वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कला से औषधि का काम: क्या आपने कभी आज़माया है!

दक्षिण सूडान में यूएन मिशन में भारतीय नृत्य कला का प्रदर्शन.
UN Photo/JC McIlwaine
दक्षिण सूडान में यूएन मिशन में भारतीय नृत्य कला का प्रदर्शन.

कला से औषधि का काम: क्या आपने कभी आज़माया है!

स्वास्थ्य

ये जानना वाक़ई दिलचस्प है कि जन्म होने के पहले से और जीवन का अंत होने तक, नृत्य, गायन या पेंटिंग जैसी गतिविधियों से हमारे स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है. इस आर्ट थैरेपी यानी कला के विभिन्न रूपों द्वारा किए जाने वाले उपचार पारंपरिक तरीक़ों से भी ज़्यादा किफ़ायती साबित हो सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को जारी एक ताज़ा रिपोर्ट में कला और सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर एक रिपोर्ट जारी की है.

Health Evidence Synthesis नामक ये रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन के योरोप स्थित क्षेत्रीय कार्यालय ने तैयार की है.

Tweet URL

रिपोर्ट तैयार करने के लिए 900 से ज़्यादा प्रकाशनों का आकलन करने और यह समझने का प्रयास किया गया है कि कला किस तरह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में बेहतरी लाने में मददगार साबित हो सकती है.

यह पहली बार है जब इतने व्यापक पैमाने पर ऐसी समीक्षा तैयार की गई है.

रिपोर्ट में कला को पांच श्रेणियों में विभाजित करते हुए उनमें हिस्सा लेने से होने वाले शारीरिक लाभ की समीक्षा की गई है.

ये पांच श्रेणियां इस प्रकार हैं: प्रदर्शन कला (संगीत, नृत्य, गायन, थिएटर, फ़िल्म); दृश्य कला (शिल्प, डिज़ायन, पेंटिंग, फ़ोटोग्राफ़ी); साहित्य (लेखन, पाठन, साहित्यिक समारोहों में शिरकत); संस्कृति (संग्रहालयों, कला- दीर्घाओं, संगीत समारोहों, थिएटर में जाना); ऑनलाइन कला (एनीमेशन व डिजिटल कला).

योरोप में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के क्षेत्रीय निदेशक पिरोसका ओस्तलिन ने सोमवार को एक प्रेस वक्तव्य में कहा कि इस अध्ययन में जो उदाहरण शामिल किए गए हैं उनसे स्वास्थ्य व कल्याण को समाज और समुदाय के विस्तृत परिप्रेक्ष्य में समझने में मदद मिलती है.

इसके अलावा कुछ मुश्किलों के समाधान भी प्रस्तुत किए गए हैं जो अब तक सामान्य चिकित्सा तरीक़ों के ज़रिए नहीं मिल पा रहे थे.

रिपोर्ट के मुताबिक़ विविध प्रकार के सांस्कृतिक और कला के अवसरों से जुड़ने से मनोवैज्ञानिक, दैहिक, सामाजिक और व्यावहारिक असर पड़ता है जिसके नतीजे स्वास्थ्य पर देखने को मिलते हैं.

औषधि के रूप में कला को दो भागों में देखा जा सकता है: रोकथाम व बढ़ावा, और प्रबंधन व उपचार.

उदाहरण के तौर पर विशेष रूप से संगीत का चयन करने से एचआईवी मरीज़ों में स्वतंत्रता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में मदद मिली और वे अपनी उपचार प्रक्रियाओं में क़ायम रहे.

वहीं, कैंसर के उपचार में आर्ट थैरेपी से उपचार के दुष्प्रभावों – उनींदापन, भूख न लगना, मानसिक अवसाद - को कम करने में मदद मिली.

प्रबंधन व उपचार पर ध्यान केंद्रित करने से, साप्ताहिक आर्ट थेरेपी में हिस्सा लेने वाली गर्भवती महिलाओं को प्रसव से जुड़े भय, सामान्य डिप्रैशन व अभिभावक बनने की बेचैनी को कम कर पाना संभव हुआ है.

गर्भावस्था के दौरान गाना गाने से मां और शिशु के बीच रिश्ता मज़बूत होता है, बच्चा कम रोता है और रात में उन्हें बेहतर नींद आती है.

रिपोर्ट के अनुसार कुछ सांस्कृतिक गतिविधियां भी पारंपरिक उपचार के तरीकों जैसी ही किफ़ायती हैं.

किसी कला गतिविधि में हिस्सा लेने से कई प्रकार के लाभ होते हैं इसलिए माना जा रहा है कि इससे बीमारियों की रोकथाम करने में भी मदद मिल सकती है.

नीतिगत कमियों को दूर करने की आवश्यकता

इस रिपोर्ट में स्वास्थ क्षेत्र में सक्रिय नीति-निर्माताओं के लिए सिफ़ारिशें भी पेश की गई हैं ताकि स्वास्थ्य कार्यक्रमों तक पहुंच, कला से होने वाले स्वास्थ्य लाभ के प्रति जागरूकता और भविष्य में शोध पर निवेश सुनिश्चित किया जा सके.

21वीं सदी की शुरुआत से ही, कई बड़े शोधों में कला से स्वास्थ्य-कल्याण पर होने वाले असर के बारे में समझ बढ़ाने का प्रयास किया जाता रहा है.

लेकिन योरोपीय क्षेत्र के सदस्य देशों में अभी इस संबंध में कोई नीतिगत विकास नहीं हो पाया है और यही देश इस अध्ययन के केंद्र में रहे हैं.

लेकिन वर्ष 2000 के बाद से ही इंग्लैंड, फ़िनलैंड, आयरलैंड, नॉर्वे और स्वीडन ने ऐसी नीतियाँ अपनाई हैं जिनसे कला के ज़रिए मानव स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा मिलता है.