आपात राहत फ़ंड है मानवीय राहत कार्रवाई में 'असरदार निवेश'

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सेंट्रल एमरजेंसी रिस्पॉंस फ़ंड (CERF) को मानवीय राहत कार्यों में एक कारगर निवेश क़रार दिया है. सोमवार को न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में आयोजित एक उच्चस्तरीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बढ़ती आपात ज़रूरतों से निपटने के लिए यह एक सामूहिक संकल्प है और संकटों में फंसे लोगों के लिए आशा और एकजुटता का संदेश भी.
महासचिव गुटेरेश ने कहा, “यह अकेला वैश्विक एमरजेंसी फ़ंड है जो भरोसेमंद, लचीला और हर साल तेज़ी से करोड़ों लोगों तक पहुंचता है.”
"CERF is the only global emergency fund that is fast, predictable & flexible enough to reach tens of millions of people each year. We welcome all contributions, whatever their size." @antonioguterres at @UNCERF High-Level Pledging Event: https://t.co/chI3EA0Plb #InvestInHumanity pic.twitter.com/e27FmaOzS6
UNGeneva
यह फ़ंड यानी कोष 13 साल पहले स्थापित किया गया था और अब तक 104 देशों में जीवनरक्षक सहायता के तहत 6 अरब डॉलर की मदद आबंटित की गई है. इससे लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में सफलता मिली है और अक्सर ऐसा किसी आपात स्थिति के कुछ ही घंटों में सुनिश्चित करना भी संभव हुआ है.
यूएन प्रमुख के मुताबिक़ यह फ़ंड एक ऐसा प्रमुख संसाधन है जो पूरी प्रणाली को एक साथ लाने व मानवीय राहत क्षेत्र में समन्वित ढंग से काम करने में मदद करता है और साझेदार संगठनों के बड़े नेटवर्क के साथ काम करता है, “सेंट्रल फंड में निवेश करना महज़ मानवीय राहत कार्रवाई में निवेश करना र नहीं है बल्कि यह संयुक्त राष्ट्र को बेहतर बनाने में निवेश करना है.”
यूएन प्रमुख ने बताया कि जलवायु संकट के कारण चक्रवाती तूफ़ानों व सूखे की घटनाओं की संख्या और घातकता बढ़ रही है और इस परिदृश्य में आपात फ़ंड इन चुनौतियों से निपटने में हमारे प्रयासों को मज़बूती देता है.
इस आपात कोष से वर्ष 2019 में यमन, अफ़ग़ानिस्तान और कोलंबिया सहित 44 देशों में मदद पहुंचाई गई, “आपात फ़ंड लालफ़ीताशाही प्रक्रियाओं में उलझे बग़ैर बिना देरी के सहायता राशि उपलब्ध कराता है जो कुछ ही दिनों में उपलब्ध हो जाती है. कुछ मामलों में तो आपदा घटने के कुछ घंटों के भीतर ये सहायता उपलब्ध हुई.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त माली और सूडान के साथ-साथ चाड, कैमरून, इसराइल द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़लस्तीनी इलाक़ों और यूक्रेन में इस कोष की मदद से बच्चों को अपनी शिक्षा जारी रखने में मदद मिल रही है. इस वर्ष आपात फ़ंड के ज़रिए साढ़े तीन लाख से ज़्यादा विकलांगों को मदद प्रदान करना प्राथमिकताओं में शामिल किया गया है.
यूएन महासचिव ने बताया कि मानवीय संकट महिलाओं, पुरुषों यानी सभी को प्रभावित करते हैं और आपात फ़ंड इसे पहचानता है.
वर्ष 2019 में कोष से 21 करोड़ 40 लाख डॉलर की धनराशि लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए आबंटित की गई. इस फ़ंड को 52 सदस्य देशों से योगदान मिलता है और यह सभी की तरफ़ से सभी के लिए एक फ़ंड है.
यूएन प्रमुख ने माना कि वर्ष 2005 में स्थापना की तुलना में फ़ंड को अब कहीं ज़्यादा बड़े स्तर पर मुश्किलों से निपटना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि बढ़ती आपात ज़रूरतों से निपटने के लिए यह हमारा एक सामूहिक संकल्प है और संकटों में फंसे लोगों के लिए आशा और एकजुटता का संदेश भी.
यूएन महासचिव ने फ़ंड को तेज़, ज़्यादा दक्ष और कारगर बनाने पर ज़ोर देते हुए सदस्य देशों से अपील की है कि एक अरब डॉलर की रक़म जुटाने का संकल्प पूरा किया जाना चाहिए.
इस आयोजन की अध्यक्षता कर रहे यूएन में आपात मामलों के समन्वयक मार्क लोकॉक ने बताया कि आने वाले समय में बड़ी चुनौतियां देखने को मिल सकती है, “हर 45 में से एक व्यक्ति को हमारी मदद की ज़रूरत होगी. यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है.” इस चुनौती के लिए इस कोष में 29 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी.
इस पृष्ठभूमि में संयुक्त राष्ट्र और साझेदार संगठनों ने वर्ष 2020 तक दस करोड़ से ज़्यादा लोगों की मदद करने का संकल्प रखा है.
उन्होंने कहा कि संकटों का पूर्वानुमान लगाने और डेटा व तथ्यों के आधार पर पहले से तैयारी करना अहम होगा क्योंकि जल्द फ़ंडिंग मिल जाने से सहायता से जुड़ी क़ीमतों को कम किया जा सकता है और गुणवत्तापूर्ण कार्यक्रम को डिज़ायन करना भी संभव है.
इस संबंध में सोमालिया में एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसके तहत भीषण सूखे के प्रभावों का सामना करने के प्रयास हो रहे हैं.
उन्होंने कहा है कि जवाबी कार्रवाई का ख़ाका तैयार करते समय लिंग आधारित हिंसा के मामलों और लंबे समय से चले आ रहे संघर्षों में बच्चों के लिए शिक्षा और अन्य सुरक्षा चिंताओं के बारे में भी सोचा जाना चाहिए.