऊदी अरब के वाणिज्यिक दूतावास में कुछ काग़ज़ात एकत्र करने के लिए गए थे. उन्हें तभी अंतिम बार देखा गया था और उसके बाद उनका शव बरामद नहीं हुआ.

सऊदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाली न्यूज़ रिपोर्टों ने तुर्की के जांचकर्ताओं के हवाले से आरोप लगाया है कि जमाल ख़शोग्जी की इमारत के अंदर हत्या कर दी गई और उनका शव नष्ट कर दिया गया.

यूएन प्रवक्ता के अनुसार, “महासचिव ने अभिव्यक्ति की आज़ादी और पत्रकारों की सुरक्षा के प्रति संयुक्त राष्ट्र के संकल्प और मृत्युदंड के विरोध का लंबे समय से चला आ रहा अपना रुख़ दोहराया है.”

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सैद्धांतिक तौर पर मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ है.

एक पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में यूएन प्रवक्ता ने बताया कि मामले की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र को अभी कोई आधिकारिक निवेदन प्राप्त नहीं हुआ है.

न्याय का ‘उपहास’

इस बीच सोशल मीडिया पर संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने रियाद की अदालत द्वारा सुनाए गए निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि इस सज़ा को किसी भी दृष्टि से न्याय नहीं कहा जा सकता.

न्यायेतर और मनमाने ढंग से मौत की सज़ा देने के मामलों पर यूएन की विशेष रैपोर्टेयर एग्नेस कैलामार्ड ने ट्विटर पर अपने संदेशों में कहा कि यह मुक़दमा “जांच, अभियोजन और न्याय का मखौल है.”

ग़ौरतलब है कि अदालत ने विशेष रैपोर्टेयर द्वारा जून 2019 में की गई जांच के नतीजों को ख़ारिज कर दिया था. अपने फ़ैसले में अदालत ने कहा कि हत्या सुनियोजित नहीं थी.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ कैलामार्ड ने लिखा कि ख़शोग्जी की हत्या के लिए आधिकारिक रूप से जो टीम भेजी गई थी उसमें अपराध से लगभग 24 घंटे पहले एक फ़ोरेंसिक डॉक्टर को शामिल किया गया. 

उस डॉक्टर ने शव के टुकड़े कर उसे नष्ट करने के लिए हत्या से दो घंटे पहले बातचीत की. यह दर्शाता है कि घटना को पूरी योजना के साथ अंजाम दिया गया.

साथ ही उन्होंने कहा कि न्याय प्रक्रिया को बाधित करते हुए 18 सऊदी अधिकारी इस्तांबुल में 10 दिन से ज़्यादा समय तक वाणिज्यिक दूतावास में रहे और घटनास्थल से सबूत मिटाते रहे.

स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार व्यवस्था में सबसे बड़ी स्वतंत्र संस्था है. ये दरअसल परिषद की स्वतंत्र जाँच निगरानी प्रणाली है जो किसी ख़ास देश में किसी विशेष स्थिति या दुनिया भर में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है. स्पेशल रैपोर्टेयर स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिए कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतंत्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.