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सीरिया में ताज़ा हिंसा और विस्थापन के बीच लड़ाई रोकने की अपील

सीरिया में बदहाल हालात का सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ा है और उन्हें अपने परिवारों के साथ विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविरों में रहना पड़ रहा है.
© UNICEF/Aaref Watad
सीरिया में बदहाल हालात का सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ा है और उन्हें अपने परिवारों के साथ विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविरों में रहना पड़ रहा है.

सीरिया में ताज़ा हिंसा और विस्थापन के बीच लड़ाई रोकने की अपील

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सीरिया के पश्चिमोत्तर इलाक़े में सैन्य कार्रवाई तेज़ होने के बाद उपजे हालात पर चिंता जताते हुए लड़ाई तत्काल रोके जाने की अपील की है. हिंसा प्रभावित इलाक़ों में लोग नए सिरे से विस्थापित हुए हैं और राहत शिविरों में भीड़ बढ़ने और तापमान गिरने से चुनौतियां बढ़ गई हैं.

महासचिव गुटेरेश के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने सोमवार रात को एक बयान जारी करके कहा कि सैन्य कार्रवाई के स्तर और इलाक़ों को ख़ाली करने के रास्तों से होकर जाते आम नागरिकों पर हमले होने की ख़बरों से यूएन प्रमुख चिंतित हैं.

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“महासचिव ने सभी पक्षों से आम लोगो की रक्षा करने और आवाजाही की स्वतंत्रता बनाए रखने के दायित्व का निर्वहन करने की अपील की है.”

सैन्य कार्रवाई का दायरा बढ़ने से अब तक अनेक लोगों के हताहत होने की रिपोर्टें मिली हैं और 80 हज़ार से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं – इनमें से 30 हज़ार लोगों को पिछले एक हफ़्ते में ही विस्थापन के लिए मजबूर होना पड़ा है.

उन्होंने कहा कि आम लोगों तक मानवीय राहत स्थाई, निर्बाध और सुरक्षित ढंग से पहुंचाने के रास्ते की गारंटी दी जानी चाहिए ताकि संयुक्त राष्ट्र और साझेदार संगठन देश के उत्तरी हिस्से में ज़रूरी सेवाएँ जारी रख सकें.

यूएन प्रमुख ने दोहराया कि सीरिया में हिंसक संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है.

वर्षों से जारी समस्या का एकमात्र समाधान संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में राजनैतिक प्रक्रिया है जिसे सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 के तहत अपनाया जाएगा.

ये प्रस्ताव 2015 में पारित किया गया था और इसमें युद्धविराम और राजनैतिक निपटारे की पुकार लगाई गई है.

बच्चे भुगत रहे हैं ख़ामियाज़ा

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने सीरिया में बच्चों की व्यथा कथा को बयान करते हुए मंगलवार को बताया कि वर्ष 2019 के पहले नौ महीनों में 500 से ज़्यादा बच्चे हताहत हुए थे.

दिसंबर में हताहत होने वाले बच्चों की संख्या 65 आंकी गई है.

मध्य पूर्व और उत्तर अफ़्रीका में यूनीसेफ़ के क्षेत्रीय निदेशक टेड चाएबान ने बताया कि सीरिया में तेज़ होती हिंसा का ख़ामियाज़ा “बच्चों को भुगतना पड़ रहा है.”

हिंसा और विस्थापन में तेज़ी एक ऐसे समय में आई है जब क्षेत्र में तापमान गिर रहा है और ठंडे मौसम में बारिश के कारण हज़ारों परिवारों को उत्तरी हिस्से की ओर पलायन करना पड़ रहा है.

इदलिब शहर के दक्षिण में मारात अन-नुमान के घनी आबादी वाले इलाक़ों में हिंसा बढ़ी है और 11 दिसंबर से दक्षिणी इदलिब, उत्तरी हमा और पश्चिमी अलेप्पो से सवा लाख से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं जिनमें 60 हज़ार बच्चे हैं.

“इन विस्थापनों से उदार मेज़बान समुदायों पर बोझ बढ़ रहा है और शिविरों में भीड़ बढ़ती जा रही है. कई परिवारों को शरण नहीं मिल पाई है और इसलिए उन्हें खुले में सोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.”

सीरिया में हिंसक संघर्ष पिछले नौ वर्षों से जारी है और बच्चों को - बयान ना की जा सकने वाली हिंसा, सदमे और कठिनाईयों से जूझना पड़ रहा है.

शिविरों में शरण पाने वाले लोग भी कई बार विस्थापित हो चुके हैं और सर्दी में जूझ रहे हैं.

यूनीसेफ़ ने कहा है कि प्रभावितों तक मानवीय राहत पहुंचाने का रास्ता खुला रहना चाहिए ताकि सैकड़ों बच्चों को जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराई जा सके.

यूएन प्रमुख के बयान को दोहराते हुए यूनीसेफ़ ने भी सभी पक्षों से दुश्मनी ख़त्म करने और बच्चों को प्राथमिकता देने की अपील की है.

शहर के शहर तबाह

मानवीय राहत कार्यों में समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय (OCHA) ने रेखांकित किया है कि पश्चिमोत्तर सीरिया में 40 लाख महिलाओं, बच्चों और पुरुषों के लिए हालात बदतर हो गए हैं.

इस क्षेत्र में हिंसक झड़पों, बमबारी और हवाई कार्रवाई ने लोगों का जीवन तबाह कर दिया है और बुनियादी ढांचे को भी भारी नुक़सान हुआ है.

“पूरे शहर और गांव मिट्टी में मिल गए हैं और अनेक समुदायों ने ये स्थान ख़ाली कर दिए हैं. सरकारी नियंत्रण वाले इलाक़ों में रह रहे लोगों को अंधाधुंध गोलीबारी का सामना करना पड़ रहा है.”

सर्दी का मौसम स्थिति को और ज़्यादा चुनौतीपूर्ण बना रहा है – कई रातों में पारा गिर कर शून्य के इर्द-गिर्द पास या उससे नीचे पहुंच रहा है और ईंधन की उपलब्धता कम है.

भारी बारिश के कारण स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां पैदा हो रही हैं.