वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

यमन: राहत संगठनों के परिसरों पर हमले की निंदा

संयुक्त राष्ट्र अवर महासचिव व आपात राहत समन्वयक मार्क लोकॉक.
OCHA/Ammar Al-Hajj
संयुक्त राष्ट्र अवर महासचिव व आपात राहत समन्वयक मार्क लोकॉक.

यमन: राहत संगठनों के परिसरों पर हमले की निंदा

मानवीय सहायता

मानवीय सहायता के लिए संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी मार्क लोकॉक ने यमन में तीन अंतरराष्ट्रीय राहत संगठनों के परिसरों पर हुए हमलों की निंदा करते हुए उनकी जांच कराने का आग्रह किया है. पिछले सप्ताहांत हुए इन हमलों में एक व्यक्ति घायल हुआ और संपत्ति को नुक़सान पहुंचा है.

यूएन अवर महासचिव व आपात राहत समन्वयक मार्क लोकॉक ने सोमवार को जारी किए गए अपने वक्तव्य में देश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से, अल डालेए में हुए इन हमलों की निंदा की.

Tweet URL

रिपोर्टों के मुताबिक़ इन हमलों को अज्ञात हमलावरों ने रॉकेट ग्रेनेड के ज़रिए अंजाम दिया.

“इन घटनाओं से यमन में राहतकर्मियों के लिए जोखिम ख़तरनाक ढंग से बढ़ गया है.

12 संगठनों को अल डालेए में राहत कार्यक्रम रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा है जिससे दो लाख 17 हज़ार स्थानीय लोग प्रभावित होंगे.

कई संगठन स्थानीय स्टाफ़ के साथ काम कर रहे हैं ताकि बेहद ज़रूरी गतिविधियाँ जारी रखी जा सकें.”

मार्क लोकॉक ने गहरी चिंता जताई कि यमन के कई हिस्सों में मीडिया पर ऐसी मुहिम चलाई जा रही है जिससे राहत अभियानों के ख़िलाफ़ अफ़वाहें फैल रही हैं और लोगों को भड़काया जा रहा है.

मानवीय राहत कर्मचारी हर महीने एक करोड़ 20 लाख लोगों तक राहत पहुंचाने के काम में जुटे हैं.

उन्होंने कहा कि काम करने के सुरक्षित हालात बनाए रखने में उन्हें स्थानीय प्रशासन पर निर्भर रहना पड़ता है.

यमन को विश्व के सबसे बदहाल मानवीय संकटों के रूप में देखा जाता है.

पिछले पॉंच वर्षों से सऊदी अरब समर्थित सरकारी सुरक्षा बलों और और हूती विद्रोहियों के बीच लड़ाई जारी है.

हिंसा और अस्थिरता के कारण स्थानीय जनसंख्या का 80 फ़ीसदी हिस्सा यानी लगभग दो करोड़ 40 लाख नागरिक मानवीय राहत सामग्री पर निर्भर हैं.