सीरिया के इदलिब में मिसाइल हमला, 12 लोगों की मौत

सीरिया में जारी हिंसा से जान बचाकर भाग रहे लोगों के लिए बनाए गए शिविर पर एक मिसाइल हमले में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई है और अनेक अन्य घायल हुए हैं जिनमें बच्चे भी हैं. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के मुताबिक़ देश में लड़ाई का एक बड़ा ख़ामियाज़ा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है और वर्ष 2019 भी उनके लिए घातक साबित हुआ है.
सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के प्रतिनिधि फ़्रान इकवीज़ा ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि इदलिब प्रांत में तुर्की की सीमा से सटे इलाक़े के पास क़ाह शिविर में गोलाबारी से उसके पास स्थित अस्पताल को भी नुक़सान हुआ है.
हताहतों में बच्चे भी हैं; घरेलू विस्थापितों के लिए बनाए गए नज़दीकी शिविर को भी क्षति पहुंची है.
सीरिया संकट के लिए संयुक्त राष्ट्र के उप क्षेत्रीय मानवीय समन्वयक मार्क कट्स ने इस भयावह घटना की जांच कराए जाने का अनुरोध किया है.
#Fact❗️ 9yrs of crisis in #Syria - the majority of children 👧🏽🧒🏽 have been born and raised in the midst violence & displacement🔹5M children are in need of humanitarian assistance🔹2.1M children are out of school🔹1.3M children are at risk of dropping out#WorldChildrensDay pic.twitter.com/GUv98j2jee
UNHCRinSYRIA
“कमज़ोर आम नागरिकों पर मिसाइल गिरना घिनौना है – इसमें वृद्धजन, महिलाएं, बच्चे और घरेलू विस्थापितों के लिए बनाए गए अस्थाई शिविरों व टेंटों में रह रहे लोग निशाना बने.”
मानवाधिकार मामलों में समन्वयन के लिए यूएन कार्यालय के अधिकारी ने अपने वक्तव्य में सीरिया में स्वास्थ्य केंद्रों और कर्मचारियों पर इस साल हुए दर्जन भर से ज़्यादा हमलों की निंदा की है.
“अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत सभी पक्षों को सख़्ती से आम नागरिकों और लड़ाकों के बीच अंतर को पहचानने की आवश्यकता है, और इसका भी कि सैन्य अभियानों के दौरान आम लोगों को निशाना ना बनाया जाए.”
यूनीसेफ़ के इकवीज़ा ने बताया कि पूर्वोत्तर सीरिया में 9 अक्टूबर को तुर्की ने कुर्दों के नियंत्रण वाले क्षेत्र में धावा बोला था जिसके बाद से अब तक 10 बच्चों की मौत हो चुकी है और 28 अपंगता का शिकार हुए हैं.
वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र ने नौ साल से चली आ रही हिंसा में एक हज़ार से ज़्यादा बच्चों के मारे जाने की पुष्टि की थी.
2012 में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद किसी एक साल में मारे जाने वाले बच्चों की यह सबसे बड़ी संख्या है. हालांकि यह आशंका भी जताई जाती रही है कि मृतक बच्चों का आंकड़ा इससे कहीं ज़्यादा हो सकता है.
यूएन एजेंसी के मुताबिक़ इस वर्ष सितंबर 2019 तक बाल अधिकारों के गंभीर उल्लंघन के एक हज़ार 792 मामले दर्ज किए गए हैं.
इनमें बच्चों को जान से मारा जाना, उनका हिंसा में घायल होना, अपहरण होना और सैनिकों के रूप में भर्ती किया जाना और स्कूलों व स्वास्थ्य केंद्रों पर हमले होना शामिल है.
“सीरिया में साल 2018 बच्चों के लिए सबसे घातक साबित हुआ और दुर्भाग्यवश ऐसा लगता है कि साल 2019 भी उसी रास्ते पर जा रहा है. अब तक सीरिया में 657 बच्चों की मौत हो चुकी है.”
सीरिया के अशांत पूर्वोत्तर क्षेत्र में लगभग 74 हज़ार लोग विस्थापित हैं जिनमें अनुमान है कि 31 हज़ार बच्चे हैं. 15 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने भागकर पड़ोसी देश इराक़ में शरण ली है.
अल होल शिविर के परिसर में पहले दाएश के क़ब्ज़े वाले इलाक़ों से आए विस्थापितों को रखा गया है.
यूनीसेफ़ अधिकारी का कहना है कि इस शिविर में 40 हज़ार बच्चे रह रहे हैं जिनमें 28 हज़ार विदेशी हैं और वे 60 देशों से आते हैं.
पूर्वोत्तर के अन्य इलाक़ों से यूएन एजेंसी को रिपोर्ट मिली है कि हिरासत केंद्रों में कम से कम 250 बच्चे रखे गए हैं.
इनमें से कुछ बच्चों की उम्र 9 साल है. “ऐसे केंद्र पूरे पूर्वोत्तर इलाक़े में फैले हैं और हमें उनके बारे में ठोस रूप से जानकारी नहीं है.”
यूनीसेफ़ ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के नाम एक अपील जारी करते हुए कहा है कि सीरिया जाने वाले लोगों के बच्चों को उनकी नागरिकता वाले देशों को बुलाना चाहिए. इकवीज़ा के मुताबिक़ ऐसे बच्चों को सीरिया में रखने से नुक़सान हो रहा है.
“अभी तक हम जानते हैं कि 17 देशों ने 650 बच्चों को पिछले कुछ महीनों में स्वदेश लौटने में मदद की है और हमें आशा है कि यह आंकड़ा आने वाले दिनों में और ज़्यादा ऊपर जाएगा.”
सीरिया में लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है – स्कूल क्षतिग्रस्त हैं, सेवाएं सीमित व बाधित हैं और बुनियादी ढांचे को भारी नुक़सान से बच्चों व उनके परिवारों को कठिन हालात का सामना करना पड़ रहा है.