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यूएन विशेषज्ञ:अदम्य साहस के साथ वैश्विक मानवाधिकारों के लिए संघर्षरत

न्यायेतर, सारांश और मनमाने ढंग से फांसी दिए जाने के मामलों की विशेष रेपोर्टेयर, एग्नेस कॉलमार्ड
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न्यायेतर, सारांश और मनमाने ढंग से फांसी दिए जाने के मामलों की विशेष रेपोर्टेयर, एग्नेस कॉलमार्ड

यूएन विशेषज्ञ:अदम्य साहस के साथ वैश्विक मानवाधिकारों के लिए संघर्षरत

मानवाधिकार

निडर. स्पष्टवादी. आलोचनात्मक. साहसिक. ना हिचकने वाले. अन्यायी. पक्षपाती. जोड़-तोड़ करने वाले. ये कुछ ऐसे विशेषण हैं जो मानवाधिकार परिषद के उन विशेषज्ञों का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं जो दुनिया भर में तमाम तरह के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों पर शोध करते हैं, जानकारी एकत्र करते हैं और बहस-मुबाहिसा आयोजित करते हैं. 

ये स्पेशल रैपोर्टेयर यानी विशेष दूत अक्सर ख़ुद को अंतरराष्ट्रीय और देशों के भीतर राजनीति के बीच फंसा हुआ पाते हैं.

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त और सरकारों और संस्थानों के प्रभाव से स्वतंत्र  रहते हुए इन विशेष दूतों की तहक़ीकात करने की एक अनूठी भूमिका होती है, जो उन्हें दुनिया भर में हो रहे कथित मानवाधिकार उल्लंघनों को सामने लाने का अधिकार देती है. 

एक विशेषज्ञ के तौर पर इन दूतों को यातना, मानव तस्करी या निजता के अधिकार जैसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के दुरुपयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए या फिर किसी देश विशेष के ख़िलाफ जांच के लिए -  "रिपोर्ट और सलाह" देने का अधिकार है.

ये विशेषज्ञ आधिकारिक तौर पर जिनीवा स्थित मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रियाओं का हिस्सा हैं जिनके सदस्य संयुक्त राष्ट्र महासभा में चुने जाते हैं, लेकिन वो संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते बल्कि स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं – साथ ही उनकी सेवा के लिए उन्हें कोई धनराशि भी नहीं मिलती है. उनका एक शक्तिशानी ओहदा है जिसके ज़रिए वो पीड़ितों की आवाज़ बनते हैं. 

ये विशेष रैपोर्टेयर्स हर साल अक्टूबर के महीने में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में महासभा को अपनी जांच रिपोर्ट पेश करते हैं. 

न्यूयॉर्क में यूएन न्यूज़ ने इनमें से कुछ विशेषज्ञों से बात की और उनसे पूछा कि इस काम के लिए उन्हें प्रेरणा कहां से मिलती है – ख़ासतौर पर इसलिए क्योंकि अपने काम के दौरान उन्हें दुनिया भर में कमज़ोर लोगों की तरफ़ से देशों और अन्य शक्तिशाली संस्थाओं की आलोचना करनी पड़ती है. 

'हम चुप नहीं रह सकते'

सऊदी मूल के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या की जांच करने से लेकर विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज की गिरफ्तारी की निंदा करने तक, न्यायेतर और मनमाने ढंग से मौत की सज़ा दिए जाने के मामलों पर विशेष रेपोर्टेयर एग्नेस कैलामार्ड अक्सर ख़बरों में छाई रहती हैं. 

एगनेस कैलामार्ड - क़ाननी दायरे से बाहर व मनमाने तरीक़े से किसी की हत्या करने देने के मामलों में विशेष रैपोर्टेयर

अपने करियर के दौरान एग्नेस कैलामार्ड मानवाधिकारों के लिए समर्पित रही हैं. वह कोलंबिया विश्वविद्यालय के 'ग्लोबल फ़्रीडम ऑफ़ एक्सप्रैशन इनिशिएटिव' की निदेशक रही हैं.

