धूम्रपान: पुरुष और लड़के छोड़ रहे हैं तंबाकू सेवन

विश्व भर में पिछले दो दशकों के दौरान तंबाकू सेवन के बढ़ते चलन के बाद अब हालात अच्छी तरफ़ मुड़ते नज़र आ रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ताज़ा और चौंकाने वाले आँकड़ों का आकलन करने के बाद कहा है कि अब पहले की तुलना में कम पुरुष और लड़के धूम्रपान कर रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में स्वास्थ्य प्रोत्साहन विभाग के निदेशक डॉक्टर रुएडिगेर क्रेश ने बुधवार को जिनीवा में पत्रकारों से कहा, “पहली बार ऐसा हुआ है कि दुनिया भर में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या में कमी दर्ज की गई है.”
Number of males using tobacco 🌍🌎🌏 on the decline📉, indicating a powerful shift in the global tobacco epidemic: New WHO report https://t.co/j6gocftcsV#NoTobacco 🚭 pic.twitter.com/wWbloH7CYK
WHO
उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में दुनिया भर में तंबाकू सेवन करने वाले पुरुषों की संख्या एक अरब से कुछ ज़्यादा थी.
ये संख्या वर्ष 2004 के मुक़ाबले चार करोड़ ज़्यादा थी. “लेकिन अब पहली बार तंबाकू सेवन में कमी देखी गई है.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि वर्ष 2020 में कम से कम 20 लाख पुरुष ऐसे होंगे जो तंबाकू सेवन छोड़ चुके होंगे और 2025 तक ये संख्या 50 लाख तक पहुँचने का अनुमान है.
डॉक्टर क्रेश ने तंबाकू सेवन करने वाले पुरुषों की संख्या में कमी को दुनिया भर में तंबाकू के विस्तार को कम करने के मिशन में बहुत महत्वपूर्ण पड़ाव क़रार दिया.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि धूम्रपान करने वालों में हर पाँच में से चार पुरुष और एक महिला हैं यानी 20 महिलाएँ भी धूम्रपान करती हैं.
डॉक्टर क्रेश का कहना था कि ये प्रगति दिखाती है कि देशों में राष्ट्रीय स्तर पर किए जाने वाले उपाय असर दिखा रहे हैं.
इनमें धूम्रपान पदार्थों पर ज़्यादा टैक्स लगाने और सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान के लिए नियंत्रित स्थान बनाने जैसे उपाय शामिल हैं. साथ ही बच्चों को धूम्रपान से दूर रखने के लिए अन्य तरह के क़ानूनी उपाय भी शामिल हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों का कहना है कि धूम्रपान के चलन का रुख़ पीछे की तरफ़ मोड़ देने के प्रयासों में सफलता देखकर देशों की सरकारों को भी प्रसन्न और विश्वस्त महसूस करना चाहिए.
इससे साल 2025 तक तंबाकू सेवन में 30 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य हासिल करने में अच्छी कामयाबी मिल सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों का हालाँकि ये भी कहना है कि धूम्रपान करने वाले पुरुषों और लड़कों की संख्या में कमी के बारे में ये उत्साहजनक प्रगति देखने के बावजूद अभी दुनिया अपेक्षित लक्ष्य हासिल करने के लिए सही रफ़्तार पर नहीं है.
ये ध्यान देने की बात है कि हर साल दुनिया भर में 80 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत तंबाकू सेवन से हो जाती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 70 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत सीधे तौर पर तंबाकू सेवन से हो जाती है जबकि लगभग 12 लाख ऐसे लोगों की मौत भी हो जाती है जो ख़ुद तो धूम्रपान नहीं करते है मगर वो धूम्रपान करने वालों के आसपास होने की वजह से इसके दुष्प्रभावों का शिकार हो जाते हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि इसके अलावा तंबाकू सेवन से संबंधित ज़्यादातर मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं.
ये ऐसे देश हैं जहाँ तंबाकू उद्योग बहुत आक्रामक तरीक़ों और गहन मार्केटिंग के ज़रिए लोगों को तंबाकू सेवन करने के लिए निशाना बनाते हैं.
डॉक्टर क्रेश का कहना था, “हम सिर्फ़ कुछ ही लाख की संख्या की कमी के साथ संतुष्ट होकर नहीं बैठ सकते क्योंकि अब भी एक अरब से ज़्यादा लोग तंबाकू सेवन करते हैं. हमें तंबाकू नियंत्रण उपायों को नाटकीय रफ़्तार के साथ बढ़ाना होगा ताकि भविष्य की पीढ़ियों को तंबाकू सेवन से छुटकारा दिलाने के लिए अनुकूल माहौल बनाया जा सके.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2018 के मुक़ाबले 2020 में दुनिया भर में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या लगभग एक करोड़ तक कम होने का अनुमान है जिनमें पुरुष और महिलाएँ दोनों ही शामिल होंगे. वर्ष 2025 तक तंबाकू सेवन छोडने वाले लोगों की संख्या में दो करोड़ 70 लाख की अतिरिक्त वृद्धि हो जाएगी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्ष 2000 से 2025 तक के रुझान बताते हैं कि वर्ष 2010 के मुक़ाबले दुनिया भर में 60 प्रतिशत देशों ने तंबाकू सेवन करने वाले लोगों की संख्या में कमी दर्ज की है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने धूम्रपान सेवन करने वालों पुरुषों की संख्या में कमी को तंबाकू के ख़िलाफ़ संघर्ष में एक मील का पत्थर क़रार दिया.
तंबाकू उद्योग का मुक़ाबला करने के लिए सख़्त क़दम उठाने का श्रेय सरकारों को देते हुए उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन धूम्रपान व तंबाकू सेवन में कमी लाने के लिए देशों की सरकारों के साथ और ज़्यादा निकटता के साथ काम करेगा.
डॉक्टर क्रैश का कहना था कि वैश्विक स्तर पर तंबाकू संवेन करने वालों की संख्या में कमी दिखाती है कि सरकारों को व्यापक व सबूत पर आधारित उपाय और ज़्यादा मज़बूत करने होंगे. ये देश इन उपायों के ज़रिए अपने नागरिकों और समुदायों की बेहतरी कर सकेंगे.