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बेसहारा इटली पहुंचने वाले 60 हज़ार युवाओं को सहारे की दरकार

रिपोर्ट में इटली के उन क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है जहां बड़ी संख्या में ऐसे शरणार्थी रह रहे हैं.
© UNICEF/Stefano De Luigi
रिपोर्ट में इटली के उन क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है जहां बड़ी संख्या में ऐसे शरणार्थी रह रहे हैं.

बेसहारा इटली पहुंचने वाले 60 हज़ार युवाओं को सहारे की दरकार

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने एक नई रिपोर्ट में उन बच्चों की ज़रूरतों को रेखांकित किया है जिन्होंने अकेले या अपने परिजनों से बिछुड़ कर ख़तरनाक रास्तों के ज़रिए इटली तक की यात्रा की है. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 से 2018 के बीच 60 हज़ार बच्चे इटली पहुंचे जिनमें 90 फ़ीसदी से ज़्यादा की उम्र 15 से 17 वर्ष तक थी लेकिन किशोरावस्था से बालिग़ होने के चरण में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.

इस रिपोर्ट, At the crossroad: Unaccompanied and separated children in the transition to adulthood in Italy, को संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन एजेंसी (IOM) ने मिलकर तैयार किया है.

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रिपोर्ट दर्शाती है कि युवा शरणार्थियों और प्रवासियों को 18 साल का होने पर परिवर्तन के तीन पड़ावों का सामना करना पड़ता है: किशोरावस्था से बालिग़ होना; एक देश से दूसरे देश में जाकर बसना; और घर छोड़ते समय व ख़तरनाक यात्राओं के दौरान होने वाली भावनात्मक पीड़ा और सदमे को झेलना.

दक्षिणी योरोप के लिए यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रतिनिधि रोलैंड शिलिंग ने बताया, “इस रिसर्च के मूल में बच्चों और बालिग़ों के बीच के भेद की जटिलताओं को पहचानने और उम्र के अनुसार विशिष्ट ज़रूरतों को समझने का प्रयास किया गया है.”

रिपोर्ट में तीन क्षेत्रों – सिसिली, लोम्बार्डी और लैटीम – पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है जहां बड़ी संख्या में ऐसे शरणार्थी रह रहे हैं.

इटली में यूनीसेफ़ समन्वयक एना रियाटी के मुताबिक़ उम्र-आधारित भेदों के कारण हज़ारों युवाओं के लिए सहारा हटने का जोखिम बना रहता है जिस वजह से उनके सामने अलग-थलग पड़ने, हिंसा, उत्पीड़न और अनिश्चित भविष्य जैसी चुनौतियां पैदा होती हैं.

रिपोर्ट में उन विषयों का अध्ययन किया गया है जो क़ानूनी दर्जे या रेज़ीडेंस परमिट से प्रभावित होते हैं – इनमें शिक्षा, वैकल्पिक रोज़गार, ट्रेनिंग, रहने के लिए घर, मूल देश में परिवार के साथ रिश्ते और परिजनों से फिर मिलने की संभावनाएं शामिल हैं.

रिसर्च दर्शाती है कि इटली का क़ानूनी ढांचा ऐसे युवा शरणार्थियों के अधिकारों और संरक्षण की ज़रूरत को समझता है. साथ ही बताया गया है कि देश में प्रवेश के दौरान उनके साथ होने वाला बर्ताव ही उनके अनुभवों, नई संस्कृति में रचने-बसने और अपने दुख व पीड़ा से पार पाने की संभावना को तय करता है.

इस रिपोर्ट में इटली प्रशासन, योरोपीय संघ और नागरिक समाज के लिए तीन सिफ़ारिशें रखी गई हैं. इनके तहत उम्र पर आधारित परिभाषाओं से आगे जाकर प्रासंगिक नीतियों को अपनाने की आवश्यकता है ताकि युवाओं की विशिष्ट ज़रूरतों का ध्यान रखा जा सके.

साथ ही अकेले यात्राएं करने वाले व परिजनों से बिछुड़ जाने वाले बच्चों से जुड़े मुद्दों की देखभाल करने वाली राष्ट्रीय व स्थानीय संस्थाओं के साथ बेहतर समन्वयन सुनिश्चित होना चाहिए.

इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि योरोपीय संघ को परिवार को एक साथ मिलने के लिए प्रक्रियाओं को तेज़ व प्रभावी ढंग से पूरा करने पर ज़ोर देना होगा.

साथ ही बच्चों के सर्वश्रेष्ठ हितों को ध्यान में रखते हुए सदस्य देशों के बीच सहयोग को सुनिश्चित करना होगा ताकि युवा शरणार्थियों के अधिकारों व अवसरों की रक्षा की जा सके.