इससे पहले उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के अनुच्छेद 19 (ARTICLE 19) के कार्यकारी निदेशक के पद पर नौ साल बिताए हैं, जो विश्व स्तर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है.

एग्नेस कैलामार्ड ने ह्यूमैनिटैरियन अकाउंटेबिलिटी पार्टनरशिप (Humanitarian Accountability Partnership) - (अब सीएचएस अलायंस) की स्थापना की, जो मानवीय एजेंसियों के लिए पहला अंतरराष्ट्रीय स्व-नियामक संगठन है.

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के लिए भी विभिन्न क्षमताओं में काम किया है और मानव अधिकारों के लिए दुनिया भर में बहुपक्षीय संगठनों और सरकारों के सलाहकार के रूप में भी सेवाएं प्रदान की हैं. 
 
यूएन न्यूज़ ने एग्नेस कैलामार्ड के साथ उस वक़्त बातचीत की जब वह अक्टूबर 2019 में अपने पोर्टफ़ोलियो पर रिपोर्ट देने के लिए संयुक्त राष्ट्र आई थीं.

एक स्वतंत्र विशेषज्ञ के रूप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पूर्ण उपयोग करते हुए उन्होंने उन हाई-प्रोफ़ाइल मामलों पर अपने विचार साझा किए जिन पर उन्होंने काम किया था. 

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र समाचार को बताया कि एक साल पहले जमाल खशोगी की हत्या सबसे अधिक चौंकाने वाला मामला था. और यह सिर्फ़ जांच के दौरान सामने आए हत्या के भीषण विवरणों के कारण नहीं था: "बल्कि दूसरी बात जो सबसे अधिक चौंकाने वाली थी, वो ये कि दुनिया भर की सरकारें कितनी आसानी से इसे भूल गईं. कुछ सरकारों ने कड़े बयान दिए लेकिन फिर बहुत जल्दी इसे दरकिनार करते हुए आगे बढ़ जाने का प्रयास हुआ."
 
"मैं ओसाका में जी-20 की बैठक से स्तब्ध थी जब मेरी रिपोर्ट सामने आने के कुछ ही दिनों के भीतर अमेरिकी राष्ट्रपति ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को गले लगाया - जबकि मेरी रिपोर्ट में क्राउन प्रिंस की ज़िम्मेदारी के बारे में बेहद गंभीर सवाल उठाए गए थे,"

"अमेरिकी राष्ट्रपति का क्राउन प्रिंस के प्रति अपने स्नेह को प्रदर्शित करना जितना अनुचित था, उतना ही अनुचित था उस जी-20 बैठक में शामिल बाक़ी सभी लोगों की चुप्पी."

उन्होंने बताया, “कुछ ना करना एक बात है लेकिन पूरी तरह से चुप रहना बिल्कुल अलग ही बात है. हम ये बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकते कि मानवाधिकारों के लिए मैत्रीपूर्ण रवैया रखने वाली सरकारें भी मानवाधिकारों की अवेहलना पर राजनीतिक स्वार्थ के कारण चुप्पी साध लें.” 

एग्नेस कैलामार्ड ने यूएन न्यूज़ को बताया कि मानवाधिकारों के प्रति उनके समर्पण की भावना गहरी है जिसकी नींव बचपन में ही पड़ गई थी.

“मैं सामाजिक न्याय और मानवाधिकार संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता के बिना अपने जीवन और अपने काम की कल्पना भी नहीं कर सकती थी. इसी तरह मेरी परवरिश हुई है. हर साल मैंने अपने दादाजी के प्रति पूर्ण सम्मान व्यक्त किया है जो फ़्रांसीसी प्रतिरोध में शामिल होकर दूसरों के साथ नाज़ियों द्वारा मारे गए थे.” 

