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बाल सपनों को सहेजना होगा, भविष्य अमानत है बच्चों की

आइवरी कोस्ट के एक गाँव में एक नए स्कूल को 20 नवंबर 2019 को विश्व बाल दिवस के मौक़े पर नीले रंग में रंगा गया. ये स्कूल प्लास्टिक कचरे से तैयार की गई ईंटों से बनाया गया है.
© UNICEF/Frank Dejong
आइवरी कोस्ट के एक गाँव में एक नए स्कूल को 20 नवंबर 2019 को विश्व बाल दिवस के मौक़े पर नीले रंग में रंगा गया. ये स्कूल प्लास्टिक कचरे से तैयार की गई ईंटों से बनाया गया है.

बाल सपनों को सहेजना होगा, भविष्य अमानत है बच्चों की

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष - यूनीसेफ़ के सदभावना दूत डेविड बैकहम ने बुधवार को बाल दिवस के मौक़े पर कहा है कि नेताओं, सार्वजनिक हस्तियों, अभिभावकों और ज़ाहिर सी बात है कि इंसानों के रूप में, हम सभी को बच्चों के सपनों की हिफ़ाज़त करनी होगी, क्योंकि भविष्य हमारा नहीं, ये बच्चों की अमानत है. 

अनेक देशों में बच्चों से मिलने और उनसे बातचीत करने का अनुभव साझा करते हुए डेविड बैकहम ने कहा, "युवा एक ऐसे पृथ्वी ग्रह की माँग कर रहे हैं जो उनकी और आने वाली पीढ़ियों की ज़रूरतें पूरी कर सके, एक ऐसा ग्रह जहाँ हमारे संसाधन टिकाऊ हों और जहाँ हमारे पर्यावरण की हिफ़ाज़त हो."

यूनीसेफ़ के सदभावना दूत डेविड बैकहम का कहना था कि बच्चे शांति की पुकार लगाते हुए हिंसा को बंद करने, युद्ध का अंत करने, राजनैतिक व सांस्कृतिक मतभेदों को दूर करने का आहवान कर रहे हैं जिनसे समुदायों में दरारें पैदा होती हैं, परिवार टूटते हैं हर दिन बच्चों की ज़िन्दगी ख़तरे में पड़ती है.

यूनीसेफ़ की सदभावना दूत मिली बॉबी ने भी विश्व बाल दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए ऑनलाइन माध्यमों में बच्चों को डराने-धमकाने के माहौल के मुद्दे को छुआ.

दुनिया के किसी हिस्से में किसी जगह कोई किशोर लड़की को ऑनलाइन माध्यम के ज़रिए परेशान किया जा रहा होगा. ये लड़की डरी हुई है, कमज़ोर है और उसे अकेले होने का डर सताता है. ऐसी लड़की को मेरा ये संदेश है: तुम अकेली और बेसहारा नहीं हो, दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें तुम्हारी फ़िक्र है और अगर तुम मदद माँगो तो ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो तुम्हारी बात सुनेंगे.

ब्राउन बॉबी का कहना था, "इसमें शक करने की कोई जगह या वजह नहीं है कि सोशल मीडिया को भय, डराने-धमकाने और प्रताड़ित करने का स्थान नहीं बनने दिया जा सकता. सोशल मीडिया लोगों को एक दूसरे से जुड़ने का मौक़ा देता है और ये एक ऐसा स्थान हो सकता है जहाँ सभी का ख़याल रखने और एक दूसरे की मदद करने का चलन हो."

बॉबी ब्राउन का कहना था कि "दुनिया के किसी हिस्से में किसी जगह कोई किशोर लड़की को ऑनलाइन माध्यम के ज़रिए परेशान किया जा रहा होगा. ये लड़की डरी हुई है, कमज़ोर है और उसे अकेले होने का डर सताता है. ऐसी लड़की को मेरा ये संदेश है: तुम अकेली और बेसहारा नहीं हो, दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें तुम्हारी फ़िक्र है और अगर तुम मदद माँगो तो ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो तुम्हारी बात सुनेंगे." 

जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग के विचारों से सहमति व्यक्त करते हुए बॉबी ब्राउन का कहना था कि ग्रेटा जैसे युवा दुनिया के तमाम नेताओं से ऊँची आवाज़ में कह रहे हैं कि उनकी बात सुनी जाए और ठोस कार्रवाई की जाए.

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए कहा कि सभी के लिए एक टिकाऊ भविष्य का रास्ता साफ़ करने के लिए सबसे अच्छा तरीक़ा होगा - सभी बच्चों का चौतरफ़ा ख़याल रखना.

बांग्लादेश के कॉक्स बाज़र में यूनिसेफ के लर्निंग सेंटर में सवाल का जवाब देने के लिए हाथ उठाते बच्चे. (8 जुलाई, 2019)

उन्होंने कहा, "आज हमारी निगाह आने वाले 30 वर्षों में होने वाली प्रगति पर टिकी है. आइए, हम बाल अधिकारों के लिए अपना संकल्प फिर से दोहराएँ, आइए, हम बाल अधिकारों को हर एक समुदाय, हर देश और दुनिया भर में तमाम कार्यक्रमों, नीतियों और सेवाओं का अटूट हिस्सा बनाएँ."

