वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी

संयुक्त राष्ट्र मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने चेतावनी जारी की है कि वातावरण में तीन प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों – कार्बन डाय ऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड - का स्तर लगातार बढ़ रहा है जिससे मानवता के भविष्य के लिए ख़तरा पैदा हो रहा है. यूएन एजेंसी ने सरकारों से अपील की है कि जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने के लिए तत्काल प्रयास करने होंगे जिनकी पुकार वर्ष 2015 के पेरिस समझौते में भी लगाई गई है.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन का ताज़ा ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन दर्शाता है कि वर्ष 1990 से अब तक ग्रीनहाउस गैसों ने ‘टोटल रेडिएटिव फ़ोर्सिंग’ में 43 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है जिसका अर्थ गर्माती जलवायु पर असर से है.
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के महासचिव पेटेरी टालास ने सोमवार को कहा कि “कार्बन डाय ऑक्साइड की सघनता लगातार बढ़ती जा रही है पिछले साल की वृद्धि लगभग उतनी ही थी जितनी हम औसतन पिछले 10 सालों में देखते आ रहे हैं.”
“कार्बन डाय ऑक्साइड की सघनता में हमने फिर से रिकॉर्ड तोड़ दिया है और हम 400 पार्ट्स प्रति मिलियन के स्तर को पहले ही पार कर चुके हैं जिसे एक गंभीर स्तर माना गया था.” वर्ष 2018 में गैस की मात्रा का स्तर 407.8 पार्ट्स प्रति मिलियन मापा गया है.
#Greenhouse gas concentrations hit a new record high.Future generations will face increasingly severe impacts of #climatechange, incl rising temperatures, extreme weather, water stress, sea level rise, ocean acidification, disruption to ecosystems. #COP25https://t.co/xA9sblfJrD pic.twitter.com/JfL1YQUgPE
WMO
यूएन एजेंसी ने अपने बुलेटिन में अमेरिका के ‘नेशनल ओशनिक एंड एट्मोस्फ़रिक एडमिनिस्ट्रेशन’ (NOAA) संगठन के ऑंकड़ों को उद्धत किया है जिसके अनुसार इन गैसों में कार्बन डाय ऑक्साइड की मात्रा लगभग 80 फ़ीसदी है.
वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी के संदर्भ में कार्बन डाय ऑक्साइड विशेष रूप से नुक़सानदेह है क्योंकि यह सदियों तक वातावरण और महासागरों में बनी रह सकती है.
प्रोफ़ैसर टालास ने ध्यान दिलाया है कि जब पृथ्वी में कार्बन डाय ऑक्साइड की सघनता का स्तर ऐसा था तो तापमान दो-तीन डिग्री सेल्सियस गर्म था और समुद्री जलस्तर भी मौजूदा समय की तुलना में 10-20 मीटर ऊंचा था.
उन्होंने मीथेन की चर्चा करते हुए बताया कि इस गैस का बढ़ता स्तर भी चिंता का कारण बना हुआ है और 2018 में इसकी मात्रा में वृद्धि हाल के दस सालों में दूसरी बार इतनी ज़्यादा मात्रा में थी.
यूएन एजेंसी के बुलेटिन के अनुसार वर्ष 2018 में वातावरण में मीथेन की मात्रा 1,869 पार्ट्स प्रति बिलियन पहुंच गई जो पूर्व औद्योगिक स्तर की तुलना में ढाई गुना ज़्यादा है.
40 फ़ीसदी से ज़्यादा मीथेन प्राकृतिक स्रोतों से आती है जिनमें गीली ज़मीन और दीमक शामिल हैं लेकिन 60 फ़ीसदी से ज़्यादा मात्रा के लिए मानवीय गतिविधियां ज़िम्मेदार हैं जिनमें पशुपालन, खदानें और जैव ईंधन को जलाया जाना शामिल है.
बुलेटिन के मुताबिक़ “वर्ष 2017 से 2018 की बढ़ोत्तरी 2016 से 2017 और पिछले दशक के औसत से भी ज़्यादा थी.”
उत्सर्जन में बढ़ोत्तरी का यह रुझान नाइट्रस ऑक्साइड के मामले में भी देखा गया है – 2018 में इसकी सघनता 331.1 पार्ट्स प्रति बिलियन आंकी गई जो पूर्व औद्योगिक स्तर की अपेक्षा 123 फ़ीसदी अधिक है.
प्रोफ़ैसर टालास ने बताया कि तापमान में 6 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी के लिए नाइट्रस ऑक्साइड ज़िम्मेदार है.
अधिकांश मामलों में यह खेतों से आती है और इसमें रिकॉर्डतोड़ वृद्धि हो रही है और सघनता में बढ़ोत्तरी जारी है.
मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक़ अगर मौजूदा जलवायु नीतियों में बदलाव नहीं हुआ तो वैश्विक उत्सर्जन में बढ़ोत्तरी वर्ष 2030 से आगे भी जारी रहने की आशंका है.
प्रोफ़ैसर टालास का कहना है कि इस चुनौती से निपटने के लिए जीवाश्म ईंधन के बजाय नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ावा देना होगा.
वर्तमान में वैश्विक ऊर्जा का 85 फ़ीसदी जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल और गैस) पर निर्भर है जबकि महज़ 15 प्रतिशत ही परमाणु, जलविद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा से आता है.
वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के तहत तय किए गए लक्ष्य पाने के लिए इन आंकड़ों में बड़े परिवर्तन की ज़रूरत है.
यूएन एजेंसी के प्रमुख ने बताया कि कार्बन उत्सर्जन के लिए सबसे अधिक ज़िम्मेदार देशों में पहले उत्तर अमेरिका और योरोपीय देश आते थे लेकिन अब उनकी जगह चीन ने ले ली है.
साथ ही अन्य विकासशील देशों में बढ़ोत्तरी देखी गई है.
उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए नए वैश्विक परिप्रेक्ष्य और रणनीति की आवश्यकता है क्योंकि योरोपीय संघ, अमेरिका या फिर चीन अकेले इस समस्या का समाधान नहीं ढूंढ सकते.
इसमें सभी देशों को साथ लेकर चलने की ज़रूरत है.
सरकारों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है लेकिन उतना ही ज़रूरी निजी क्षेत्र को साथ लाना भी है.