एग्नेस कैलामार्ड ने यूएन न्यूज़ को बताया कि मानवाधिकारों के प्रति उनके समर्पण की भावना गहरी है, जिसकी नींव बचपन में ही पड़ गई थी. “मैं सामाजिक न्याय और मानवाधिकार संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता के बिना अपने जीवन और अपने काम की कल्पना भी नहीं कर सकती थी. इसी तरह मेरी परवरिश हुई है. हर साल मैं अपने दादाजी और उन अन्य लोगों के प्रति पूर्ण सम्मान व्यक्त करती रही हूँ, जो फ़्रांसीसी प्रतिरोध में शामिल होने के कारण एक ही दिन नाज़ियों द्वारा मौत का शिकार हुए थे.” 

अपने मूल्यों के लिए संघर्ष करने वाले लोगों और न्याय व दूसरों के लिए लड़ने वाले देशों के प्रति संकल्प के साथ मेरी परवरिश हुई है - एग्नेस कैलामार्ड

“मेरी परवरिश के दौरान मैंने सीखा - उन लोगों के लिए प्रतिबद्धता, जो अपने मूल्यों के लिए लड़ते हैं, उन देशों के लिए जो न्याय और दूसरों के लिए लड़ते हैं. मानवाधिकारों से लेकर महिलाओं के अधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संघर्ष की स्थिति में अधिकारों तक, मैंने पिछले 20 वर्षों से जो काम किया है, वो मेरे लिए एक स्वाभाविक सफ़र था. विशेष रैपोर्टेयर बनना मेरे लिए यह जानने का एक तरीक़ा था कि मैंने जो कुछ भी सीखा है उसका सर्वोत्तम उपयोग कर दुनिया भर में मानवाधिकारों के संरक्षण में योगदान दिया जाए.”

एक बेहद हाई-प्रोफाइल रैपोर्टेयर के रूप में सरकारों और राष्ट्राध्यक्षों के विरूद्ध आवाज़ बुलंद करने वाली एग्नेस कैलामार्ड अक्सर आलोचना और हमलों का शिकार रही हैं.

उदाहरण के लिए 2017 में हज़ारों लोगों की मौत के लिए ज़िम्मेदार "मादक पदार्थों के ख़िलाफ युद्ध" अभियान पर उनकी टिप्पणियों के जवाब में फ़िलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुहर्टे ने उनका अपमान किया और शारीरिक हिंसा की धमकी दी थी. 

एग्नेस कैलामार्ड ने यूएन न्यूज़ को बताया कि वह इस तरह के हमलों से उद्वेलित नहीं होती हैं. संख्या में सुरक्षा होती है, इसका हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि विशेष रैपोर्टेयर द्वारा जारी किए गए बयान ज़्यादातर संयुक्त रूप से जारी किए गए जाते हैं.

“चूंकि संख्या की एक भूमिका होती है इसलिए इससे हमारा संकल्प और ज़्यादा मज़बूत होता है. हालांकि इससे सोशल मीडिया ट्रोल्स या सरकारें  हमारी आलोचना करने से नहीं हिचकते और कभी-कभी तो बहुत अनुचित शब्दों का प्रयोग किया जाता है . लेकिन ये उन लोगों द्वारा अनुभव किए जा रहे ख़तरों की तुलना में कुछ भी नहीं हैं जिनके लिए हम काम कर रहे हैं.”

यहूदीवाद-विरोध से लड़ाई

पिछले 12 महीनों में दुनिया ने यहूदी विरोधी हिंसा में बढ़ोत्तरी देखी है, जिससे चिंतित संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने भी जनवरी 2019 में चेतावनी देते हुए कहा था कि "पुराना यहूदी-विरोध वापस आ गया है – और वो भी पहले से भी ख़राब स्थिति में."

विशेष रैपोर्टेयर अहमद शहीद यूएन महासभा को संबोधित करते हुए.

