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नैरोबी सम्मेलन: महिला सशक्तिकरण से बदलेगी टिकाऊ विकास की तस्वीर

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने केनया के नैरोबी शहर में आईसीपीडी की 25 वर्षगाँठ के मौक़े पर संबोधित किया.
UNFPA
संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने केनया के नैरोबी शहर में आईसीपीडी की 25 वर्षगाँठ के मौक़े पर संबोधित किया.

नैरोबी सम्मेलन: महिला सशक्तिकरण से बदलेगी टिकाऊ विकास की तस्वीर

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र की उपमहासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कहा है कि सभी के लिए एक टिकाऊ भविष्य का वैश्विक लक्ष्य तब तक हासिल नहीं किया जा सकता जब तक कि महिलाओं, लड़कियों और युवाओं को उनके शरीरों और ज़िंदगियों पर ख़ुद का नियंत्रण स्थापित करने का मौक़ा नहीं मिलता है. आमिना जे मोहम्मद ने केनया की राजधानी नैरोबी में अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या और विकास सम्मेलन (आईसीपीडी) के 25 वर्ष पूरे होने के मौक़े पर आयोजित सम्मेलन में ये बात कही.

ध्यान रहे कि ये सम्मेलन 25 वर्ष पहले मिस्र की राजधानी काहिरा में आयोजित किया गया था जिसमें तैयार की गई एक कार्ययोजना में कहा गया था कि प्रजनन स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता टिकाऊ विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.

आमिना जे मोहम्मद ने मंगलवार को नैरोबी में शुरू हुए तीन दिन के सम्मेलन में विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए कहा, "लैंगिक समानता लागू करना, महिलाओं का सशक्तिकरण करना और महिलाओं के अधिकारों को सम्मान देने से - ग़रीबी दूर करने, समावेशी विकास, लोकतांत्रिक शासन, शांति और न्याय की दुनिया में पूरा खेल बदल सकता है."

संयुक्त राष्ट्र की उपमहासचिव ने कहा, "टिकाऊ विकास लक्ष्य तब तक हासिल नहीं किए जा सकते जब तक कि महिलाओं, लड़कियों और युवाओं को उनके शरीरों और ज़िंदगियों पर ख़ुद का नियंत्रण स्थापित करने का मौक़ा नहीं मिलता और वो हिंसामुक्त जीवन जीने योग्य हो सकें."

"कितने बच्चे पैदा करने हैं, और कब करने हैं, बच्चों के जन्म के बीच कितना अंतर रखना है, ये सब महिलाओं का एक ऐसा मानवाधिकार है जिसे सुनिश्चित करने से आर्थिक व सामाजिक विकास में तेज़ी लाई जा सकती है."

समय सीमा नज़दीक है

उपमहासचिव आमिना मोहम्मद का कहना था कि नैरोबी सम्मेलन को टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में वित्तीय तेज़ी लाने और राजनैतिक रफ़्तार बढ़ाने के लिए एक अवसर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. ध्यान रहे कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों को विश्व नेताओं ने 2015 में स्वीकृत किया था.

आमिना मोहम्मद ने कहा कि 2030 का विकास एजेंडा हासिल करने के लिए अगले वर्ष 'डैकेड ऑफ़ एक्शन' यानी कार्रवाई दशक भी शुरू हो जाएगा. 

यूएन उपमहासचिव ने उपस्थित प्रतिनिधियो को संबोधित करते कहा, "हमें जच्चा बच्चा की मौतों को रोकने के लिए और भी ज़्यादा मेहनत से काम जारी रखना होगा, ये जानते हुए कि ये मौतें रोकी जा सकती हैं. परिवार नियोजन की अधूरी कामयाबी को पूरा करना होगा, पूरी दुनिया में महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा और हानिकारक परंपराओं को रोकना होगा."

उन्होंने इस क्षेत्र में ठोस कार्रवाई का आहवान करते हुए कहा कि अब भी बहुत सी महिलाएँ और लड़कियाँ पीछे छूट रही हैं. 

"करोड़ों महिलाएँ व लड़कियाँ अब भी उन वादों व संकल्पों के पूरा होने का इंतज़ार कर रही हैं जो उनसे किए गए हैं. अफ़सोस है कि उनका ये इंतज़ार बहुत लंबा खिंच रहा है."

उन्होंने कहा, "चूँकि हम 2030 के टिकाऊ विकास एजेंडा के लिए कार्रवाई दशक में दाख़िल होने वाले हैं इसलिए अब तेज़ी के साथ परिवर्तनकारी बदलाव लाने का समय आ गया है."