महिलाओं पर हिंसा एक बाधा है शांतिपूर्ण भविष्य के रास्ते में
महिलाओं के प्रति हिंसा के उन्मूलन के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिंसा पीड़ितों के प्रति एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए इस मानवाधिकार हनन के अंत की पुकार लगाई है. बलात्कार को मानवाधिकारों का एक ऐसा गंभीर उल्लंघन क़रार दिया गया है जिसके लंबे समय के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की ओर से यूएन की शेफ़ दे कैबिनेट मारिया लुइज़ा रिबेरो वियोटी ने कहा कि हमारे कामकाज के सामान्य दिनों में हर तीन में से एक महिला हिंसा का शिकार होती है.
“कुछ क्षेत्रों में, और महिलाओं के कुछ समूहों के लिए यह दर और भी अधिक है – और यह सिर्फ़ उन हिंसक घटनाओं के बारे में है जिनका पता चल पाता है, इसलिए वास्तविक संख्या तो और भी ज़्यादा होगी.”
रिबेरो वियोटी ने महिलाओं के प्रति हिंसा के उन्मूलन के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर एक समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही है.
इसी के साथ लिंग-आधारित हिंसा के विरुद्ध 16 दिन तक चलने वाली एक मुहिम की भी शुरुआत हुई है.
Violence & abuse against women are among the world’s most horrific human rights violations, affecting 1 in every 3 women in the world.We must take a firm stand against sexual violence.We must show greater solidarity with survivors, advocates & women’s rights defenders. pic.twitter.com/t4oB52oQZ2
antonioguterres
उन्होंने बताया कि तथ्य दर्शाते हैं कि स्त्री-द्वेष के हिंसक स्वरूप और हिंसक चरमपंथ में मज़बूत रिश्ता है जिसके वैश्विक शांति व सुरक्षा के लिए भी दुष्परिणाम हो सकते हैं.
“महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा की एक संस्कृति है जिसके ग़रीबी उन्मूलन और टिकाऊ व समावेशी विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए गंभीर नतीजे हो सकते हैं.”
“हिंसा महिलाओं को जीवन के हर क्षेत्र में उन निर्णयों में भागीदारी करने से रोकती है जिसका उनके जीवन पर असर हो सकता है. टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा में लक्ष्यों को हासिल करने में यह एक अवरोध है.”
बलात्कार को मानवाधिकारों का एक गंभीर उल्लंघन क़रार दिया गया है जिसके लंबे समय के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं.
संयुक्त राष्ट्र की महिला संस्था की कार्यकारी निदेशक पुमज़िले म्लाम्बो-न्गुका ने कहा, “इसके जीवन को बदल देने वाले असर होते हैं जो गर्भावस्था, यौन संक्रामक बीमारियों, लंबे समय तक गहरा सदमा और अनावश्यक शर्मिंदगी हो सकते हैं. कुछ हालात में महिलाओं को उनके प्रियजन बेदख़ल कर देते हैं और समाज की संस्थाओं से भी उन्हें सज़ा मिलती है.”
हिंसक संघर्षों में यौन हिंसा पर यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन इराक़, माली और कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य की यात्राओं के दौरान हिंसा का शिकार कई महिलाओं से मिली हैं.
उनके कार्यालय की भूमिका इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के वृहद प्रयासों का एक अहम हिस्सा है जिसका उद्देश्य युद्ध जितने पुराने इस अपराध को जड़ से उखाड़ फेंकना है.
इस सिलसिले में किए गए प्रयासों में हिंसक संघर्षों में यौन हिंसा के ख़िलाफ़ सुरक्षा परिषद द्वारा प्रस्ताव का पारित होना और उनके कार्यालय की स्थापना शामिल है.
“लंबे समय तक माना जाता रहा है कि इसे टाला नहीं जा सकता लेकिन अब हम समझते हैं कि इसकी रोकथाम की जा सकती है.”
उनके मुताबिक़ कभी इसे सांस्कृतिक और युद्ध के अनिवार्य हिस्से के रूप में देखा जाता है लेकिन अब इसकी अपराध के रूप में निंदा की जाती है.
यूएन ट्रस्ट फ़ंड
वर्ष 1996 से महिलाओं के प्रति हिंसा के अंत के लिए एक यूएन ट्रस्ट फ़ंड को 13 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता दी जा चुकी है और इसके माध्यम से यौन अपराधों पर जागरूकता और पीड़ितों के पुनर्वास प्रयासों को सहारा दिया गया है.
यह पहल नाईजीरिया में स्थित है और इन प्रयासों के फलस्वरूप लड़कियों के ख़िलाफ़ यौन हिंसा के मुद्दे पर सक्रिय बाल संरक्षण समितियों को ऊर्जा प्रदान की गई है.
साथ ही किशोर लड़कियों को प्रशिक्षण दिया गया है जो अपने स्कूलों व स्थानीय समुदायों में जागरूकता का प्रसार कर रही हैं.
नाईजीरिया की राजधानी अबूजा में इस दिवस पर आयोजित एक समारोह में यूएन उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने कहा कि बलात्कार और लिंग आधारित हिंसा के अन्य स्वरूपों की एक बड़ी आर्थिक, राजनैतिक, और सामाजिक क़ीमत चुकानी पड़ती है.
इसके अलावा ऐसे अपराध समानता, विकास, शांति और महिला व लड़कियों के मानवाधिकारों को पाने में एक बड़ा अवरोध है.
“टिकाऊ विकास लक्ष्यों और किसी को पीछे न छूटने देने के लिए वादे को तब तक पूरा नहीं किया जा सकता जब तक महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा का अंत ना हो.”
इस चुनौती से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सभी देशों की सरकारों को समर्थन देने के लिए संकल्पित है ताकि महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके.
इसी सिलसिले में योरोपीय संघ व संयुक्त राष्ट्र की एक साझा पहल ‘स्पॉटलाइट इनिशिएटिव’ नाईजीरिया सहित अन्य देशों में शुरू की गई है.