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ख़ुराकों ने दिखाया असर, हैज़ा के मामलों में 60 फ़ीसदी कमी

अदन के एक अस्पताल में हैज़े के मरीज़ का इलाज.
OCHA/Matteo Minasi
अदन के एक अस्पताल में हैज़े के मरीज़ का इलाज.

ख़ुराकों ने दिखाया असर, हैज़ा के मामलों में 60 फ़ीसदी कमी

स्वास्थ्य

दुनिया भर में हैज़ा को ख़त्म करने के उपायों में अच्छी कामयाबी मिलती नज़रआ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुरूवार को ख़बर दी है कि हैज़ा के ख़िलाफ़ चलाई गई अंतरराष्ट्रीय मुहिम की बदौलत इस बीमारी के मामलों में 2018 के मुक़ाबले वर्ष 2019 में 60 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई है.

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि ये ताज़ा घटनाक्रम हेती, सोमालिया और काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य जैसे देशों में हैज़ा को होने से रोकने और हो जाने के बाद उस पर क़ाबू पाने के प्रयासों में एक उत्साहजनक रुझान दिखाता है.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस घेबरेयेसस का कहना है, “हैज़ा से बहुत गंभीर रूप से प्रभावित देशों में इस बीमारी के मामलों पर नियंत्रण पाने में मिली ये कामयाबी दिखाती है कि वैश्विक स्तर पर ज़्यादा एकजुट प्रयास हैज़ा फैलने से रोकने और उसके इलाज में अहम भूमिका निभा सकते हैं.”

“साथ ही इस तरह की कामयाबी हैज़ा की रोकथाम के लिए टीकाकरण अभियानों में एकजुट अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की अहमियत भी दर्शाती हैं.”

ध्यान देने की बात है कि हैज़ा आँतों और पेट में होने वाला एक ऐसा संक्रमण है जो ख़राब भोजन और पानी की वजह से होता है. अगर हैज़ा का समय पर इलाज ना किया जाए तो इस बीमारी से कुछ ही घंटों के भीतर इंसान की मौत भी हो सकती है.

34 देशों से एकत्र किए गए आँकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018 में हैज़ा के लगभग पाँच लाख मामले थे और इस बीमारी से लगभग तीन हज़ार लोगों की मौत हुई थी. ज़्यादातर मामले यमन में दर्ज किए गए जिनकी संख्या तीन लाख 71 हज़ार 326 थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना कि बुनियादी ढाँचे की सटीकता में कमी होने की वजह से ऐसे मामले अक्सर सही तरीक़े से दर्ज नहीं किए जाते हैं.

संगठन का कहना है कि वैसे तो अनेक देशों में अब भी हैज़ा के नए मामले भी दर्ज किए जा रहे हैं, लेकिन हैज़ा के मामलों की कुल संख्या में तेज़ी से कमी होने के आँकड़े सामने आए हैं. हैज़ा के मामलों में कमी का ये रुझान 2018 से लोगर 2019 में भी जारी रहा है.

रोडमैप रणनीति

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि हैज़ा के मामलों में ये कमी दरअसल बड़े पैमाने पर चलाए गए ख़ुराक अभियान की बदौलत संभव हो सकी है.

वर्ष 2018 में 11 देशों को हैज़ा होने से रोकने वाली दवाई की लगभग एक करोड़ 80 लाख ख़ुराकें मुहैया कराई गई. ये दवाई मुँह के ज़रिए पिलाई जाती है.

संगठन ने ज़ोर देकर ये भी कहा है कि लंबे समय के लिए हैज़ा पर क़ाबू पाने के प्रयासों में लोगों को साफ़ पानी की उपलब्धता और स्वच्छता बढ़ानी होगी.  

विश्व स्वास्थ्य संगठन के हैज़ा कार्यक्रम के मुखिया डॉक्टर डोमिनिक लैगरॉस ने हैज़ा की असरदार तरीक़े से रोकथाम और हो जाने के बाद उस पर क़ाबू पाने के लिए 2017 में बनाई गई रणनीति के लिए लगातार समर्थन व संकल्प जारी रखने का आहवान किया है. 

इस रणनति को को वैश्विक रोडमैप के नाम से भी जाना जाता है. इसका उद्देश्य 20 देशों में वर्ष 2030 तक हैज़ा से होने वाली मौतों में 90 प्रतिशत कमी लाना और इस बीमारी को आगे फैलने से रोकना है.   

ये रणनीति देशों का आहवान करती है कि हैज़ा का बहुत शुरुआती स्तर पर पता लगाने और पता लगने पर उसके इलाज की बहुत तेज़ी से व्यवस्था करने, पुख़्ता निगरानी रखने और हैज़ा को होने से रोकने वाली दवाई की ख़ुराकों का समुचित इंतज़ाम करने के साथ-साथ असरदार तालमेल और संसाधनों का सदुपयोग सुनिश्चित करने के प्रबंध किए जाएँ.

दुनिया भर में हैज़ा के मामलों में कमी आने का संबंध बड़े पैमाने पर चलाए गए ख़ुराक अभियान से जुड़ा नज़र आता है. साथ ही देशों द्वारा हैज़ा की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय नीतियों के तहत ग्लोबल रोडमैप को अपनाए जाने का भी इस कामयाबी में बड़ा हिस्सा है.

डॉक्टर डोमिनिक लैगरॉस का कहना था, “दुनिया भर में हैज़ा के मामलों में कमी आने का संबंध बड़े पैमाने पर चलाए गए ख़ुराक अभियान से जुड़ा नज़र आता है. साथ ही देशों द्वारा हैज़ा की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय नीतियों के तहत ग्लोबल रोडमैप को अपनाए जाने का भी इस कामयाबी में बड़ा हिस्सा है.”

उनका कहना था, “हैज़ा को पूरी तरह ख़त्म करने की इस वैश्विक रणनीति के तहत प्रभावित देशों को आपस में जोड़ने के प्रयासों को लगातार मज़बूत करते रहना होगा.”

देशों को यूएन की सहयोग

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि हैज़ा से हर साल लगभग 40 लाख लोग संक्रमित होते हैं और हैज़ा की वजह से हर साल लगभग एक लाख 43 हज़ार लोगों की मौत हो जाती है.

संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियाँ और साझीदार संगठन हैज़ा से प्रभावित देशों को इस तरह का सहयोग व समर्थन देता है जिसके ज़रिए उन्हें हैज़ा की रोकथाम और ये बीमारी हो जाने पर उसका मुक़ाबला करने के ठोस उपाय हो सकें.

वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों के अधिकारियों ने काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, नाईजीरिया, यूगांडा, यमन, ज़ाम्बिया और ज़िम्बाब्वे में हैज़ा फैलने पर उसका सामना करने के उपायों में मदद की थी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हेती, तंज़ानिया और ज़ाम्बिया में हैज़ा की रोकथाम के लिए लंबी अवधि के उपाय करने में सहायता की थी.