आसियान देशों को भी डटकर करना होगा जलवायु संकट का मुक़ाबला - महासचिव
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि आसियान संगठन के दस में से चार सदस्य देश जलवायु परिवर्तन के परिणामों से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं, इसलिए उन्होंने बैंकाक में हुए आसियान सम्मेलन में पूरी दुनिया में दरपेश जलवायु संकट का सामना डटकर करने का आग्रह किया.
महासचिव ने रविवार को थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में हुए आसियान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “ये क्षेत्र बहुत कमज़ोर और नाज़ुक है, ख़ासतौर से समुद्रों के बढ़ते जलस्तर की वजह से, निचले इलाक़ों में रहने वाले लोगों के लिए बहुत संकट का समय हो सकता है, जैसाकि हाल ही में प्रकाशित शोध में दर्शाया गया है.”
From #ClimateAction to the #GlobalGoals to human rights, collaboration between the @UN and @ASEAN continues to grow stronger. Read @antonioguterres' full remarks on this vital and growing partnership: https://t.co/T3KyEykGkO #AseanSummit 📸: @hsiehmingchi pic.twitter.com/UO2FYr6yKL
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उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि समुद्रों के बढ़ते जल स्तर के ख़तरे के दायरे में दुनिया भर की जितनी आबादी है, उसका लगभग 70 फ़ीसदी हिस्सा आसियान और कुछ ऐसे देशों में रहता है जो इस सप्ताह के अंत में आसियान सम्मेलन में शिरकत करेंगे.
यूएन प्रमुख कार्बन उत्सर्जन वाले ईंधन को बहुत महंगा बनाने के प्रबल हिमायती रहे हैं ताकि जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को रोकने में मदद मिल सके. साथ ही उन्होंने 2020 तक कोयले से चलने वाले कोई नए संयंत्र ना बनें.
एंतोनियो गुटेरेश ने कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन को सस्ता बनाने के लिए दी जाने वाली ख़बरों डॉलर की सरकारी सहायता यानी अनुदान को भी बंद करने की ज़ोरदार हिमायत की है. उनका कहना है कि करदाताओं द्वारा दी जाने वाला ये धन जीवाश्म ईंधन पर ख़र्च होने से समुद्री तूफ़ानों, बीमारियों और संघर्षों को बढ़ाने में एक कारक बनता है.
यूएन प्रमुख का कहना था, “मैं दुनिया के कुछ हिस्सों में अब भी बड़ी संख्या में कोयले से चलने वाले संयंत्र बनाए जाने की योजनाओं पर बहुत चिंतित हूँ कि भविष्य पर उनका क्या प्रभाव होगा, इनमें से कुछ देश पूर्वी, दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में स्थित हैं.”
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि इसके साथ ही अपना ये रुख़ भी दोहराया कि विकसित देशों को जलवायु संकट का विकासशील देशों में हो रहे प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए साल 2020 तक हर वर्ष की दर से 100 अरब डॉलर की रक़म देने का “अपना वादा निभाना होगा.”
महासचिव ने कहा, “मैं आप सभी के नेतृत्व पर अपना भरोसा क़ायम किए हुए हूँ कि आप सभी विश्व के सामने दरपेश जलवायु आपदा का मुक़ाबला करने के लिए सभी ज़रूरी व ठोस कार्रवाई करेंगे.”
कोई क्षेत्र अछूता नहीं
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने व्यापार और टैक्नोलॉजी के बढ़ते तनाव के वैश्विक माहौल, आर्थिक प्रगति का रुख़ नीचे की तरफ़ जाने के अनुमानों के बीच बैचेनी और अनिश्चितता की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए कहा कि, “कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है.”
चीन और अमरीका के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव की तरफ़ ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि ये एक और नई चिंता है जो क्षितिज पर नज़र आ रही है.
उन्होंने कहा कि जब विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यस्थाओं वाले दे देश अगर दुनिया को दो हिस्सों में बाँटने का प्रयास करें, अपनी-अपनी मुद्राओं की मज़बूती, व्यापार और वित्तीय नियम...इंटरनेट व आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस (एआई) क्षमताओं, और इनके शून्य भूराजनैतिक नतीजों व सैन्य रणनीतियों के साथ आगे बढ़ेंगे तो एक “महान दरार” तो पैदा होगी ही.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा, “हम सभी को इस महान दरार को रोकने के लिए हर संभव कार्रवाई करनी होगी.”
उन्होंने विश्व में मज़बूत बहुपक्षीय संस्थाएँ और वैश्विक व एक रूपीय अर्थव्यवस्था की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि इन सबके साथ अंतरराष्ट्रीय क़ानून का सम्मान सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है.
आर्थिक विकास का ज़िक्र करते हुए एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि पूरी दुनिया टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने की रफ़्तार में बहुत पीछे है.
आसियान देशों में वैसे तो करोड़ों लोगों को ग़रीबी से उबारा गया है लेकिन अब भी बहुत से लोग पीछे छूटे हुए हैं.
उन्होंने आसियान के विज़न 2025 और संयुक्त 2030 के टिकाऊ विकास एजेंडा के बीच बहुत सी समानताओं की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र आसियान क्षेत्र में प्रगति की रफ़्तार तेज़ करने के लिए हर संभव सहायता देने के लिए हमेशा तैयार है, ख़ासतौर से शांति व न्याय, कामकाज के सम्मानजनक माहौल व ठोस जलवायु कार्रवाई के क्षेत्र में सामूहिक प्रयासों के ज़रिए.
साथ-साथ मानवाधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वस्थ वातावरण के अधिकार सुनिश्चित करने की दिशा में भी.
यूएन प्रमुख ने म्यामाँर में स्थिति और भारी संख्या में शरणार्थियों की तकलीफ़ों पर चिंता भी व्यक्त की.
आसियान संगठन द्वारा म्याँमार की सरकार के साथ हाल के समय में बढ़ाए गए संबंधों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि अंततः ये म्याँमार सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वो “रोहिंग्या शरणार्थियों की मूल समस्या की निशानदेही करे और उनकी राखीन प्रांत के लिए सुरक्षित, स्वैच्छिक, गरिमापूर्ण और टिकाऊ वापसी सुनिश्चित करे.”
यूएन प्रमुख ने अपने संबोधन के अंत में सभी से आग्रह किया कि वो संयुक्त राष्ट्र – आसियान साझेदारी व भागीदारी को और ज़्यादा मज़बूत करने के लिए काम करते रहें ताकि इस क्षेत्र और उसके बाहर लोगों क लिए गरिमा और अवसर सुनिश्चित किए जा सकें.