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लीबिया में अब भी मानवाधिकार उल्लंघन, हिंसा और अत्याचारों का सिलसिला जारी

लीबिया के बेनग़ाज़ी बंदी शिविर में कुछ पुरुष बंदी सुबह की उपस्थिति के लिए बुलाए जाने का इंतज़ार करते हुए.
OCHA/Giles Clarke
लीबिया के बेनग़ाज़ी बंदी शिविर में कुछ पुरुष बंदी सुबह की उपस्थिति के लिए बुलाए जाने का इंतज़ार करते हुए.

लीबिया में अब भी मानवाधिकार उल्लंघन, हिंसा और अत्याचारों का सिलसिला जारी

शान्ति और सुरक्षा

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने सुरक्षा परिषद को बताया है कि लीबिया में क़रीब एक दशक पहले जब से न्यायालय ने काम शुरू किया है तब से अभी तक हिंसा के दौर, अत्याचार और क़ानून की बेपरवाही का माहौल ज्यों का त्यों बना हुआ है. अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की मुख्य अभियोजक फ़तू बेनसूदा ने बुधवार को अपनी वार्षिक रिपोर्ट सुरक्षा परिषद में पेश करते हुए कहा कि “लीबिया में हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है.”

उन्होंने ख़बरों का हवाला देते हुए कहा कि बड़ी संख्या में आम लोगों की मौत हुई है, हज़ारों लोग देश के भीतर ही विस्थापित हुए हैं, और पूरे लीबिया में लोगों को अगवा किए जाने, लापता होने और उन्हें मनमाने तरीक़े से गिरफ़्तार किए जाने के मामले तेज़ी से बढ़े हैं.

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अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) की मुख्य अभियोजक ज़ोर देकर कहा कि अगर लीबिया संकट को ख़त्म करने में सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ठोस मदद नहीं मिलती है तो इस देश एक लंबे और भीषण व क्रूर संकट की आग में झोंके जाने की ज़द में है.

भीषण अंतरराष्ट्रीय अपराध

मुख्य अभियोजक ने बताया कि आईसीसी से वारंट जारी तीन भगोड़े अब भी फ़रार हैं जिन पर भीषण अंतरराष्ट्रीय अपराधों में शामिल होने के आरोप हैं. इनमें युद्धापराध, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध, लोगों को प्रताड़ित करना, उन्हें बंदी बनाना, उन पर अत्याचार करना और अन्य अमानवीय कृत्यों के अपराध भी शामिल हैं.

अंतरराष्ट्रीय अपराधों को अंजाम देने वाले लोग जब क़ानून और न्याय प्रक्रिया का सामना नहीं करते तो वो समझ लेते हैं कि वो अपना हौसला बढ़ा हुआ समझते हैं.

फ़तू बेनसूदा का कहना था कि क़ानून का डर नहीं होने के इस माहौल ने ही लीबिया में अत्याचार और अमानवीय अपराधों के लिए उर्जर ज़मीन उपलब्ध कराई है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इन भगोड़ों के इस तरह फ़रार रहने से उनके अपराधों के पीड़ित और शिकार लोगों को न्याय मिलने में देरी होती है.

आईसीसी की मुख्य अभियोजक ने “ठोस जानकारी” का हवाला देते हुए कहा कि सैफ़ अल इस्लाम गद्दाफ़ी लीबिया के ज़िन्तान इलाक़े में बताए जाते हैं, अल तुहामी मोहम्मद ख़ालेद के बेनग़ाज़ी इलाक़े में और महमूद मुस्तफ़ा बुसायफ़ अल वेरफल्ली के मिस्र के काहिरा में छिपे होने की ख़बरे हैं.

इस तरह क़ानून की बेपरवाही और उसका डर निकल जाने की मानसिकता स्थिरता को ख़तरे और बाधा का काम करती है और क़ानून की पूरी ताक़त के साथ इसे रोका जाना ज़रूरी है.

क़ानून की बेरवाही

मुख्य अभियोजक का कहना था ऐसी ख़बरें मिली हैं कि महमूद मुस्तफ़ा बुसायफ़ अल वेरफल्ली को उनके कार्यकलापों के लिए स्वयंभू लीबियाई नेशनल आर्मी (एलएनए) के नेतृत्व ने दो बार पुरस्कृत किया है. ध्यान रहे कि लीबिया की राजधानी त्रिपोली में अब भी इसी आर्मी ने घेरा डाला हुआ है.

उन्होंने बताया कि ख़बरों के अनुसार 2017 में महमूद मुस्तफ़ा बुसायफ़ अल वेरफल्ली को तब सम्मानित किया गया था जब ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से चार लोगों की हत्या किए जाने की वीडियो सामने आई थीं और कहा गया था कि ये हत्याएँ महमूद मुस्तफ़ा बुसायफ़ अल वेरफल्ली ने की थीं और वीडियो को ऑनलाइन पर दिखाया गया था.

मुख्य अभियोजक ने कहा, “आईसीसी के संदिग्धों को गिरफ़्तार करने और उनके आत्मसमर्पण की असरदार शक्ति देशों के पास ही है.” हालाँकि उनका कार्यालय संदिग्ध और वारंट जारी अभियुक्तों का पता लगाने और उन्हें गिरफ़्तार करने के लिए देशों के साथ तालमेल बढ़ाने के साथ-साथ नई रणनीतियाँ और कुछ नए तरीक़े अपना रहा है.

आईसीसी की मुख्य अभियोजक फ़तू बेनसूदा ने अपराधों के इस सिलसिले को रोकने और जवाबदेही निर्धारित करने के लिए एकजुट अंतरराष्ट्रीय प्रयास करने की सख़्त ज़रूरत पर ज़ोर दिया.

उनका कहना था, “अंतरराष्ट्रीय समुदाय आईसीसी के भगोड़ों को गिरफ़्तार करके और उनका आत्मसमर्पण कराकर लीबिया में पीड़ितों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया और भविष्य में इस तरह के अपराध होने से रोकने की शुरुआत की जा सकती है.”

उन्होंने तमाम देशों का आहवान करते हुए कहा कि आईसीसी के लीबिया भगोड़ों की गिरफ़्तारी और समर्पण के लिए पूरी ताक़त लगाने में कोई क़सर ना छोड़ें.