टिकाऊ विकास के नज़रिए से अहम तकनीकों को बढ़ावा देना ज़रूरी
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (UNDESA) में अवर महासचिव ल्यू झेनमिन ने कहा है कि उन तकनीकों को प्राथमिकता दिया जाना बेहद आवश्यक है जो टिकाऊ विकास के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं. उन्होंने जर्मनी की राजधानी बर्लिन में बुधवार को इंटरनेट गवर्नेंस फ़ोरम की एक बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही.
अवर महासचिव झेनमिन के मुताबिक़ कल्याण के लिए सूचना व संचार की ताक़त को तभी निखारा जा सकता है जब लोगों में उनके प्रति भरोसा हो और डिजिटल जगत में सुरक्षा व स्थिरता का ऐहसास हो.
उन्होंने तकनीकों और इंटरनेट पर ध्यान आकृष्ट करते हुए याद दिलाया कि इसने सूचना को साझा करने की प्रक्रिया को बदल कर रख दिया है, उद्योग जगत में क्रांति आई है, ज़िंदगियाँ बचाई गई हैं और विकास को बढ़ावा मिला है.
लेकिन यह लगातार दर्शाना भी ज़रूरी है कि आर्टिफ़िशियल इंटैलीजेंस और इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स जैसी तकनीकों से वैश्विक लक्ष्यों को पाने में किस तरह मदद मिल सकती है.
उन्होंने कहा कि इंटरनेट और सूचना व संचार तकनीकों से टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी. “हर फ़ोरम की एक अहम भूमिका है - वे एक दूसरे के पूरक हैं.”
लेकिन ये भी सच है कि ये तकनीकें अपने साथ क्षमताओं के अलावा चुनौतियां भी लाती हैं और डिजिटल डिवाइड, सायबर सुरक्षा, इंटरनेट पर निजता और ऑनलाइन माध्यमों पर मानवाधिकारों का उल्लंघन ऐसी ही कुछ नई मुश्किलें हैं.
साथ ही उन जोखिमों को देख पाना संभव नहीं है जिनसे कामकाज का भविष्य, वैश्विक सुरक्षा, लोगों का भरोसा और डिजिटल समाज में जनकल्याण प्रभावित होगा.
इन जोखिमों व चुनौतियों पर क़ाबू पाने और किसी को पीछे ना छूटने देने के लिए महासचिव एंतोनियो गुटेरेश द्वारा डिजिटल सहयोग पर गठित उच्चस्तरीय पैनल की सिफ़ारिशों का पालन करने की सलाह दी गई है.
अवर महासचिव ने कहा कि इंटरनेट गवर्नेंस फ़ोरम को उच्च स्तर पर सरकारों और निजी क्षेत्र के अलावा तकनीकी विशेषज्ञों और नागरिक समाज के साथ संपर्क बनाए रखना होगा.
फ़ोरम के बढ़ते नेटवर्क का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर यह संपर्क बेहद ज़रूरी है ताकि सभी समुदायों में मुद्दों और उपलब्ध संसाधनों को समझा जा सके.
उन्होंने कहा कि इंटरनेट की अपनी जटिलताओं की वजह से अलग-थलग रहकर तरीक़े ढूंढना या समस्याओं और समाधानों को एकीकृत करना संभव नहीं है.
“हमें इन साझेदारियों को उपयुक्त बनाना है और क्षमता विकास के अवसरों का उपयोग करना है.”
मौजूदा दौर की चुनौतियां – बढ़ती असमानता, असमान आर्थिक वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और तेज़ी से हो रहा तकनीकी बदलाव – एक सामूहिक प्रयास और मज़बूत बहुपक्षीय कारर्वाई की आवश्यकता रेखांकित करती हैं.
उन्होंने आशा जताई कि तकनीक से पूरी मानवता को लाभ पहुंच सकता है और टिकाऊ विकास भी संभव बनाया जा सकता है.