वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

सुव्यवस्थित व सुरक्षित प्रवासन के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना ज़रूरी

गाम्बिया के दो युवक इटली पहुंचने के बाद एक नक्शे को देखते हुए.
© UNICEF/Ashley Gilbertson
गाम्बिया के दो युवक इटली पहुंचने के बाद एक नक्शे को देखते हुए.

सुव्यवस्थित व सुरक्षित प्रवासन के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना ज़रूरी

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ‘अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस’ के अवसर पर कहा है कि तथ्यों के बजाय भय से प्रेरित नीतियों के कारण प्रवासियों ने ऐसी पीड़ाएँ सहन की हैं जिन्हें शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. उन्होंने अपने संदेश अपील की है कि प्रवासन के मुद्दे पर वैश्विक समझौते के लक्ष्यों को वास्तविकता में बदलने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाया जाना चाहिए.

प्रवासी दिवस हर वर्ष 18 दिसंबर को मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार विश्व में 27 करोड़ से ज़्यादा प्रवासी हैं.

यूएन महासचिव ने कहा, “सुरक्षित, सुव्यवस्थित और नियमित प्रवासन सभी के हित में है. और प्रवासन पर राष्ट्रीय प्राथमिकताएँ अंतरराष्ट्रीय सहयोग के ज़रिए हासिल किी जा सकती हैं.”

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दिसंबर 2018 में सदस्य देश 18 महीनों तक चले विचार-विमर्श के बाद ‘ग्लोबल कॉम्पैक्ट’ समझौते पर सहमत हुए थे.

इस समझौते के तहत उन कारणों को दूर करने का ख़ास ध्यान रखा जाएगा जो लोगों को अपने घरों से दूर काम की तलाश में जाने के लिए मजबूर करते हैं.

अंतरराष्ट्रीय प्रवासन एजेंसी (IOM) के कार्यकारी निदेशक एंतोनियो वितोरिनो ने अपने एक लेख में कहा है, “वही समुदाय फलते-फूलते हैं जो बदलाव को अपनाते हैं और उसके अनुसार परिवर्तन लाते हैं. प्रवासी उस बदलाव का अटूट और स्वागतयोग्य अंग हैं.”

उनके मुताबिक़ प्रवासी सुदृढ़ता के पैरोकार भी बन सकते हैं और पर्यावरणीय बदलावों, बेरोज़गारी, राजनैतिक अस्थिरता और प्राकृतिक आपदाओं के समय योगदान दे सकते हैं. लेकिन चुनौतीपूर्ण राजनैतिक माहौल में प्रवासियों को अक्सर ‘बलि का बकरा’ बनाया जाता है और समाज में हर तरह की मुश्किलों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता है.

जुड़ाव की हसरत 

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने अपने एक वीडियो संदेश में कहा: जो भी व्यक्ति प्रवासी बनता है उसके पास अपने घरों व परिवारों को छोड़ने के कारण होते हैं, और इनमें से हर व्यक्ति का सफ़र में अपना विशिष्ट अनुभव होता है. निर्वासन और अपनी जड़ों से जुड़े रहने की हसरत की कहानी.”

यूएन मानवाधिकार प्रमुख का जन्म चिली में हुआ था और उनके पड़दादा ने फ़्रांस से दक्षिण अमेरिकी देश चिली का रुख़ किया था. मिशेल बाशेलेट ने दो बार चिली की राष्ट्रपति के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया.

उन्हें भी कुछ समय के लिए अपना घर छोड़कर किसी अन्य स्थान पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा और इस दौरान उन्हें जो एकजुटता और उदारता का एहसास हुआ, उससे एक नए प्रकार के जुड़ाव व आशा को विकसित कर पाना संभव हुआ.

प्रवासियों के लिए प्रदर्शित उदारता जुड़ाव की हसरत को दर्शाती है - प्रियजनों की देखभाल करना और अपने मित्रों व समुदायों से जुड़ना.

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस पर लोगों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि जो भी चीज़ें हमें जोड़ती हैं, उनकी अहमियत को स्वीकार करने की ज़रूरत है क्योंकि एक साथ आकर ही मतभेदों व संघर्षों से उबरा जा सकता है.

राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंताएं

जैसाकि यूएन प्रमुख ने अपने संदेश में कहा, सभी प्रवासियों को मानवाधिकार संरक्षण मिलना आवश्यक है, और इसका उल्लेख ग्लोबल कॉम्पैक्ट में भी किया गया है.

“इसके बावजूद हम अक्सर प्रवासियों के बारे में नुक़सान पहुंचाने वाली और झूठी कहानियाँ सुनते हैं. और हम अक्सर प्रवासियों को अकथनीय पीड़ाओं को झेलते देखते हैं जो तथ्यों के बजाय भय के कारण बनाई गई नीतियों का नतीजा होती हैं.”

महासचिव गुटेरेश ने सभी नेताओं और लोगों से आग्रह किया है कि ‘ग्लोबल कॉम्पैक्ट में जान फूंकने की ज़रूरत है ताकि प्रवासन सभी के लिए काम करे.’

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने प्रवासियों को निशाना बनाने वाले और नफ़रत से प्रेरित संदेशों व भाषणों की रोकथाम के लिए कार्रवाई का अनुरोध किया है.

प्रवासियों के मानवाधिकारों के लिए विशेष रैपोर्टेयर फ़िलिपे गोन्ज़ालेज मोरालेस ने सचेत किया है कि प्रवासियों और उनका साथ देन वाले लोगों को अपराधी क़रार देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं का ग़लत इस्तेमाल किया जा रहा है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘ग्लोबल कॉम्पैक्ट से’ यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि प्रवासन के हर चरण में मानवाधिकारों का सम्मान हो और उन्हें पूर्ण रूप से लागू किया जाए.