धर्म की स्वतंत्रता और आस्था मामलों पर विशेष रैपोर्टेयर अहमद शहीद ने यूएन महासभा में यहूदीवाद विरोध पर अपनी रिपोर्ट देते हुए कहा कि यहूदी विरोध की भावना वैश्विक घृणा के प्रति एक पूर्व चेतावनी के समान है. अगर इसे ऐसे ही छोड़ दिया जाए तो ये "सभी समाजों के लिए ख़तरा बन सकती है."

मालदीव के नागरिक अहमद शहीद दो बार अपने देश के विदेश मंत्री रह चुके हैं और उन्होंने वर्ष 2003 और 2011 के बीच अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों को अपनाने की दिशा में मालदीव द्वारा किए जा रहे प्रयासों का नेतृत्व किया था. वर्तमान में वो 'एसेक्स ह्यूमन राइट्स सेंटर' के उप निदेशक के पद पर कार्यरत हैं. 

संयुक्त राष्ट्र में अहमद शहीद की पहले की भूमिका ईरान में मानवाधिकारों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी. उस दौरान उन्हें ईरानी अधिकारियों की ख़ासी आलोचना का सामना करना पड़ा और अंततः उन्हें देश में प्रवेश करने से रोक दिया गया था जो उनके लिए ये सामान्य बात थी. 

“मुझे लगता है कि हर बार जब भी मानवाधिकारों के समर्थन में आवाज़ उठाई जाती है तो किसी ना किसी को उस पर नाख़ुशी ज़रूर होती है.”

"अगर आप सच का साथ दे रहे हैं, तो आपको उस आलोचना के लिए तैयार रहना होगा जो इसके साथ आती है, और जो बात मुझे आगे बढ़ने का साहस देती है वो है ये सच्चाई कि ऐसे कुछ लोग होते हैं जिन्हें मदद की  आवश्यकता होती है, और कुछ ऐसे लोग हैं भी हैं जो ये इस काम करने में संतुष्टि पाते हैं. इसलिए तमाम सरकारों के विरोध के बावजूद मैं ऐसा करने में विश्वास रखता हूं. हालांकि, कई बार वो इसका संज्ञान लेकर उचित काम भी करते हैं.”

यूएन न्यूज़ के साथ बात करते हुए अहमद शहीद ने कहा कि यहूदीवाद विरोध से निपटने की प्रेरणा उन्हें अपने प्रारंभिक वर्षों से मिली. 

“मैं हमेशा इस बात से आश्चर्यचकित रहा हूं कि मेरे देश में कितने व्यापक तौर पर यहूदीवाद विरोध है, जबकि वहां तो यहूदी मौजूद भी नहीं हैं. लेकिन फिर भी आप जहां भी जाएं, वहां ये फैला हुआ है.”

"मैं पूरी दुनिया में बढ़ती असहिष्णुता से बहुत चिंतित हूं. मुझे लगता है कि इससे निपटने के लिए पुरानी नफ़रत से ही सीखना होगा, क्योंकि जब हम देखेंगे कि यहूदीवाद विरोध, बलि का बकरा बनाया जाना, साज़िशों की सोच आदि कितना विषाक्त है, तो हम उनसे निपटने की कोशिश करेंगे. मेरे लिए यहूदीवाद विरोध नफ़रत का सबसे ख़तरनाक रूप है.”

ग़ुलामी के समकालीन स्वरूप

एक और मानवाधिकार का मुद्दा जो सदियों से क़ायम है – वो है  ग़ुलामी कि विभिन्न रूपों का. आधे से अधिक देशों ने अभी तक इसका अपराधीकरण नहीं किया है और दुनिया भर में लगभग 4 करोड़ लोग अब भी ग़ुलाम हैं, जिनमें एक चौथाई बच्चे हैं.

