सीरिया में फंसे विदेशी बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने देशों से अपील की है कि सीरिया के पूर्वोत्तर हिस्से में फंसे विदेशी बच्चों को सुरक्षित उनके देश भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए. पूर्वोत्तर सीरिया में तुर्की ने 9 अक्टूबर को सैन्य अभियान शुरू किया था जिसके बाद वहां रह रहे बच्चों के लिए पहले से ही मुश्किल हालात और ज़्यादा विकट हो गए हैं.
यूएन एजेंसी का अनुमान है कि 60 देशों के 28 हज़ार से ज़्यादा बच्चे इस क्षेत्र में फंसे हुए हैं- अधिकांश बच्चे विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविरों में हैं. इनमें 20 हज़ार से अधिक बच्चे इराक़ से हैं.
"We had to flee home because of the attacks. We slept out in the open. We had no mattresses, no blankets or food. We escaped with our children for safety."Nearly 80,000 children have been displaced by the ongoing fighting in northeast Syria. #NotATarget #ChildrenUnderAttack pic.twitter.com/ciLwEAlHQ7
UNICEF
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने सोमवार को एक बयान जारी करते हुए बताया, “बच्चे, चाहे वे पूर्वोत्तर में हों या सीरिया के किसी अन्य इलाक़े में, युद्ध की कसती दीवारों के बीच उन्हें अकेले नहीं छोड़ा जाना चाहिए.”
यूएन एजेंसी का कहना है कि पूर्वोत्तर सीरिया में फंसे 80 फ़ीसदी से ज़्यादा विदेशी बच्चे 12 साल से कम उम्र के हैं और उनमें भी आधे बच्चों की उम्र पांच साल से कम है.
इसके अलावा 250 लड़कों को हिरासत में रखा गया है, हालांकि उनकी संख्या इससे कहीं ज़्यादा होने की आशंका जताई गई है. इनमें कुछ की उम्र 9 वर्ष ही है.
इनमें से कई बच्चे ऐसे हैं जिनके अभिभावक दाएश चरमपंथी थे, जिन्हें कुर्द नेतृत्व में और अमेरिका से सहायता प्राप्त अभियान के बाद क्षेत्र से खदेड़ दिया गया.
इसके बाद पैदा हुए हालात में दाएश लड़ाकों के हज़ारों बच्चों और महिलाओं को भीड़ भरे शिविरों में रहना पड़ रहा है जिनका संचालन स्थानीय कुर्द प्रशासन कर रहा है.
यूनीसेफ़ का कहना है कि लड़ाई तेज़ होने से सरकारों के लिए तत्काल क़दम उठाने और बच्चों को सुरक्षित उन देशों में पहुंचाना ज़रूरी हो गया है जहां की उन्हें नागरिकता मिल सकती है.
कार्यकारी निदेशक फ़ोर का कहना है, “सभी ऐसे हालात में रह रहे हैं जो बच्चों के रहने योग्य नहीं है. उनका दुनिया से सवाल है: हमारा क्या होगा? इन बच्चों को तत्काल पर्याप्त देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता है.”
यूनीसेफ़ प्रमुख ने प्रशासन को ध्यान दिलाया कि उनकी ज़िम्मेदारी सही काम करना है और बच्चों व उनके परिजनों को घर तक पहुंचाना है जहां उनकी देखभाल हो, वे हिंसा और दुर्व्यवहार से सुरक्षित रहें.
अब तक 17 देशों ने 650 को वापस स्वदेश बुलाया है जिससे उनका अपने परिवारजनों के साथ रहना संभव हो पाया है.
इस प्रक्रिया में यूनीसेफ़ ने समर्थन देते हुए कुछ युवाओं को मदद प्रदान की है ताकि वे अपने परिवार और समुदाय में फिर से जीवन शुरू कर सकें.
लेकिन यूनीसेफ़ प्रमुख ने स्पष्ट कर दिया है कि ये देश अपवाद हैं और ऐसा आम तौर पर नहीं हो रहा है. “हमारा सरकारों के लिए स्पष्ट संदेश है: बच्चों के हितों का ख़याल रखना हमारे लिए हमेशा सबसे अहम बात होनी चाहिए.”
पूर्वोत्तर सीरिया में फंसे विदेशी और सीरियाई बच्चों की जान की सुरक्षा और उनका कल्याण यूनीसेफ़ की चिंता बनी हुई है.
हिंसा के बीच उन्हें शिविरों और हिरासत केंद्रों में जीवन गुज़ारने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
एजेंसी के मुताबिक़ पूरे क्षेत्र में 40 हज़ार से ज़्यादा सीरियाई बच्चे नए सिरे से विस्थापित हुए हैं. कुछ अपने परिवारों से बिछड़ गए हैं जबकि अन्य हिंसा में घायल हुए हैं.