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डायबिटीज़: प्राइमरी हैल्थ केयर और परिवारों की मज़बूती ज़रूरी

ठाणे के सरकारी अस्पताल में मरीज का शुगर स्तर जांचती एक नर्स.
WHO/Atul Loke
ठाणे के सरकारी अस्पताल में मरीज का शुगर स्तर जांचती एक नर्स.

डायबिटीज़: प्राइमरी हैल्थ केयर और परिवारों की मज़बूती ज़रूरी

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि डायबिटीज़ पूरे दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र के देशों में लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख ख़तरा है और इन देशों में लगभग 9 करोड़ 10 लाख लोग डायबिटीज़ के मरीज़ हैं. इनमें से आधे से भी ज़्यादा संख्या यानी क़रीब 4 करोड़ 90 लाख मरीज़ों को ये ही नहीं मालूम कि उन्हें डायबिटीज़ है भी. 

14 नवंबर को विश्व डायबिटीज़ दिवस के मौक़े पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि किसी को डायबिटीज़ हो जाने की जानकारी नहीं होने और टाइप-1 और टाइप-2 प्रकार की डायबिटीज़ की ठीक तरह के परवाह नहीं करने के कारण हृदय, किडनी, मस्तिष्क और आँखों को नुक़सान हो सकता है. 

इसके कारण समय से पहले मृत्यु तक भी हो सकती है और इस क्षेत्र के देशों में ग़ैर-संचारी बीमारियों से होने वाली कुल मौतों की लगभग 50 फ़ीसदी मौतें इसी कारण होती हैं. 

ग़ैर-संचारी बीमारियों को होने से रोकना और हो जाने पर उनके सटीक इलाज की व्यवस्था कराना इस क्षेत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन की आठ प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है.

शारीरीक कसरत के साथ-साथ स्वस्थ भोजन भी टाइप-2 डायबिटीज़ को रोकने में बहुत असरदार साबित होता है.

दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर खेत्रपाल सिंह का कहना है कि डायबिटीज़ से प्राइमरी हैल्थ केयर के स्तर पर निबटने की रणनीति के तहत परिवारों को सटीक क़दम उठाने और पर्याप्त कार्रवाई करने में सक्षम बनाना होगा.

"डायबिटीज़, मोटापा और ज़्यादा वज़न के ख़बरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में परिवारों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है.  परिवार ही अपने सदस्यों को शारीरिक रूप से ज़्यादा सक्रिय जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं जिससे आख़िरकार डायबिटीज़ को रोकने में मदद मिलती है. ख़ासतौर से उम्र के शुरूआती हिस्से में डायबिटीज़ को रोकने में  जोकि इस क्षेत्र में बहुत ज़्यादा है."

दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि डायबिटीज़ के लक्षण, संकेत, ख़तरा या जटिलताएँ सबसे पहले परिवार के स्तर पर ही पता चलती हैं. अगर परिवारों को प्राइमरी हैल्थ केयर का सही समय पर सटीक समर्थन मिल जाए तो डायबिटीज़ के ख़िलाफ़ लड़ाई में परिवार बहुत असरदार भूमिका अदा कर सकते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस क्षेत्र के सदस्य देश निर्णायक कार्रवाई कर भी रहे हैं. सभी देशों ने ग़ैर-संचारी बीमारियों का मुक़ाबला करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बहुपक्षीय कार्ययोजनाएँ तैयार की हैं. 

इन परियोजनाओं के मुख्य बिन्दु कुछ इस तरह हैं:

  • पहला, सभी परिवारों को डायबिटीज़ के बारे में शैक्षिक संसाधन उपलब्ध होने चाहिए. ऐसा सामाजिक व व्यक्तियों के स्तर पर परिवर्तन अभियान चलाकर किया जा सकता है जिनमें परिवार की इकाई की महत्वपूर्ण भूमिका को सुरक्षा की प्रथम पंक्ति के रूप उजागर किया जाए.  इन अभियानों में ये भी बताया जाए कि स्वस्थ आदतें विकसित करने में परिवार किस तरह आपस में मिलकर काम कर सकते हैं.  ये इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि डायबिटीज़ के ज़्यादातर मामले टाइप-2 के होते हैं और डायबिटीज़ के इन मामलों से स्वस्थ खानपान और समुचित शारीरिक व्यायाम व स्वस्थ जीवनशैली से बचा जा सकता है.
  • दूसरा, स्वस्थ वातावरण की उपलब्धता बढ़ाई जाए. हरित क्षेत्र बढ़ाए जाएँ, खुले स्थानों पर व्यायामशालाएँ (जिम) होने से लोगों को कसरत करने और अपना वज़न स्वास्थ्य की सीमा में रखने के सुविधा होगी. साथ ही लोगों को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाने-पीने की चीज़ों का इस्तेमाल कम करने स्वस्थ विकल्प अपनाने का मौक़ा मिले. वैसे तो ये उपाय स्वास्थ्य क्षेत्र की सीमा से परे के हैं लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों को नोडल एजेंसी के तौर पर काम करना होगा और अनेक क्षेत्रों के साथ मिलकर काम करना होगा जिससे अच्छे समाधान मिलने पर स्वास्थ्य संबंधी ख़र्चों में भी कमी आएगी.
  • तीसरा, सभी परिवारों को अच्छी गुणवत्ता वाली प्राइमरी हैल्थ केयर की सुविधा होनी चाहिए. प्राईमरी स्तर के स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में डायबिटीज़ को शुरूआती स्तर पर ही जाँच करके पता लगाने की सुविधा और समुचित उपकरण होने चाहिए.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अच्छी क़िस्म की दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की भरोसेमंद आपूर्ति सुनिश्चित करने से भी डायबिटीज़ के मामलों से निपटने में ठोस मदद मिल सकती है. 

डायबिटीज़ की बढ़त को 2025 तक रोकने के क्षेत्रीय देशों के प्रयास उस समय सीमा से आगे भी जारी रहने चाहिए, बल्कि इन प्रयासों में तेज़ी लानी होगी. 

विश्व डायबिटीज़ दिवस (14 नवंबर) के मौक़े पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डायबिटीज़ के ख़िलाफ़ संघर्ष में सदस्य देशों के प्रयासों को अपना पूरा समर्थन जारी रखने का संकल्प दोहराया है जिनमें बहुक्षेत्रीय व प्राइमरी हैल्थ केयर प्रयास शामिल हैं जिनसे परिवारों को मज़बूती मिलती है. 

ध्यान दिला दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र में ये 11 देश शामिल हैं : बांग्लादेश, भूटान, उत्तर कोरिया, भारत, इंडोनेशिया, मालदीव्स, म्याँमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और तिमोर-लेस्टे. 

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