ग़ुलामी के समकालीन स्वरूपों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत उर्मिला भूला मानवाधिकारों, बाल श्रम, बाल विवाह, जबरन मजदूरी समेत ग़ुलामी के अन्य समकालीन रूपों को समाप्त करने के लिए विश्व स्तर पर काम करती हैं.

उर्मिला भूला ने बीस वर्षों तक दक्षिण अफ्रीका में श्रम और मानवाधिकार वकील के रूप में काम किया है और अधिकारों और लैंगिक समानता के क्षेत्र में काम करने के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं.

ग़ुलामी के समकालीन रूपों पर विशेष रैपोरेटेयर, उर्मिला भूला

उन्होंने यूएन न्यूज़ को बताया कि श्रमिकों के अधिकारों का समर्थन करना और उनके शोषण को समाप्त करना हमेशा उनके दिल के बहुत क़रीब रहा है. उनकी वर्तमान भूमिका उन्हें दुनिया के कुछ सबसे कमज़ोर लोगों की मदद करने का अवसर देती है.

“मेरा मैंडेट महिलाओं और बच्चों पर दासता के असर का अवलोकन करना है - ये एक ऐसा अवसर है जो मुझे श्रमिकों के अधिकारों में अधिक से अधिक योगदान करने और वर्तमान विश्व में शोषण के चरम रूपों को समाप्त करने की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है.”

विशेष रैपोर्टेयर के रूप में उन्हें कई देशों में सरकारों, नागरिक समाज संगठनों,  ग़ुलामी के हालात से जीवित बचे लोगों और पीड़ितों के साथ जुड़ने और उनकी मदद  करने का अवसर मिला है. उन्होंने पहली बार समकालीन दासता के विनाशकारी प्रभाव को भी प्रत्यक्ष तौर पर देखा है.

“एक स्थिति जिसने वास्तव में मुझ पर एक बड़ा असर डाला, वो नाइजर के एक गाँव में कुछ महिलाओं के साथ मुलाक़ात थी. ये मेरा पहला मिशन था. मैं एक ऐसी पीड़िता से मिली जिसने अपनी सरकार के ख़िलाफ़ ECOWAS (पश्चिमी अफ़्रीकी राज्यों का आर्थिक समुदाय) के आर्थिक न्यायालय में मुक़दमा कर दिया था क्योंकि उसके मालिक ने उसे ग़ुलाम बनाकर बेच दिया था. वो ना केवल मुआवज़ा लेने में सफल रही  बल्कि अदालत ने उसके पक्ष में ही फैसला भी सुनाया.”

उनका कहना है, "मैं ऐसी कई महिलाओं से मिली जो ग़ुलामी से बच पाईं: जिन्हें 'पांचवीं पत्नियां' बनने के लिए मजबूर होना पड़ा – ये तब होता है जब एक पुरुष और उसकी चार पत्नियां किसी लड़की को ग़ुलाम बनाकर काम करने के लिए नौकर रखती हैं."

मुझे लगता है कि मैं जिससे भी मिली हूं - हर पीड़ित व्यक्ति ने इतनी गरिमा के साथ अपनी कहानी सुनाई है जो मानव आत्मा की दृढ़ता का उदाहरण देती है - उर्मिला भूला

"उनमें से कुछ की कहानियां भयावह थीं - उनमें से एक के मालिक ने तो उसकी आँख ही निकाल दी थी क्योंकि उसने अपने मालिक की माँगें मानने से इनकार कर दिया था. ऐसे अनुभवों के बावजूद उनकी दृढ़ता और गरिमा से मैं बहुत प्रभावित हुई.” 

“मुझे लगता है कि मैं जिस भी पीड़िता अथवा ऐसी परिस्थितियों से बच निकली महिला से मिली हूं, उन सबने अपनी कहानी इतनी गरिमा से सुनाई है जो अपने-आप में आत्मा की दृढ़ता का एक बेहतरीन उदाहरण है.”