वादे निभाने का समय

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि दुनियाभर में बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए पिछले तीन दशकों में ऐतिहासिक प्रगति हुई है, लेकिन रिपोर्ट आगाह भी करती है कि इस प्रगति का लाभ अगर सबसे ग़रीब बच्चों तक पहुंचाना है तो तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष - यूनीसेफ़ द्वारा 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस के मौक़े पर प्रकाशित एक अध्ययन में 30 साल पहले वजूद में आई बाल अधिकार संधि (कन्वेंशन) के वादों के लिए फिर से संकल्प दिखाने की पुकार लगाई गई है. 

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने कहा कि हालांकि अब ज़्यादा बच्चे लंबा, बेहतर और स्वस्थ जीवन जी रहे हैं लेकिन सबसे ग़रीब और कमज़ोर तबके के बच्चों के जीवन में अड़चने बरक़रार हैं. 

उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा की रोज़मर्रा की चुनौतियों के अलावा, आजकल बच्चों को जलवायु परिवर्तन, ऑनलाइन दुर्व्यवहार और साइबरबुलिंग जैसे नए ख़तरों से भी जूझना पड़ता है." 

"नवाचार, नई तकनीकों, राजनैतिक इच्छाशक्ति और बढ़े हुए संसाधनों द्वारा ही हम सभी बच्चों के लिए बाल अधिकारों पर कन्वेंशन के दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदलने में मदद कर सकेंगे."

असमान प्रगति, उभरते ख़तरे

बाल अधिकारों पर कन्वेंशन इतिहास की सबसे व्यापक और तेज़ी से अपनाई जाने वाली अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसे अब तक 190 से अधिक देशों ने मंज़ूरी दी है.

इसके तहत बाल अवस्था 18 साल तक मानी गई है और इस विशेष समय में बच्चों को सम्मान के साथ बढ़ने, सीखने, खेलने, विकसित होने और पनपने का अधिकार है.

यूनिसेफ़ ने बताया कि संधि अपनाए जाने के बाद से पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की वैश्विक मृत्यु दर में लगभग 60 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि कुपोषित बच्चों का अनुपात लगभग आधा हो गया है. 

कन्वेंशन के मार्गदर्शक सिद्धांतों ने अनेक दिशा-निर्देशों, क़ानूनों और नीतियों को भी प्रभावित किया है जिनमें असमानता, संरक्षण का अधिकार और बच्चे के सर्वोत्तम हित में कार्य करना शामिल है.

हालांकि रिपोर्ट में ये भी स्पष्ट किया गया है कि ये प्रगति हर जगह एक समान नहीं रही.

यूनीसेफ़ ने कहा कि दुनियाभर में बच्चे अब भी सदियों पुराने खत़रों से जूझने को मजबूर हैं जबकि उनके भविष्य पर नए ख़तरे मंडरा रहे हैं.

आज भी निवारण सेवाओं के अभाव में सबसे ग़रीब बच्चों की अपने पांचवें जन्मदिन तक पहुंचने से पहले ही मृत्यु होने की संभावना बरक़रार है.

ग़रीबी, भेदभाव और हाशिए पर धकेले जाने की वजह से लाखों वंचित बच्चे अब भी ख़तरे में हैं. इसके साथ ही वर्ष 2010 के बाद से टीकाकरण की दर धीमी होने के कारण खसरे से होने वाली मौतों के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं.

शिक्षा में प्रगति भी निराशाजनक है. रिपोर्ट से पता चलता है कि प्राथमिक स्तर के बच्चों की संख्या में एक दशक से कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, "जो बच्चे स्कूल में हैं भी - वर्तमान अर्थव्यवस्था में पनपने हेतु ज़रूरी कौशल तो दूर की बात है, उन्हें सामान्य शिक्षा तक नहीं मिल रही है."

यूनीसेफ़ का कहना है कि चूँकि मौजूदा समय में युवा सबसे अधिक ख़तरे में हैं इसलिए हाल के वर्षों में युवा ज़्यादा मुखर हुए हैं और जलवायु परिवर्तन दूर करने के लिए कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने आगाह करते हुए कहा है, "तेज़ी से होते जलवायु परिवर्तन से बीमारियां फैल रही हैं, चरम मौसम की घटनाओं की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ रही है और भोजन और पानी की असुरक्षा पैदा हो रही है. अगर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो भविष्य में बच्चों को ओर ज़्यादा बुरे हालात का सामना करना पड़ेगा.”

समावेशी संवाद की योजना 

20 नवंबर को विश्व बाल दिवस से पहले जारी रिपोर्ट के तहत यूनीसेफ़ ने बताया कि जहां राजनैतिक इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ काम होता है, वहां बच्चों के जीवन में सुधार होता है. 

इस अध्ययन में प्रगति की रफ़्तार तेज़ करने और बाल अधिकारों को बढ़ाने के लिए अधिक डेटा और सबूत एकत्र करने का आह्वान किया गया है - जैसे कि समाधान रचने में युवाओं की भागेदारी. 

यूनीसेफ़ अगले 12 महीनों के दौरान सभी बच्चों के लिए सम्मेलन के वादे को एक वास्तविकता में बदलने के उद्देश्य से एक समावेशी वैश्विक वार्ता को बढ़ावा देगा.

जैसाकि यूनीसेफ़ प्रमुख हैनरीएटा फ़ोर ने कहा, "ये संधि अपने शानदार अतीत और भविष्य की संभावनाओं के बीच एक दोराहे पर खड़ी है. अब ये हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम दोबारा प्रतिबद्धता ज़ाहिर करें, निर्णायक क़दम उठाएं और ख़ुद की जवाबदेही तय करें."